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सदन में पीएम मोदी ने सुनाई थी जिस परिवार की कहानी, अब सुनिए उन्हीं की जुबानी

15 साल पहले की घटना का जिक्र न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गुलाम नबी आजाद की आंखों में आंसू ला दिए, बल्कि गुजरात का वह परिवार भी आंसुओं के सैलाब में डूब गया, जिन्होंने अपने सदस्यों को खोया था. वे लोग 2006 में आतंकी हमले में मारे गए थे. ईटीवी भारत ने उनके परिवार से विशेष बातचीत की.

गुजराती परिवार
गुजराती परिवार

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Published : Feb 11, 2021, 8:50 AM IST

Updated : Feb 11, 2021, 12:23 PM IST

सूरत : जरीवाला परिवार के 36 सदस्य कश्मीर के मैदानी इलाकों की बर्फीली सुंदरता का आनंद लेने के लिए कश्मीर गए हुए थे. 25 मई, 2006 को दो बाइक सवार आतंकवादियों ने जरीवाला परिवार से भरी बस पर हथगोले फेंके. जहां ग्रेनेड गिरे, वहां पर चार बच्चे बैठे थे. इनमें 8 वर्षीय रॉबिन राकेशकुमार जरीवाला, 16 वर्षीय खुशबू नरेंद्र जरीवाला, 8 वर्षीय फेनिल हेमंतभाई जरीवाला और 16 वर्षीय कृष्ण महेशभाई जरीवाला शामिल थे. जरीवाला का परिवार जैसे खत्म हो गया. पूरे देश में इस आतंकी घटना पर दुख व्यक्त किया गया था.

उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे. मोदी और आजाद दोनों ने इस घटना को लेकर फोन पर बात की. जरीवाला परिवार के सदस्यों और बच्चों के शवों को विशेष वायु सेना के विमान से गुजरात वापस लाया गया. घटना को 15 साल बीत चुके हैं, लेकिन अपने प्यारे बच्चों को खोने वाले जरीवाला परिवार के लिए बदलती तारीखें मायने नहीं रखतीं. ईटीवी भारत से बात करते समय आज भी उनका परिवार अपने आंसू नहीं रोक सके.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

किसी ने कल्पना नहीं की थी कि इस घटना का 15 साल बाद संसद में उल्लेख किया जाएगा. घटना को याद करने वाले कोई और नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे. इस घटना को याद कर प्रधानमंत्री भावुक हो गए. साथ ही गुलाम नबी आजाद ने इस घटना का जिक्र किया. दोनों नेताओं को अभी भी घटना याद है और उन्होंने घटना का उल्लेख किया. राज्य सभा के भावनात्मक क्षणों को देखकर, जरीवाला परिवार भी अपने आंसू नहीं रोक पाया.

जरीवाला परिवार ने पीएम और आजाद, दोनों का धन्यवाद किया. रॉबिन की मां भाविका जरीवाला ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय मुख्यमंत्री थे और उन्होंने इस घटना के बाद हम सभी को बुलाया. वह सूरत आए और अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे. उन्होंने उस समय हमें सांत्वना दी थी. एक आतंकवादी घटना में अपनी 16 वर्षीय बेटी खुशबू को खो चुके नरेंद्र जरीवाला ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री और वर्तमान पीएम मोदी कश्मीर के मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद के लगातार संपर्क में थे. वे लगातार संवाद कर रहे थे. यही कारण है कि हमारे बच्चों के शवों को एक विशेष विमान द्वारा यहां लाया गया था.

खुशबू की मां ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में भावुक हो गए, तो उन्हें देखकर हमें पूरी घटना याद आ गई और हम परिवार के सदस्य भी रोने लगे. उस समय हमारे परिवार को ये सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं, जो किसी भी नेता की पहुंच से परे है. आज वे हमारे परिवार के सदस्यों की तरह भावुक हो गए हैं. गुलाम नबी आजाद हमारे साथ वडोदरा आए. गुलाम नबी आजाद बार-बार हमें पानी पिलाने और अपने दुःख में हिस्सेदारी करने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने हमारा बहुत ख्याल रखा.

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त्रासदी में जान गंवाने वाली आठ साल की फेनिल की मां योगिता कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थी. आज भी वह व्यथित और व्याकुल दिख रही थी. पीएम मोदी ने देश की संसद में इस घटना को याद किया और उस समय गुलाम नबी आज़ाद के व्यक्तित्व को प्रस्तुत किया. जरीवाला परिवार ग़ुलाम नबी आज़ाद द्वारा उन कठिन समय में दिए गए तात्कालिक और मानवीय सहयोग और सांत्वना प्रयासों को भी नहीं भूला है.

सूरत में मृतक को श्रद्धांजलि के रूप में एक स्मारक बनाया गया. सूरत शहर 2006 के आतंकी हमले में अपनी जान गंवाने वाले बच्चों को नहीं भूला है. चार मृतक बच्चों के नाम के साथ एक स्मारक सूरत के गोपीपुरा इलाके में एक साल बाद बनाया गया था, जिसमें घटना के बारे में जानकारी लिखी गई है.

Last Updated : Feb 11, 2021, 12:23 PM IST

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