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दूरंसचार उद्योग के लिए न्यूनतम टैरिफ तय कर सकता है ट्राई

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Published : Dec 12, 2019, 9:39 PM IST

Updated : Dec 12, 2019, 10:49 PM IST

टेलिकॉम रेग्युलेटर पहले मिनिमम टैरिफ या चार्जेज सीमा तय करने के लिए हस्तक्षेप से इनकार करता रहा है. ट्राई यदि मिनिमम टैरिफ तय करता है तो इसका मतलब होगा कि अब कोई टेलिकॉम कंपनी पूरी तरह मुफ्त कॉल-डेटा नहीं दे सकेगी, जिस तरह जियो ने शुरुआती दौर में किया था.

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दूरंसचार उद्योग के लिए मिनिमन टैरिफ तय कर सकता है ट्राई

नई दिल्ली: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने संकेत दिया है कि वह कॉल और डेटा के लिए मिनिमम टैरिफ तय करने की इंडस्ट्री की मांग पर विचार कर सकता है. इससे टेलिकॉम सेक्टर की सस्टैनबिलिटी सुनिश्चित हो सकेगी.

टेलिकॉम रेग्युलेटर पहले मिनिमम टैरिफ या चार्जेज सीमा तय करने के लिए हस्तक्षेप से इनकार करता रहा है. ट्राई यदि मिनिमम टैरिफ तय करता है तो इसका मतलब होगा कि अब कोई टेलिकॉम कंपनी पूरी तरह मुफ्त कॉल-डेटा नहीं दे सकेगी, जिस तरह जियो ने शुरुआती दौर में किया था.

ट्राई के रुख में यह बदलाव भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील मित्तल द्वारा बुधवार को टेलिकॉम सेक्रेटरी से मुलाकात के बाद आया है. मित्तल ने टेलिकॉम सेक्रेटरी से डेटा के लिए न्यूनतम सीमा या डेटा रेट तय करने की मांग की है.

ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने एक कार्यक्रम में कहा कि टेलिकॉम चार्ज पिछले 16 साल से कठिन परिस्थितियों में भी नियंत्रण में रहे हैं और यह बेहतर तरीके से काम करते रहे हैं और अब रेग्युलेटर इंडस्ट्री की मिनिमम टैरिफ तय करने की मांग पर गौर कर रहा है.

मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो द्वारा फ्री वॉइस कॉल और सस्ते डेटा की पेशकश से टेलिकॉम सेक्टर में काफी अफरातफरी रही. उसके बाद अन्य कंपनियों को भी टैरिफ दरें कम करनी पड़ीं.

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शर्मा ने कहा, "टेलिकॉम कंपनियों ने हाल में हमें एक साथ लिखा है कि हम उनका रेग्युलेशन करें. यह पहली बार है. पूर्व में 2012 में मुझे याद है कि उन्होंने टैरिफ के रेग्युलेशन के ट्राई के प्रयास का कड़ा विरोध किया था. उनका कहना था कि टैरिफ दरें उनके लिए छोड़ दी जानी चाहिए."

उन्होंने कहा कि नियामक तीन सिद्धांतों उपभोक्ता संरक्षण, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उद्योग की वृद्धि पर काम करता है. शर्मा ने कहा कि ट्राई ने पूर्व में दूरसंचार कंपनियों को दरें तय करने की अनुमति दी है और ऑपरेटरों द्वारा हस्तक्षेप के लिए कहे जाने पर ही दखल दिया है. शर्मा ने बताया कि टेलिकॉम कंपनियों ने 2017 में रेग्युलेटर को न्यूनतम मूल्य तय करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उस समय यह निष्कर्ष निकला था कि यह एक खराब विचार है.

सुप्रीम कोर्ट के 24 अक्टूबर के फैसले में टेलिकॉम कंपनियों के अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाए की गणना में नॉन टेलिकॉम रेवेन्यू को भी शामिल करने के सरकार के कदम को उचित ठहराए जाने के बाद यह प्रस्ताव फिर आया है. इस फैसले के बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अन्य दूरसंचार कंपनियों को पिछले बकाया का 1.47 लाख करोड़ रुपये चुकाना है.

मित्तल ने बुधवार को टेलिकॉम सेक्रेटरी अंशु प्रकाश से मुलाकात के बाद कहा था कि मिनिमम टैरिफ तय करना काफी महत्वपूर्ण होगा. मित्तल का कहना है कि टैरिफ को बढ़ाने और उद्योग को फिजिबल बनाने की जरूरत है. शर्मा ने कहा कि 2017 में भी टेलिकॉम कंपनियों से विचार विमर्श किया गया था. उस समय सभी दूरसंचार कंपनियां इस निष्कर्ष पर पहुंची थीं कि यह एक खराब विचार है और इसमें नियामकीय हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.

नई दिल्ली: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने संकेत दिया है कि वह कॉल और डेटा के लिए मिनिमम टैरिफ तय करने की इंडस्ट्री की मांग पर विचार कर सकता है. इससे टेलिकॉम सेक्टर की सस्टैनबिलिटी सुनिश्चित हो सकेगी.

टेलिकॉम रेग्युलेटर पहले मिनिमम टैरिफ या चार्जेज सीमा तय करने के लिए हस्तक्षेप से इनकार करता रहा है. ट्राई यदि मिनिमम टैरिफ तय करता है तो इसका मतलब होगा कि अब कोई टेलिकॉम कंपनी पूरी तरह मुफ्त कॉल-डेटा नहीं दे सकेगी, जिस तरह जियो ने शुरुआती दौर में किया था.



ट्राई के रुख में यह बदलाव भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील मित्तल द्वारा बुधवार को टेलिकॉम सेक्रेटरी से मुलाकात के बाद आया है. मित्तल ने टेलिकॉम सेक्रेटरी से डेटा के लिए न्यूनतम सीमा या डेटा रेट तय करने की मांग की है.

ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने एक कार्यक्रम में कहा कि टेलिकॉम चार्ज पिछले 16 साल से कठिन परिस्थितियों में भी नियंत्रण में रहे हैं और यह बेहतर तरीके से काम करते रहे हैं और अब रेग्युलेटर इंडस्ट्री की मिनिमम टैरिफ तय करने की मांग पर गौर कर रहा है.



मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो द्वारा फ्री वॉइस कॉल और सस्ते डेटा की पेशकश से टेलिकॉम सेक्टर में काफी अफरातफरी रही. उसके बाद अन्य कंपनियों को भी टैरिफ दरें कम करनी पड़ीं.

शर्मा ने कहा, "टेलिकॉम कंपनियों ने हाल में हमें एक साथ लिखा है कि हम उनका रेग्युलेशन करें. यह पहली बार है. पूर्व में 2012 में मुझे याद है कि उन्होंने टैरिफ के रेग्युलेशन के ट्राई के प्रयास का कड़ा विरोध किया था. उनका कहना था कि टैरिफ दरें उनके लिए छोड़ दी जानी चाहिए."



उन्होंने कहा कि नियामक तीन सिद्धांतों उपभोक्ता संरक्षण, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उद्योग की वृद्धि पर काम करता है. शर्मा ने कहा कि ट्राई ने पूर्व में दूरसंचार कंपनियों को दरें तय करने की अनुमति दी है और ऑपरेटरों द्वारा हस्तक्षेप के लिए कहे जाने पर ही दखल दिया है. शर्मा ने बताया कि टेलिकॉम कंपनियों ने 2017 में रेग्युलेटर को न्यूनतम मूल्य तय करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उस समय यह निष्कर्ष निकला था कि यह एक खराब विचार है.



सुप्रीम कोर्ट के 24 अक्टूबर के फैसले में टेलिकॉम कंपनियों के अजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाए की गणना में नॉन टेलिकॉम रेवेन्यू को भी शामिल करने के सरकार के कदम को उचित ठहराए जाने के बाद यह प्रस्ताव फिर आया है. इस फैसले के बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और अन्य दूरसंचार कंपनियों को पिछले बकाया का 1.47 लाख करोड़ रुपये चुकाना है.



मित्तल ने बुधवार को टेलिकॉम सेक्रेटरी अंशु प्रकाश से मुलाकात के बाद कहा था कि मिनिमम टैरिफ तय करना काफी महत्वपूर्ण होगा. मित्तल का कहना है कि टैरिफ को बढ़ाने और उद्योग को फिजिबल बनाने की जरूरत है. शर्मा ने कहा कि 2017 में भी टेलिकॉम कंपनियों से विचार विमर्श किया गया था. उस समय सभी दूरसंचार कंपनियां इस निष्कर्ष पर पहुंची थीं कि यह एक खराब विचार है और इसमें नियामकीय हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.

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Last Updated : Dec 12, 2019, 10:49 PM IST

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