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'अब मोहम्मद नीतीश और मोहम्मद लालू कहना चाहिए', बोले Giriraj Singh - PM की जाति पूछकर CM ने दिया अज्ञानता का परिचय

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 16, 2023, 6:56 PM IST

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति को लेकर सवाल उठाने पर जेडीयू की आलोचना की है. ETV Bharat के बिहार ब्यूरो चीफ बृजम पांडे के साथ बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम की जाति पूछकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेताओं ने अपनी अज्ञानता का परिचय दिया है. इसके साथ ही बीजेपी नेता ने कहा कि जिस तरह से नीतीश और लालू मुस्लिम तुष्टिकरण में जुटे हैं, वैसे में उनको अपने नाम के आगे मोहम्मद लिखा लेना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से खास बातचीत

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी विधान पार्षद और जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जातिको लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने दावा किया है कि जिस तेली-घांची समाज से पीएम आते हैं, वह अति पिछड़ा वर्ग से नहीं आता है. इस विषय पर बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि सीएम को जानकारी की कमी है. जेडीयू के नेता अज्ञानी हैं. उन्होंने कहा कि सच तो ये है कि विपक्ष के नेता प्रधानमंत्री से डर गए हैं. उन लोगों को लगता है कि पीएम का देश-दुनिया में डंका बज रहा है, जबकि 18 साल में उनके (नीतीश) नाम कोई उपलब्धि नहीं है.

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"नीतीश कुमार अज्ञानी हैं. जो ज्ञान वाला होगा, उसको यह पूछने की जरूरत ही नहीं होगी. मोदी जी से यह लोग डर गए है, पिछड़ा का बेटा, गरीबों का मसीहा, जो गरीबों के लिए जीता है. 10 करोड़ से ज्यादा नल जल हर घर में दिया. शौचालय दिया, बिजली दिया, उज्ज्वला में गैस दिया, प्रधानमंत्री आवास दिया, कोरोना में गरीब कल्याण के तहत सबको अब तक घर में अनाज पहुंचाया जा रहा है. वहीं 18 साल सत्ता में रहने के बाद भी नीतीश कुमार के पास बताने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है. इसलिए पीएम की जाति को लेकर अनाप-शनाप बोल रहे हैं"- गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री

क्या पीएम अति पिछड़ा समाज से नहीं आते?:जेडीयू के दावे पर गिरिराज सिंह ने कहा कि काका कालेकर की रिपोर्ट भले ही लागू नहीं किया गया हो. 1978 में मंडल कमीशन, 1997-98 में तेली समाज के अध्यक्ष की अपील पर लोग अहमदाबाद गए, यह जाति राज्य की सूची में शामिल हुई. 1999 में भारत के बजट में इसे शामिल किया गया. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सच बात तो ये है कि यह लोग डरे हुए हैं. सब जानते हैं कि नरेंद्र मोदी जीते हैं केवल गरीबों के लिए. नीतीश कुमार डर गए हैं, इन सब चीजों से. मैं पूछता हूं कि क्या नीतीश कुमार अब पीएम को सर्टिफिकेट देंगे. यह नीतीश कुमार जिनकी खुद की विश्वसनीयता नहीं है, सामाजिक विश्वसनीयता नहीं है, व्यक्तिगत विश्वसनीयता नहीं है, राजनीतिक विश्वसनीयता नहीं है, यह नीतीश कुमार हताशा में डरे हुए हैं.

सीएम बनने के बाद मोदी ने अपनी जाति को EBC में शामिल कराया?:जेडीयू के नेता आरोप लगा रहे हैं कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने तब उन्होंने अपनी जाति को अति पिछड़ा वर्ग में शामिल कराया था. इस सवाल पर गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार अज्ञानी हो जाएं तो क्या पूरा समाज अज्ञानी हो जाएगा. क्या गजट भी अज्ञानी हो जाएगा. केंद्रीय नरेंद्र मोदी 2002 में मुख्यमंत्री बने, उससे पहले सब कुछ हो गया था. यह किसको बेवकूफ बना रहे हैं.

घांची तेली समाज अति पिछड़ा समाज से नहीं आता था?:गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर जेडीयू के नेता यह कह रहे हैं कि नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले घांची तेली समाज अति पिछड़ा समाज में शामिल नहीं था तो मुझे लगता है कि नीतीश कुमार केवल तेली समाज को गाली देने का काम कर रहे हैं. उनके पास ज्ञान नहीं है. वह जाकर पढ़ें और तेली समाज को गाली देना बंद करें.

प्रधानमंत्री के जाति को लेकर सवाल क्यों?:बार-बार नरेंद्र मोदी की जाति को लेकर सवाल उठाए जाने पर गिरिराज सिंह ने कहा कि उनके (नीतीश कुमार) पास कोई मुद्दा नहीं है. 18 साल में नीतीश कुमार लोगों में विश्वास नहीं बना पाए, विश्वसनीयता नहीं बना पाए. नरेंद्र मोदी चढ़कर कहते हैं कि मैंने यह किया, मैंने कॉरिडोर बनाए, रेलवे बनाया. उनके पास कहने को क्या है? जो कुछ दिखता है वह नरेंद्र मोदी का किया हुआ है. नरेंद्र मोदी की कीर्ति बिहार में भी बोल रही है.

'मो. नीतीश और मो. लालू बोलना चाहिए':वहीं, नवरात्रि में शिक्षकों की ट्रेनिंग को लेकर शिक्षा विभाग के हालिया आदेश की निंदा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि नीतीश कुमार का नाम मोहम्मद नीतीश कुमार और लालू यादव का नाम मोहम्मद लालू यादव रख दिया जाए तो कोई गलती नहीं होगी. यह लोग पहले भी तुगलकी फरमान निकाल चुके हैं. रक्षाबंधन में इनको हिंदुओं ने आइना दिखा दिया था. शिक्षक तो गए स्कूल लेकिन बच्चे नहीं गए, ये लोग तुष्टीकरण करते है. जातीय जनगणना में भी किया मुसलमान को लगभग 18% दिखा दिया. जातियों के नाम पर आरक्षण भी दे रहे है. हिंदुओं को तोड़-तोड़ कर दिखा रहे हैं. गलतफहमी में है. इनको हिम्मत है क्या, किसी मुसलमान के धर्म पर कोई ऐसी तुगलकी फरमान दें. आज हमारे शिक्षक भाई-बहन को इस नवरात्र में उपासना करते हैं. उन्होंने जो तुगलक की फरमान दिया है यह हिंदुओं का अपमान है. तुष्टिकरण है. यह तुगलक्की फरमान एक दिन मोहम्मद नीतीश कुमार के गले का घेग बनेगा.

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