नई दिल्ली: देशभर में एक तरफ कोरोना महामारी के चलते कई उद्योगों को नुकसान हुआ. वहीं भारत-चीन विवाद की वजह से अब कुछ उद्योगों को फायदा भी पहुंचने वाला है.
दिल्ली के उत्तम नगर स्थित कुम्हार कॉलोनी में मिट्टी के सामान बनते हैं और ये काम यहां करीब 40 सालों से हो रहा है. वहीं मिट्टी के सामानों का होलसेल के अलावा रिटेल बाजार भी हैं. देशभर के विभिन्न जगहों से लोग इस बाजार से सामानों को खरीदने आते हैं.
कुम्हार कॉलोनी में करीब 500 परिवार रहते हैं जो इस व्यापार से सीधे जुड़े हैं और लगभग हर दूसरे घर में मिट्टी के सामान बनते हैं. दिवाली के लिए दीये, बर्तन ,घरों के डेकोरेटिव आइटम, जग, कप और मूर्तियां आदि जैसे मिट्टी के सामान शामिल हैं. हालांकि कुछ परिवार इन्हें गुजरात, कलकत्ता से खरीदकर यहां इनपर खूबसूरत पेंट करके बाजारों में बेचते हैं.
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कोविड-19 में इन सभी परिवारों को बहुत नुकसान हुआ, वहीं मार्च से मई के महीने तक एक भी मिट्टी का आइटम नहीं बिका, लेकिन धीरे-धीरे लोग अब घरों से बाहर निकल रहे हैं और सामान खरीद भी रहे हैं.
भारत में अगले महीने दीपावली का सबसे बड़ा त्यौहार मनाया जाएगा. लॉकडाउन और अनलॉक के भंवर में फंसे नागरिक भले धूमधाम से इस बार की दिवाली न मनाएं, लेकिन जहां तक रोशनी के इस पर्व का संबंध है, घरों में दीपोत्सव तो मनेगा ही. घरों में दिये तो जलेंगे ही. ऐसे में भारत-चीन विवाद के चलते इस बात की उम्मीद लगाई जा रही है कि व्यापार तिगुना बढ़ सकता है, वहीं कोरोना के चलते जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई भी हो सकती है.
हरकिशन मिट्टी के बर्तन और अन्य सामान बनाते हैं. इन्हें साल 2012 में शिल्पगुरु अवार्ड,1990 नेशनल अवार्ड और 1988 संस्कृति अवार्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है. वह इस कॉलोनी के मुखिया भी हैं. उन्होंने आईएएनएस को बताया, "इस कॉलोनी में 500 परिवार रहते हैं वहीं सभी इसी कारोबार से जुड़े हुए हैं. दीवाली के लिए तैयारियां गर्मियों के समय से शुरू हो जाती हैं लेकिन इस बार कोरोना की वजह से काफी नुकसान हुआ. मार्च के महीने से मई के महीने तक एक भी मटका नहीं बिका."