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उत्तराखंड में 31 दिसंबर तक NSA लागू, जानें क्या है ये कानून

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Published : Oct 4, 2021, 5:34 PM IST

राज्य सरकार ने उत्तराखंड में हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए कठोर कदम उठाया है. पूरे राज्य में दिसंबर तक के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) लागू कर दी है. इसके तहत सभी जिलाधिकारियों के अधिकारों में और बढ़ोत्तरी हो गई है.

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देहरादून :प्रदेश में राज्य सरकार ने विभिन्न घटनाओं को देखते हुए रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) लगाने का फैसला लिया है. इसके मद्देनजर अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने आदेश जारी कर दिए हैं. आदेशों के अनुसार 1 अक्टूबर से 3 महीने यानी 31 दिसंबर 2021 तक यह आदेश लागू रहेगा.

प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में हुई विभिन्न घटनाओं के मद्देनजर राज्य सरकार ने एहतियात बरतते हुए प्रदेश में रासुका लगाने का फैसला लिया है. खास बात यह है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी राज्य में एक समुदाय की जनसंख्या को लेकर अपनी बात रखते हुए सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की बात कह चुके हैं. उधर, रुड़की में हुई घटना के बाद पुलिस विभाग समेत खुफिया विभाग भी सतर्क हो गया है. ऐसे में चुनाव से पहले ऐसी घटनाओं के बढ़ने की आशंका को देखते हुए प्रदेश सरकार ने राज्य में रासुका लगाने का निर्णय लिया.

प्रदेश में 31 दिसंबर तक रासुका लागू रहेगा. इस दौरान सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर भी पुलिस कठोर कार्रवाई कर पाएगी. बता दें कि पुलिस लगातार असामाजिक तत्वों पर नजर बनाए हुए है. रासुका लगने के बाद अब ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का रास्ता खुल गया है.

सरकार का मानना है कि पिछले दिनों राज्य के कुछ जिलों में हिंसक घटनाएं हुई हैं. इन घटनाओं की प्रतिक्रिया स्वरूप राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी ऐसी घटनाएं होने की आशंका है. कुछ समाज विरोधी तत्व राज्य की सुरक्षा से खिलवाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही कुछ तत्व राज्य की सेवाओं को बनाए रखने में बाधा डालने का प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में लोक व्यवस्था बनाए रखने और लोगों के हित के मद्देनजर तत्काल प्रभाव से पूरे राज्य में रासुका लगाई जाती है.

क्‍या है राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National security act NSA)

जैसा कि इसके नाम से ही स्‍पष्‍ट है कि ये कानून राष्‍ट्रीय सुरक्षा में बाधा डालने वालों पर नकेल डालने का काम करता है. अर्थात राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980, देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित एक कानून है. सरकार को यदि लगता कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा खड़ा कर रहा है, तो वह उसे NSA के तहत गिरफ्तार करने का आदेश दे सकती है. साथ ही, अगर सरकार को लगे कि वह व्यक्ति आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधा बन रहा है, तो उसे एनएसए के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है.

1980 में लागू हुआ था NSA

रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून NSA 23 सितंबर, 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के कार्यकाल में अस्‍तित्‍व में आया था. ये कानून देश की सुरक्षा मजबूत करने के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से संबंधित है. यह कानून केंद्र और राज्य सरकार को संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लेने की शक्ति देता है. सीसीपी (Code of Civil Procedure), 1973 के तहत जिस व्यक्ति के खिलाफ आदेश जारी किया जाता है, उसकी गिरफ्तारी भारत में कहीं भी हो सकती है.

NSA में है इतनी सजा

NSA के तहत किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है. राज्य सरकार को यह सूचित करने की आवश्यकता है कि NSA के तहत व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसके खिलाफ आरोप तय किए बिना 10 दिन के लिए रखा जा सकता है. हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है, लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं है.

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