वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की हर उस कला व जायके से रूबरू होना चाहते हैं, जो यहां की खास मानी जाती है. यही वजह है कि वह जब भी किसी दौरे पर जाते हैं या फिर कहीं उद्बोधन करते हैं, वह यहां की खास चीजों का जिक्र जरूर करते हैं. इन खास चीजों में बनारस की लस्सी भी शामिल है. प्रधानमंत्री कई बार बनारसी लस्सी का जिक्र कर चुके हैं और जब भी वह बनारस आते हैं तो इसका स्वाद भी जरूर चखते हैं.
गंगा पुष्कर मेले में आए लोगों से पीएम ने की अपील: हाल ही में हुए वाराणसी के पुष्कर मेले में आए लोगों से संवाद के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस लस्सी का जिक्र किया था और उसका स्वाद लेने के लिए सभी लोगों से अपील की थी. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर बनारस की यह लस्सी क्यों खास है. क्यों इस लस्सी को पीया नहीं बल्कि खाया जाता है और क्यों यह अन्य लस्सी से बेहद अलग मानी जाती है.
पूरे देश में वाराणसी की लस्सी की चर्चा:दरअसल हर जगह लस्सी को अलग तरीके से बनाया जाता है. बात जब बनारस की लस्सी हो तो इसमें दही, चीनी और पानी ही शामिल नहीं होता. बल्कि खास बनारसी रबड़ी और बनारसी मलाई का भी मिश्रण होता है. जो इसको अलग और खास बनाती है. वाराणसी की लस्सी की चर्चा सिर्फ वाराणसी में ही नहीं होती है, बल्कि पूरा देश जानता है कि वाराणसी आना है तो एक बार यहां की लस्सी जरूर पीना है. यहां के सांसद और पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे पूरे देश में चर्चा का विषय बनाया है.
नेता हों या अभिनेता लस्सी के लिए चला आता है बनारस:पहलवान लस्सी चलाने वाले संजय यादव ने बताया कि बनारस के लोगों का खाना बहुत हेल्दी होता है. सुबह-सुबह यहां लोग दूध, दही, कचौड़ी, जलेबी खाना पसंद करते हैं. बनारस की लस्सी 80 साल पुरानी परंपरागत लस्सी है. ये हमारे पिताजी का शुरू किया हुआ है, जिसे हम चला रहे हैं. इसे बनाने के लिए दही, चीनी, बर्फ का प्रयोग करते हैं. इसके साथ ही रबड़ी और मलाई भी पड़ती है. बनारस आने वाला कोई नेता या अभिनेता हो अगर वह बनारस के खान-पान में रुचि रखता है तो वह एक बार जरूर आता है.