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बाघिन ने बनाया अपने ही तीन शावकों को निवाला, वन्यजीव प्रेमियों की बढ़ी चिंता, बताया कारण

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Published : Jul 25, 2023, 7:40 PM IST

उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क में बाघिन ने अपने ही तीन बच्चों को निवाला बना लिया. घटना ने पार्क प्रशासन समेत वन्यजीवों को परेशानी में डाल दिया है. बाघिन के व्यवहार पर कॉर्बेट पार्क के निदेशक से मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रिपोर्ट मांगी है.

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बाघिन ने बनाया अपने ही तीन शावकों को निवाला

रामनगर (उत्तराखंड):नैनीताल के रामनगर स्थित जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व पार्क में एक बाघिन द्वारा अपने ही शावकों को निवाला बनाने का मामला सामने आया है. इस घटना के बाद से वन विभाग, पशु चिकित्सक और वन्यजीव प्रेमी चिंता में पड़ गए हैं. हालांकि, बाघिन के ऐसे व्यवहार करने का कारण तनाव भी माना जा रहा है. इससे पहले भी ऐसे मामले देखे गए हैं.

कॉर्बेट प्रशासन के अंतर्गत आने वाले ढेला रेंज स्थित रेस्क्यू सेंटर में एक बाघिन ने 17 जुलाई को 2 शावक व 18 जुलाई को एक अन्य शावक को जन्म दिया. तीनों शावक स्वस्थ थे. इस बाघिन को शावकों के जन्म से कुछ दिन पहले ही घायल अवस्था में रेस्क्यू किया गया था. बाघिन को रेस्क्यू सेंटर में उपचार दिया जा रहा था. बाघिन को शिकारियों द्वारा क्लच वायर से बांधा गया था. बाघिन के पेट में जाल फंसा हुआ था. इसके बावजूद भी उसने 3 स्वस्थ शावकों को जन्म दिया था. लेकिन कुछ दिनों बाद दो शावक बीमार हो गए और एक दिन बाघिन ने अपने दोनों बीमार शावकों को निवाला बना लिया.

तीनों शावकों को बनाया निवाला: इस घटना ने कॉर्बेट प्रशासन को हैरत में डाल दिया. घटना के पहले से बाघिन व शावकों की मॉनिटरिंग कर रहे कॉर्बेट प्रशासन के वरिष्ठ चिकित्सकों ने अब मॉनिटरिंग और भी तेज कर दी थी. लेकिन इस बीच 22 जुलाई बाघिन ने अपने तीसरे शावक को भी निशाना बना दिया.
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जानवरों का ह्यूमन टच में आने भी बड़ा कारण: वन्यजीव प्रेमी संजय छिम्वाल का कहना है कि बाघिन द्वारा अपने ही शावकों को निवाला बनाना कोई पहला मामला नहीं है. ऐसे मामले पहले भी अलग-अलग जगहों से सामने आते रहे हैं. हालांकि, वे मामले दुलर्भ जरूर हैं. संजय कहते हैं कि जब मांसाहारी जानवरों को लगता है कि वे अपने बच्चों को आगे पाल नहीं पाएंगे या खुद स्वस्थ नहीं हैं या फिर उनके बच्चे बीमार हैं, तो ऐसी स्थिति में जानवरों द्वारा असुरक्षा के कारण तनाव में ये कदम उठाया जाता है. इसका एक कारण ये भी देखा गया है कि जब जानवर ह्यूमन टच में आने से तनाव में आ जाते हैं तो भी अपने बच्चों को निवाला बना लेते हैं.

वन्यजीव प्रेमी संजय कहते हैं कि इस प्रक्रिया को कैनीबलिस्म (नरमांस-भक्षण) प्रक्रिया कहते हैं. आसान शब्दों में कहा जाए तो जब जानवर एक ही प्रजाति के दूसरे जीव को भोजन के रूप में खा लेते हैं. ऐसे नरमांस-भक्षण पशुओं की 1,500 से अधिक प्रजातियों को पूर्व में दर्ज की गई है. इस मामले में कॉर्बेट पार्क के निदेशक से मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक की ओर से इस विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है. अभी रेस्क्यू सेंटर में रखी बाघिन पूर्ण रूप से स्वस्स्थ है और अच्छा आहार ले रही है.
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