यूलिप पॉलिसी (ULIP policy) : यूनिट-आधारित बीमा पॉलिसी (यूलिप) तब चुनें, जब बीमा सुरक्षा, मार्केट एक्सेस और टैक्स सेविंग्स सभी एक ही स्थान पर हों. हालांकि टैक्स सेविंग्स के लिए बैंक फिक्स डिपोजिट सावधि जमा और ईएलएसएस (ELSS) जैसी योजनाएं उपलब्ध हैं. मगर जो लोग लॉन्ग टर्म निवेश में अच्छी आमदनी चाहते हैं, वे यूलिप का विकल्प चुनते हैं.
कर कटौती (Tax deduction) :आयकर अधिनियम की धारा 80 C यूलिप में एक सीमा तक भुगतान किए गए प्रीमियम से छूट मिलती है. इसके अलावा, धारा 80CC के तहत पेंशन प्लान से भी आयकर में छूट का दावा किया जा सकता है. पर ध्यान रखें कि 80 C और 80CC के तहत आप 1,50,000 रुपये का निवेश कर सकते हैं. पॉलिसी के लिए भुगतान किया गया ऐन्युअल प्रीमियम पॉलिसी के मूल्य के 10% से अधिक नहीं होना चाहिए.
आंशिक निकासी (Partial withdrawal) :यूलिप स्कीम के लिए लॉक-इन अवधि (lock-in period ) पांच वर्ष है. मगर इस दौरान पॉलिसीधारक इनमें से कुछ रकम आंशिक रूप से निकाल सकते हैं. यह कुल फंड मूल्य के 20% से अधिक नहीं होना चाहिए. मसलन, अगर पांच साल बाद फंड की वैल्यू 2 लाख रुपये है तो इसमें से 40,000 रुपये तक निकाले जा सकते हैं. बीमा कंपनी इस पर लिमिट तय कर सकती है, इसलिएपॉलिसी लेने से पहले इस प्रावधान के बारे में जान लेना बेहतर है.