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कोविड के नए स्वरूप 'ओमीक्रोन' की वजह से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में छाई अनिश्चितताः मूडीज

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Published : Nov 29, 2021, 5:39 PM IST

रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक कोविड-19 के ओमीक्रोन स्वरूप ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के परिदृश्य में नई तरह की अनिश्चितता पैदा कर दी है. हालांकि, अभी इससे जुड़े जोखिम का सही से अंदाजा लगाना जल्दबाजी होगा.

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मूडीज

नई दिल्ली : रेटिंग एजेंसी मूडीज का मानना है कि कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रोन की वजह से वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में फिर से अनिश्चितता पैदा हो गई है लेकिन इसके संभावित जोखिम के बारे में अंदाजा लगाना अभी जल्दबाजी होगी.

मूडीज एनालिटिक्स ने सोमवार को ओमीक्रोन स्वरूप पर जारी अपनी एक टिप्पणी में कहा कि वायरस का नया स्वरूप काफी तेज गति से फैलने वाला बताया जा रहा है, लेकिन काफी कुछ इस पर निर्भर करेगा कि इसका प्रसार कितनी तेजी से होता है और कितने लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है और कितने संक्रमित लोगों की इससे मौत होती है?

मूडीज के मुताबिक, 'कोविड-19 के ओमीक्रोन स्वरूप ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के परिदृश्य में नई तरह की अनिश्चितता पैदा कर दी है. हालांकि, अभी इससे जुड़े जोखिम का सही से अंदाजा लगाना जल्दबाजी होगा.'

मूडीज के मुताबिक, इस नए स्वरूप के बारे में तस्वीर साफ होने में कम-से-कम दो हफ्ते का वक्त लगेगा. इसके लिए ओमीक्रोन के प्रसार वाले देशों में इसके संक्रमण की रफ्तार एवं असर पर नजर रखनी होगी।

मूडीज के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) स्टीव कोचरेन ने कहा, 'काफी कुछ इस पर निर्भर करेगा कि इसके संक्रमित हुए कितने लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है और कितने लोगों की मौत होती है? इसके अलावा इस पर कोविड-रोधी टीके एवं एंटी-वायरल दवाओं के असर को भी देखना होगा.'

कोरोना वायरस के इस नए स्वरूप को वैज्ञानिक काफी ज्यादा संक्रामक मान रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसके पहले मामले की पुष्टि दक्षिण अफ्रीका में 24 नवंबर को की थी. इतने कम दिनों में ही 12 अन्य देशों से इसके संक्रमण के मामले सामने आ चुके हैं.

इसके बारे में मूडीज का आकलन है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों को आने वाले हफ्तों में विशेष ध्यान रखना होगा. इसकी वजह यह है कि हांगकांग एवं ऑस्ट्रेलिया में इसके मामले सामने आ चुके हैं.

मूडीज के मुताबिक, खासतौर पर कम टीकाकरण करने वाले देशों पर इसकी मार ज्यादा पड़ने की आशंका होगी. इन देशों की सूची में भारत भी शामिल है.


(पीटीआई-भाषा)

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