नई दिल्ली: विज्ञापनों के संबंध में सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रस्तावित दिशा-निर्देंशों का एक व्यापक मसौदा जारी किया है, जिसमें आसानी से न दिखने वाले या सामान्य उपभोक्ता के लिए समझने में कठिन डिस्केलमर (खंडनों या अस्वीकारोक्तियों) को भ्रामक करार दिया जाएगा.
इन दिशा निर्देशों के उल्लंघन पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की ओर से कार्रवाई की जाएगी. इस प्राधिकरण का गठन हाल में किया गया है.
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उपभोक्ता मंत्रालय ने इस मसौदे पर लोगों से सुझाव आमंत्रित किए है. इसके लिए 18 सितंबर तक का समय दिया गया है.
मसौदे में कहा गया है कि खंडन या डिसक्लेमर साफ, मोटा और पठनीय होना चाहिए. यह खंडन ऐसा हो जिसे 'कोई सामान्य दृष्टि वाला व्यक्ति एक व्यावहारिक दूरी और व्यावहारिक गति की अवस्था में पढ़ सके.' इसे पैकेट पर किसी स्पष्ट रूप से दिखने वाली जगह पर ही प्रकाशित होना चाहिए.