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नहीं देखा होगा ऐसा प्रदर्शन, शहर में बना चर्चा का विषय

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Published : Aug 7, 2021, 5:29 PM IST

छत्तीसगढ़ में '10 का मुर्गा..' के बाद एक और अनोखा प्रदर्शन कांकेर से सामने आया है. यहां व्यापारी सड़क चौड़ीकरण के वक्त दुकानें शहर से हटाए जाने के बाद व्यवस्थापन नहीं किए जाने से बेहद नाराज हैं. वह इसके लिए प्रदर्शन करते वक्त सड़क पर ही सो गए.

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कांकेर :छत्तीसगढ़ में '10 का मुर्गा..' के बाद एक और अनोखा प्रदर्शन कांकेर से सामने आया है. यहां आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता और व्यापारी अपनी मांगों को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव करने निकले थे और रात होने पर कार्यालय की सड़क पर ही गद्दा डालकर सो गए.

दरअसल, कांकेर शहर के घड़ी चौक के पास फरवरी 2020 में चौड़ीकरण और सौंदर्यीकरण के नाम पर प्रशासन ने बाजार से कई दुकानों को हटाया था. इसे अब करीब डेढ़ साल का वक्त हो चुका है, लेकिन अब तक प्रभावित व्यापारियों का व्यवस्थापन नहीं किए जाने से वह बेहद नाराज हैं. जिसके बाद व्यापारियों ने शुक्रवार को आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर कांकेर कलेक्ट्रेट का घेराव करने की कोशिश की.

कांकेर में अनोखा प्रदर्शन.

शहर में चर्चा का विषय

अपनी मांगों पर प्रशासन से उचित जवाब नहीं मिलने से नाराज आप कार्यकर्ता और व्यापारी कलेक्ट्रेट जाने वाले मुख्य मार्ग पर ही धरने पर बैठ गए और रात में दरी गद्दा बिछाकर वहीं सो गए. जिसके बाद उनके प्रदर्शन का यह तरीका पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है.

व्यवस्थापन नहीं किए जाने से नाराज व्यापारियों और आप नेताओं ने कहा कि शहर के बीच से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए घड़ी चौक के अतिक्रमणकारियों की दुकानों को प्रशासन ने हटाया था. यह कार्रवाई 24 फरवरी 2020 को की गई थी. डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रभावितों का व्यवस्थापन नहीं किया जा रहा है. तोड़फोड़ की कार्रवाई के दौरान तत्कालीन कलेक्टर ने उन्हें मौखिक रूप से व्यवस्थापन के लिए आश्वासन दिया था.

व्यापारियों ने लगाया ये आरोप

व्यापारियों ने कहा कि पुराने बस स्टैंड में पार्किंग की जगह पर दुकान का निर्माण किया जा रहा है जो कि शहरवासियों के हित में नहीं है. वर्षों से काबिज व्यापारियों की ओर से पट्टे की मांग की जा रही है, लेकिन प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा. वहीं, घड़ी चौक में छह दुकानों को हटाए जाने और दो दुकानों को नहीं हटाने को लेकर व्यापारियों का आरोप था कि दो दुकानें राजनीतिक पहुंच के कारण नहीं हटाई जा ही हैं. प्रभावितों ने कहा कि सभी पर समान रूप से कार्रवाई होनी चाहिए थी.

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