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भारत में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि की गणना करने में 3 साल क्यों लगते हैं ? जानें-

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Published : Feb 27, 2022, 12:47 PM IST

Why it takes 3 years to calculate GDP growth in India
भारत में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि की गणना करने में 3 साल क्यों लगते हैं ? जानें- ()

भारत के शीर्ष सांख्यिकी कार्यालय को एक वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय आय या जीडीपी वृद्धि (GDP growth in a financial year) की गणना करने में तीन साल लगते हैं क्योंकि यह काफी जटिल और विस्तृत प्रक्रिया है जो अनुमानों और संशोधनों के कई दौर से गुजरती है.

हैदराबाद: भारत के शीर्ष सांख्यिकी कार्यालय को एक वित्तीय वर्ष में राष्ट्रीय आय या जीडीपी वृद्धि (GDP growth in a financial year) की गणना करने में तीन साल लगते हैं क्योंकि यह काफी जटिल और विस्तृत प्रक्रिया है जो अनुमानों और संशोधनों के कई दौर से गुजरती है. यह अर्थशास्त्र के छात्रों के लिए काफी भ्रमित करने वाला लग सकता है, लेकिन यह सत्य है कि भारत के जीडीपी डेटा को अंतिम रूप देने में लगभग तीन वर्ष का समय लग जाता है क्योंकि यह काफी विस्तृत और समय लेने वाली कवायद है. भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.

छह अनुमान और संशोधन

भारत में, राष्ट्रीय आय में किसी भी बदलाव का अनुमान पहले एडवांस अनुमान से शुरू होता है जो आमतौर पर उसी वित्तीय वर्ष में जनवरी के महीने में जारी किया जाता है. उदाहरण के लिए चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च 2022) का पहला अग्रिम अनुमान इसी साल 8 जनवरी को जारी किया गया था. पहले एडवांस एस्टीमेट के बाद दूसरा एडवांस एस्टीमेट एक महीने बाद लगाया जाता है. आमतौर पर यह फरवरी महीने के आखिरी दिन जारी की जाती है.राष्ट्रीय आय या जीडीपी वृद्धि का दूसरा एडवांस एस्टीमेट जीडीपी वृद्धि के प्रोविजनल एस्टीमेट के बाद आता है. सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के प्रोविजनल एस्टीमेट के बाद संशोधित अनुमान, दूसरा संशोधित अनुमान और फिर तीसरा संशोधित अनुमान लगाया जाता है, जिसे मूल रूप से उस वित्तीय वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के अंतिम अनुमान के रूप में लिया जाता है.

जीडीपी वृद्धि के प्रोविजनल एस्टीमेट के बाद संशोधित अनुमान, दूसरा संशोधित अनुमान और फिर तीसरा संशोधित अनुमान, जिसे मूल रूप से उस वित्तीय वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के अंतिम अनुमान के रूप में लिया जाता है. हालांकि, पूरी प्रक्रिया में तीन साल लगते हैं और देश को तीन साल बाद जीडीपी वृद्धि की सही तस्वीर मिलती है जिसमें छह एस्टीमेट और रिवीजन शामिल होते हैं.

कोविड से पहले घटनी शुरू हुई जीडीपी ग्रोथ

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए राष्ट्रीय आय में वृद्धि के अनुमान को पहले अग्रिम अनुमान में 5% से घटाकर दूसरे संशोधित अनुमान में केवल 3.7% कर दिया गया. यह दर्शाता है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दुनिया में आने से पहले ही भारतीय अर्थव्यवस्था स्पष्ट रूप से मंदी की स्थिति में थी.

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पिछले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 2020-21) के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान पहले अग्रिम अनुमान में -7.7% से बदलकर प्रोविजनल अनंतिम अनुमान में -7.3% हो गया. पहले संशोधित अनुमान में जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, जीडीपी में गिरावट पहले की गणना के मुकाबले -6.6% थी जो -7.3% से -8% तक थी. यह न केवल जीडीपी विकास संख्या है जिसे तीन वर्षों की अवधि में कई बार संशोधित किया जाता है, बल्कि सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के चार घटक यानी निजी अंतिम खपत व्यय (पीएफसीई), सरकारी अंतिम खपत व्यय (जीएफसीई), सकल अचल पूंजी निर्माण (जीएफसीएफ) है और निर्यात में भी परिवर्तन होता है.

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