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26 January Republic Day: 26 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं गणतंत्र दिवस, पढ़ें पूरी खबर

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Published : Jan 22, 2023, 4:57 PM IST

The then President Dr. Rajendra Prasad at the Republic Day celebrations

26 जनवरी 2023 को देश 74 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. इसी दिन हम गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं. इस दिन भारत के राष्ट्रपति तिरंगा क्यों फहराते हैं. इसके पीछे क्या है कारण और कैसी हैं परंपराएं. पढ़ें पूरी खबर..Know Special Things About 26 January

नई दिल्लीःगणतंत्र दिवस की तैयारी देश भर में जारी है. हमारे देश का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था. क्यों है यह खास दिन. राष्ट्रपति ही क्यों फहराते हैं इस दिन तिरंगा. जानें गणतंत्र दिवस को लेकर 12 रोचक तथ्य. इसके अलावा भारत के लिए 26 जनवरी का दिन क्यों महत्वपूर्ण है. इस दिन की क्या-क्या परंपराएं हैं.

दरबार हॉल, गवर्नमेंट हाउस, नई दिल्ली में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद का शपथ ग्रहण समारोह

1. आपको बता दें कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया था, इसे ही 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया.

गवर्नमेंट हाउस, नई दिल्ली में सरदार पटेल के साथ सी. राजगोपालाचारी

2. गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी 1950 को पहली बार देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने तिरंगा फहराया था. 21 तोपों की सलामी पहली बार दी गई थी.

राष्ट्रपति भवन में डॉ. राजेंद्र प्रसाद, राखी बंधवाते हुए

3. गणतंत्र दिवस पर पहली बार विदेशी मेहमानों को बुलाने की परंपरा की शुरुआत भी उसी समय से शुरू हुई.

पंडित नेहरू के साथ सी. राजगोपालाचारी

4. स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर संविधान के लागू होने तक 26 जनवरी की तारीख काफी महत्वपूर्ण रहा है. 31 दिसंबर 1929 को कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में पारित प्रस्ताव में भारत के लिए पूर्ण स्वराज की मांग उठी. इस दौरान कहा गया कि अगर 26 जनवरी 2030 तक भारत को स्वराज का दर्जा नहीं दिया गया, तो भारत को पूर्ण स्वतंत्र घोषित कर दिया जाएगा. बता दें कि आजादी से पहले 26 जनवरी 2030 को पहली बार स्वतंत्रता दिवस मनाया गया. इसी दिन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तिरंगा फहराया था. इस तरह से आजादी मिलने से पहले ही 26 जनवरी के दिन औपचारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस मनाया गया.

राष्ट्रपति भवन बैंड रेजीमेंट के साथ राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद

5. 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू हुआ था. इस तिथि को महत्व देने के लिए 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया. इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया.

गवर्नमेंट हाउस फोरकोर्ट में गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण करते डॉ. राजेंद्र प्रसाद

6. 1950 को देश के पहले भारतीय गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 26 जनवरी के दिन भारत को एक संप्रभुत्व लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया.

राज्यपाल सम्मेलन के उद्घाटन से पूर्व राज्यपालों के साथ ग्रुप फोटो

7. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद को 26 जनवरी 1950 को देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई गई और उन्हें तोपों की सलामी दी गई. इसके बाद से तोपों की सलामी की परंपरा शुरू हुई.

राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद असम के नागा जनजातियों के साथ मुगल गार्डन, राष्ट्रपति भवन में

8. 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) के मौके पर लाल किले पर समारोह होता है, जिसमें प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं. वहीं 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) के अवसर पर राजपथ (कर्तव्य पथ) पर समारोह समारोह होता है. इस अवसर पर देश के संवैधानिक प्रमुख तिरंगा फहराते हैं.

राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद अशोक हॉल, राष्ट्रपति भवन में एक सभा को संबोधित करते हुए

9. पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह 26 जनवरी 1950 को इर्विन स्टेडियम में हुई था, जो इन दिनों नेशनल स्टेडियम के नाम से जाना जाता है.

दरबार हॉल, गवर्नमेंट हाउस, नई दिल्ली में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद का शपथ ग्रहण समारोह

10. वर्ष 1950 से 1954 तक गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन स्थल बदलता रहा. इस दौरान यह आयोजन इर्विन स्टेडियम, राजपथ, लाल किला और किंग्सवे कैंप में आयोजन किया गया.

तत्कालीन गवर्नर जनरल को विदाई देते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद, साथ में पीएम नेहरू भी हैं

11. राजपथ पर पहली बार साल 1955 में गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन किया गया. परेड ने 8 किलोमीटर की दूरी तय की थी. परेड रायसीना हिल्स से शुरू हुआ. राजपथ, इंडिया गेट होते हुए लाल किले पर जाकर खत्म हो गया.

राष्ट्रपति भवन में सेना प्रमुखों के साथ पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद

12. साल 2021 से पहले सवा लाख लोग गणतंत्र दिसव परेड देखते थे. साल 2021 में कोरोना संकट के कारण इसकी संख्या घटा दी गई है. अब 45 हजार के आसपास लोगों को ही आने की इजाजत है.

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