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क्या गुप्त तरीके से रिकॉर्ड की गई बातचीत को तलाक का आधार बनाया जा सकता है ?

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Published : Jan 12, 2022, 10:50 PM IST

अगर पति, बिना पत्नी को बताए आपसी बातचीत रिकॉर्ड कर ले और उसे आधार बनाकर तलाक की अर्जी दे, तो क्या कोर्ट उसे साक्ष्य के तौर पर मान्यता देगा. यह सवाल सुप्रीम कोर्ट के सामने आया. कोर्ट ने याचिकाकर्ता की एसएलपी को स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उनकी दलील को नकार दिया था. हाईकोर्ट ने कहा कि गुप्त तरीके से की गई रिकॉर्डिंग को साक्ष्य नहीं माना जा सकता है. पढ़ें पूरी खबर.

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सुप्रीम कोर्ट

हैदराबाद : क्या पत्नी की जानकारी के बिना टेलीफोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग करना निजता का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़ी एक एसएलपी पर नोटिस जारी किया है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसी गुप्त रिकॉर्डिंग स्वीकार्य नहीं है. याचिकाकर्ता ने इसे ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति विनित सरन और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की बेंच कर रही है.

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि निजता का अधिकार पूर्ण नहीं है. इसे दूसरे अधिकारों और मूल्यों के साथ ही देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि क्योंकि शादीशुदा व्यक्तियों के बीच संचार हुआ है, इसलिए इसका खुलासा किया जा सकता है. उन्होंने साक्ष्य अधिनियम 1872 में उल्लिखित अपवाद का भी जिक्र किया.

अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि वैवाहिक कार्यवाही में दो व्यक्तियों के बीच संचार का खुलासा करने में कोई हर्ज नहीं है. क्योंकि अब तलाक की अर्जी कोर्ट के सामने है, लिहाजा इसमें कुछ भी व्यक्तिगत रहा नहीं. उन्होंने कहा कि मामले में क्रूरता को भी आधार बनाया गया है. ऐसे में जाहिर है, कोर्ट को उन परिस्थितियों को रिक्रिएट करना ही होता है, आखिर क्या हुआ. यहां तक कि शयनकक्ष में क्या हुआ, उसकी भी चर्चा की जाती है. वकील ने कहा कि ऐसे मामलों में कोई गवाह नहीं होता है. इसे दस्तावेज के आधार पर साबित नहीं कर सकते हैं. जाहिर है, इसके बावजूद किसी ने तकनीक का इस्तेमाल करके सामने लाया है, तो इसे स्वीकार किया जा सकता है.

हाईकोर्ट ने क्या कहा था-कोर्ट ने कहा था कि दंपती एक दूसरे से बातचीत करते हैं, वे यह नहीं सोचते हैं कि उनकी हर बातचीत को कोर्ट में खंगाला जा सकता है. उन परिस्थितियों का आकलन करना बहुत ही उचित नहीं होगा, जिसमें एक निश्चित समय पर पति-पत्नी एक विशेष प्रतिक्रिया देते रहते हैं. हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें कोर्ट ने पति द्वारा पत्नी की बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया था, और उसे सबूत मान लिया था. हाईकोर्ट ने कहा कि इसे सबूत के तौर पर स्वीकार करना संभव नहीं है.

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