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World Earth Day: बालोद से विश्व पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत, आदिवासी समाज ने भरी हुंकार

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Published : Apr 21, 2023, 10:16 PM IST

बालोद के वनांचल क्षेत्र तुएंगोंदी के जंगलों में शुक्रवार को सर्व आदिवासी समाज द्वारा विश्व पृथ्वी दिवस मनाया गया. प्रकृति के प्रति जागरूकता लाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष सहित पदाधिकारी शामिल हुए.World Earth Day begins from Balod

World Earth Day
विश्व पृथ्वी दिवस

बालोद से विश्व पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत

बालोद: सर्व आदिवासी समाज के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे ने कहा कि "पृथ्वी दिवस को हम आदिवासी लोग माटी पूजा के रूप में मनाते हैं. हमने इसी से जन्म लिया और इसी में खाक हो जाएंगे." उन्होंने इस दौरान प्रदेश के मंत्रियों एवं मुख्यमंत्री पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि "यहां के लोग कहते हैं कि, एक जंगल नहीं कटेगा, एक डाली नहीं काटी थी. ऐसा कहते कहते हसदेव काट डालते हैं."

प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग का आरोप : कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बीएस रावटे ने पुलिस और प्रशासन सहित बाहरी लोगों पर आरोप लगाया है कि "बाहर से आए लोग यहां पर जल, जंगल, जमीन का दोहन कर रहे हैं. बेतहाशा लकड़ी की कटाई की जा रही है. प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग किया जा रहा है. ऐसे में हम उज्जवल भविष्य की कल्पना कैसे कर सकते हैं." उन्होंने कहा कि "हमने विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का संकल्प लिया है. कई सारे नियम इस आयोजन के माध्यम से बनाए जाएंगे, जो जनहित, पृथ्वी संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण से जुड़ा रहेगा."

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बालोद से पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत: सर्व आदिवासी समाज महिला विंग की अध्यक्ष संतोषी ठाकुर ने बताया कि "छत्तीसगढ़ में बालोद से पृथ्वी दिवस मनाने की शुरुआत हो रही है. समाज के बीच हम एक बेहतर परिभाषा प्रकृति संरक्षण को लेकर जाएंगे." प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष ने भी कहा कि "इसके बाद हम बस्तर का दौरा करेंगे. सरगुजा का दौरा करेंगे. शासन प्रशासन के खिलाफ जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ने अब हम पीछे नहीं रहेंगे. प्रशासन हमारी बातों को नहीं सुनता."



आदिवासी संस्कृति की बिखरी छटा: विश्व पृथ्वी दिवस के कार्यक्रम में आदिवासी सभ्यता की झलक देखने को मिली. आदिवासी समाज द्वारा सभी आराध्य देवी देवताओं की पूजा अर्चना की गई. साथ ही पारंपरिक रेला पाटा नृत्य की प्रस्तुति दी गई. आदिवासी समाज की सभ्यताओं का प्रदर्शन किया गया.

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