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Sharad Yadav : 'बड़ी मुश्किल से शरद यादव को MP से मधेपुरा लाए थे', कहकर रो पड़े 'दोस्त'

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Published : Jan 13, 2023, 8:51 PM IST

समाजवादी नेता शरद यादव (socialist leader sharad yadav) की राजनीतिक कर्मभूमि मधेपुरा आज शोक में डूबा हुआ है. शरद जी यहां से चार बार सांसद चुने गए थे. उन्होंने मध्यप्रदेश से आकर बिहार के इस पिछड़े जिले को अपनी कर्मभूमि बनाई और उसका उत्थान किया. आज यहां मेडिकल, इंजीनियरिंग काॅलेज, यूनिवर्सिटी, दो-दो एनएच, पुल सबकुछ उन्हीं की बदौलत है. ऐसे में यहां के लोगों के आंखों से निकलती बयां कर रही है कि आज समाजवाद का एक मजबूत स्तंभ ढह गया, जो कभी शोषितों की आवाज हुआ करता था. आइये सुनते है..शरद यादव की कहानी मधेपुरा के लोगों की जुबानी.

Sharad Yadav Etv Bharat
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मधेपुरा स्थित शरद यादव का घर

मधेपुरा:बिहार के मधेपुरा स्थित शरद यादव के घर (Sharad Yadav house in Madhepura ) पर सन्नाटा पसरा हुआ है. मधेपुरा की यह जमीन शरद यादव की राजनीतिक कर्मभूमि रही थी. शरद यादव मधेपुरा से ही चार बार संसद पहुंचे. आज उनके जाने के बाद उनके आवास और उन तमाम जगहों पर विरानी छायी हुई है, जहां कभी उनके रहने से लोगों का जमघट लगा रहता था. उन्हें चाहने वाले लोग मर्माहत हैं. कुछ लोग जिन्होंने उनके साथ काम किया था, पुराने दिन को याद करते ही उनकी आंखों से आंसू छलकते दिखे. लोगों ने इतना ही कहा 'अब चुप हो गई गरीबों की आवाज'.

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काफी प्रयास के बाद आए थे मधेपुराः मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से चार बार सांसद रहे शरद यादव के निधन की खबर सुनकर कर मधेपुरा स्थित शरद यादव के आवास पर सुबह से कार्यकर्ता रोते बिलखते देखे गए. शरद यादव मूल रूप से मध्यप्रदेश के रहने वाले थे, लेकिन उनकी कर्मभूमि बिहार रही. उन्होंने मधेपुरा को अपनी राजनीतिक जमीन के रूप में चुना. पूर्व विधायक परमेश्वरी प्रसाद बताते हैं कि वह छात्र राजनीति के समय से ही शरद यादव के साथ थे. उन्होंने बताया कि मैंने देखा है कि कैसे मध्यप्रदेश के एक युवा नेता को हमलोगों ने यहां लाया और इस पिछड़े क्षेत्र से वह चार बार सांसद बने.

"विद्यार्थी जीवन से ही शरद यादव के साथ जुड़े थे. उनको मध्यप्रदेश से बिहार लाने का बहुत प्रयास किये और वह मधेपुरा आए. यहां से चार बार एमपी बने. उन्होंने बिहार में सैकड़ों लोगों को एमपी-एमएलए बनाया और यहां आठ मुख्यमंत्री बनाने में भी अहम भूमिका निभाई"-परमेश्वरी प्रसाद निराला, पूर्व विधायक मधेपुरा

मधेपुरा जैसे पिछड़े जगह में शरद जी ने बहाई विकास की बयारःपुराने दिनों को याद करते हुए शरद यादव के चुनावी एजेंट रहे डॉ भूपेन्द्र यादव मधेपुरी बताते हैं कि जब भी क्षेत्र में कार्यक्रम के दौरान गरीब, दलित, पिछड़ों की गरीबी को देखते थे तो अपनी गाड़ी रुकवाकर उनसे बात करते थे. आजादी के बाद पहली बार शरद यादव ने मधेपुरा जैसे पिछड़े क्षेत्र में विकास का कार्य किया. शरद यादव जब पहली बार चुनाव जीते थे, तो मधेपुरा में विकास नाम की कोई चीज नहीं थी. शरद यादव की ही देन है कि मधेपुरा को पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल में दो एनएच 106 और 107 मिली थी. उस समय एनएचआई मिनिस्टर बीसी खंडूरी थे.

मधेपुरा में मेडिकल-इंजीनियरिंग काॅलेज शरद यादव की देनःआजादी के बाद मधेपुरा जैसे बिहार के पिछड़े इलाके को राजनीतिक कर्मभूमि बनाने वाले शरद यादव ने यहां समाजवाद के उत्थान के लिए कई सारे काम किए. न सिर्फ मधेपुरा और बिहार में बल्कि पूरे देश में समाजवाद के वह एक मजबूत स्तंभ थे. उन्होंने ही मधेपुरा में विकास की बयार लाई. मधेपुरा में यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, भागलपुर और मधेपुरा के बीच विजय घाट पुल, फुलौत महासेतु का निर्माण करवाया. इसके अलावा मधेपुरा और सहरसा में सैकड़ों पुल पुलिया सहित सड़कों का निर्माण शरद यादव की ही देन है.

मधेपुरा में किया जाए शरद यादव का अंतिम संस्कारः मधेपुरा में उनके करीबियों और कार्यकर्ताओं ने शरद यादव का अंतिम संस्कार करवाने की बात की. शरद यादव के करीबी बिजेंद्र यादव ने कहा कि हमलोगों ने उनके परिवार से बात की है कि कम से कम उनका दाह संस्कार मधेपुरा में कराया जाए. इससे उनकी एक झलक देखने को मिल जाएगी. हमलोगों को क्या पता था कि बीच में छोड़कर वह इस तरह से चले जाएंगे. डाॅ. बीबी प्रभाकर ने कहा कि हमलोग दुख की इस घड़ी में उनके परिवार को सामर्थ्य प्रदान करने की भगवान से कामना करते हैं.

"हमलोग शोक संतप्त हैं. भगवान से प्रार्थना करते हैं कि दुख की इस घड़ी में उनके परिवार को सामर्थ्य प्रदान करें. उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें"- डॉ बीबी प्रभाकर ,प्रदेश महासचिव जेडीयू।

"हमलोग को पता ही नहीं था कि वह इस तरह से बीच में छोड़कर चले जाएंगे. हमलोगों ने उनके परिवार से बात की है कि कम से कम मधेपुरा में उनका दाह संस्कार कराइये"-डॉ बिजेंद्र यादव, शरद यादव के करीबी और जिला अध्यक्ष लोकतांत्रिक जनता दल

दबे-कुचले शोषितों के आवाज थे शरद यादवःशरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए बी एन मंडल यूनिवर्सिटी के सीनेट सदस्य सह केमेस्ट्री के एचओडी डॉ नरेश कुमार ने कहा कि उनके निधन से देश को बहुत बड़ी क्षति हुई है. शरद यादव जीवन पर्यंत दबे कुचले के उत्थान के लिए आवाज उठाते रहे थे, आज जो भी साधारण तबके के लोग समाज के मुख्य धारा में नजर आ रहे हैं उन्हीं का देन हैं. सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक सह शरद यादव के चुनावी एजेंट रहे डॉ भूपेन्द्र यादव मधेपुरी ने कहा कि वे छोटे लोहिया के रूप में जाने जाते थे. आज देश में जो समाजवाद की सुगंध आ रहा है. वह शरद यादव का ही देन है. उन्होंने कहा कि शरद यादव गरीब के प्रति काफी संवेदनशील थे.

"सामाजिक उत्थान में, सामाजिक न्याय की मांग के मुद्दे और आजादी के बाद जो हिंदुस्तान में राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश का जो समय था, उस वक्त के बाद से पूरी राजनीति शरद यादव के ईर्द गिर्द घूमने लाग था. और इस परिस्थिति में शरद जी का जाना सामाजिक न्याय के जितने भी पुरोधा हैं उनके लिए बड़ी क्षति है."-डॉ नरेश कुमार, सीनेट सदस्य बीएन मंडल यूनिवर्सिटी

'शरद यादव एक विचार थे': मधेपुरा में शरद यादव के करीबी उनके निधन से काफी मर्माहत हैं. पूर्व विधायक डाॅ. अरुण कुमार ने कहा कि शरद यादव एक विचार थे. उनके जाने से समाजवाद को पूरे देश में बड़ी क्षति हुए है. वह समाजवाद का असली परिचय देते थे. वहीं जेडीयू के प्रदेश महासचिव बिजेंद्र नारायण यादव ने कहा कि पूरे देश में गरीबों और वंचितों की आवाज खत्म हो गई. शरद यादव सड़क से सदन तक शोषितों की लड़ाई लड़ते थे.

"उनका जाने से राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है. शरद यादव एक विचार थे और समाजवाद के पुरोधा थे. उनके जाने से समाजवाद को बड़ी क्षति हुई है. पूरे देश में उन्हें लोग मानते थे. उनका विचार उत्तम था. वह सब को साथ लेकर चलना चाहते थे. वह समाजवाद का असली परिचय देते थे."-डॉ अरुण कुमार, पूर्व जेडीयू विधायक

"शरद जी के निधन से मधेपुरा सहित पूरे देश में गरीबों और वंचितों को काफी क्षति हुआ है. क्योंकि वह सड़क से सदन तक शोषितों और गरीबों की लड़ाई लड़ते थे और उनकी आवाज थे"- डॉ बिजेंद्र नारायण यादव,प्रदेश महासचिव जेडीयू

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