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यूट्यूब सिंगर फरमानी नाज को मौलानाओं का फरमान, नहीं गाओ हर हर शंभू जैसे गीत

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Published : Aug 1, 2022, 6:20 PM IST

सिंगर फरमानी नाज का गीत हर हर शंभू यूट्यूब पर रेकॉर्ड तोड़ रहा है, मगर इससे उनकी मुश्किलें भी बढ़ गईं हैं. फरमानी के खिलाफ उलेमाओं ने फरमान जारी किया है और उन्हें हिंदू धर्म से जुड़े धार्मिक गीत न गाने की हिदायत दी है.

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सिंगर फरमानी नाज

मुजफ्फरनगर/सहारनपुरः कांवड़ यात्रा के दौरान धार्मिक भजन गीत गाने पर यूट्यूब गायिका फरमानी नाज़ अब उलेमाओं के निशाने पर आ गई है. उलेमाओं ने फरमानी नाज को गैर इस्लामिक कार्यों से परहेज करने की चेतावनी दी है. हालांकि फरमानी नाज का कहना है कि उन्होंने इस हिंदू धर्म से जुड़े भजनों को बतौर कलाकार गाया है.

कौन हैं फरमानी नाज :मुजफ्फरनगर के मोहम्मदपुर गांव की रहने वाली सिंगर फरमानी नाज का गीत 'हर हर शंभू' काफी पॉपुलर हो चुका है. पूरे देश में इस गाने ने तहलका मचा रखा है. फरमानी ने इस गाने को प्रवेंद्र सिंह और राहुल मुलहेड़ा के साथ मिलकर गाया है. करीब एक सप्ताह पहले यूट्यूब पर रिलीज हुए इस गाने को रेकॉर्ड व्यू मिला है. बता दें कि 2020 में जब फरमानी नाज इंडियन आइडल में आई थीं तब उनके यूट्यूब चैनल और इंटरनेट पेज पर लाखों फॉलोअर्स बन गए थे. उस समय फरमानी बेटे की तबीयत खराब होने के कारण इंडियन आइडल से लौट गई थीं.

सिंगर फरमानी नाज

फरमानी की शादी 2017 में मेरठ के छोटा हसनपुर गांव निवासी इमरान से हुई थी. एक साल बाद बेटा भी हुआ लेकिन पति ने छोड़कर दूसरी शादी कर ली. तब से फरमानी गाने गाकर ही परिवार चला रही हैं. यूट्यूब पर उनका कव्वाली का भी चैनल है और वह भजन भी गाती हैं. फरमानी कहती हैं कि उनका बेटा बीमार था और ससुराल वाले उनसे मायके से पैसा लाने को कहते थे, इसलिए वह मायके में ही रहने लगीं.

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सावन के महीने में फरमानी नाज का गाना 'हर हर शंभु शंकर महादेवा' काफी लोकप्रिय हो चुका है. अब उलेमाओं ने उनके धार्मिक गीत गाने पर आपत्ति जताई है. उलेमाओं का कहना है कि मुसलमानों को कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जो किसी दूसरे धर्म की शिनाख्त हो या फिर अन्य मजहब के धार्मिक क्रियाकलापों को बढ़ावा देता हो. यदि कोई ऐसा करता है तो यह इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ है. मुसलमान को इस्लाम का मुकम्मल पाबंद होना चाहिए. इसके अलावा फरमानी ट्रोलर्स का टारगेट भी बन गई है.

इस विवाद पर फरमानी नाज ने बताया कि वह सिर्फ एक कलाकार हैं. जब वह किसी भी गाने या भजन को गाती हैं तो वह है यह नहीं सोचती कि वह हिंदू है या मुसलमान है. वह कलाकार की हैसियत से अपने गाने गाती हैं. फरमानी नाज़ का कहना है कि कलाकार के लिए कोई मजहब नहीं होता, वह सिर्फ अपने काम को अंजाम दे रही हैं.

उलेमा मुफ्ती असद कासमी

वहीं, सहारनपुर के देवबंदी उलेमाओं ने फरमानी नाज के भजन पर भी कड़ा एतराज जताया है. उलेमा मुफ्ती असद कासमी ने कहा है कि इस्लाम में शरीयत के अंदर कोई भी किसी भी तरह का भजन या गाना गाना जायज नहीं है. मुसलमान होते हुए अगर कोई देवी-देवताओं का भजन गाता है, तो शरीयत में यह गुनाह माना जाता है. किसी भी तरीके के गाने हों उनसे परहेज करना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि फरमानी नाम की महिला ने काफी फिल्मी गाने यूट्यूब पर अपलोड किए हैं. इसके बाद अब उसने यह भगवान भोलेनाथ का भजन गाया है. यह इस्लाम में शरीयत के खिलाफ है. इस्लाम में इस तरह के भजन गाना शरीयत इसकी इजाजत नहीं देता. मुसलमान होने के बावजूद ऐसे गाने गाना गुनाह माना जाता है. इसलिए फरमानी नाज को इससे परहेज कर तौबा करनी चाहिए.

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