दिल्ली

delhi

उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ आज महापर्व छठ का समापन, जानें अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 20, 2023, 2:05 AM IST

Updated : Nov 20, 2023, 6:36 AM IST

Second Arghya Of Chhath Puja: लोक आस्था के महापर्व छठ के चौथे और अंतिम दिन आज 20 नवंबर को उदयीमान सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा. दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही छठ का समापन हो जाएगा. छठ के दौरान घाटों में विहंगम दृश्य देखने को मिला.

उगते सूर्य को अर्घ्य आज
उगते सूर्य को अर्घ्य आज

देखें वीडियो

पटना: सूर्योदय से पहले ही लोग अपने-अपने घरों से घाटों को जाने के लिए निकल पड़ते हैं. कृष्णपक्ष के चंद्रमा में होने के चलते आकाश में कालिमा छाई रहती है. जिस घाट से शाम को सूर्यदेव को अर्घ्यदिया गया था, सुबह भी उसी घाट से उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिए जाने की परंपरा है.

ETV Bharat GFX

सूर्य को दूसरा अर्घ्य देने के साथ ही छठ का समापन:छठ के दौरान शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता है. नहाय खाय, खरना, शाम का अर्घ्य और सुबह के अर्घ्य के दौरान शुद्धता और पवित्रता का खास ध्यान रखा जाता है. व्रती बांस से बनी टोकरियों को एक अस्थाई मंडप के नीचे रखते हैं ताकि वह सुरक्षित रहे. इस मंडप को गन्ने की टहनियों से बनाया जाता है.

पूजा के लिए सूप में सजाए गए सामग्री

मंत्रोच्चार से गूंजा वातावरण:साथ ही एक विशेष सांचा बनाकर इसके कोनों को मिट्टी से बने हाथी और दीपक की आकृतियों से संवारा जाता है. व्रती और उनके परिवार के सदस्य नदी या जलाशय में कमर भर पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर के उगने का इंतजार करते हैं. जैसे ही सूर्य की किरणों उदित होती हैं, साड़ी व धोती पहने स्त्री पुरुष सूर्य की आराधना करते हैं. इस दौरान मंत्रोच्चार भी किया जाता है.

भगवान भास्कर के उगने का इंतजार करते छठव्रती

अर्घ्य के समय इन बातों का रखें ख्याल: सूर्य को पूर्व दिशा की ओर मुंह करके अर्घ्य अर्पित करना चाहिए. छठी माई को याद करते हुए महिलाएं अपने परिवार की सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगती हैं और प्रसाद खाकर 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण करती हैं. इसके साथ ही छठ का समापन हो जाता है.

छठ घाट जाने के दौरान दंडवत करती छठव्रती

छठ मनाने के पीछे की मान्यता क्या है?:मान्यताओं के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन है, उनको प्रसन्न करने के लिए इस पर्व को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस बात का जिक्र है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया, दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया.

दंडवत करती छठव्रती का सभी लेते हैं आशीर्वाद

सूर्योदय का समय: सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के चलते इनका नाम षष्ठी पड़ा, जिसे छठी मईया के नाम से भी जाना जाता है. आज सूर्योदय का समय 06:47 बजे है. हालांकि कि विभिन्न स्थानों में समय-समय अलग-अलग हो सकते हैं.

छठ का वैज्ञानिक और औषधीय महत्व:सूर्य को अर्घ्य देने के पीछे रंगों का विज्ञान छुपा है. इंसान के शरीर में रंगों का संतुलन बिगड़ने से भी कई तरह की बीमारियां होती हैं. प्रिज्म के सिद्धांत के अनुसार सुबह सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय शरीर पर पड़ने वाले प्रकाश से रंग संतुलित हो जाते हैं. जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

सूर्य की किरणों से मिलने वाला विटामिन डी शरीर के लिए जरूरी है. वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो षष्ठी के दिन विशेष खगोलीय बदलाव होता है. सूर्य की पराबैंगनी किरणें असामान्य रूप से एकत्र होती हैं और इनके दुष्प्रभावों से बचने के लिए सूर्य की ऊषा और प्रत्यूषा के रहते जल में खड़े होकर छठव्रती पूजा करते हैं.

ये भी पढ़ें:

Chhath Puja 2023 : कौन कहता है छठ सिर्फ हिन्दुओं का पर्व है, मुस्लिम महिलाओं की आस्था और समर्पण देख आप भी हो जाएंगे मुग्ध

Chhath Puja 2023 : पटना में दिखने लगी है छठ की छटा, चार दिवसीय महापर्व को लेकर सज-धज कर तैयार हुआ घाट

Chhath Puja 2023 : छठ पूजा की सामग्रियों में एक है अरता पात, जानिए क्यों इसका निर्माण धार्मिक सद्भावना की मिसाल मानी जाती है

छठ की बहुत याद आ रही है, 'आना चाहते हैं बिहार लेकिन मजबूरी ने हमें रोक रखा

Last Updated : Nov 20, 2023, 6:36 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details