दिल्ली

delhi

Rajnath Singh Sri Lanka visit postpone : राजनाथ सिंह का श्रीलंका दौरा स्थगित, क्या इसके जरिए नई दिल्ली ने कोलंबो को दिया संदेश?

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 3, 2023, 6:58 PM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की श्रीलंका यात्रा अंतिम समय में स्थगित हो गई. ऐसा लगता है कि नई दिल्ली ने द्वीप राष्ट्र को एक मैसेज देने के लिए किया है, क्योंकि उसने एक और चीनी जहाज को अपने जलक्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दी थी. ईटीवी भारत के अरुणिम भुइयां की रिपोर्ट.

Etv Bharat
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (

नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) की श्रीलंका यात्रा अंतिम समय में स्थगित हो गई. दरअसल भारत के दक्षिणी पड़ोसी ने एक और चीनी जहाज को अपने जल में प्रवेश करने की अनुमति दी है.2-3 सितंबर को होने वाली यात्रा से पहले, रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार देर शाम एक बयान जारी कर यात्रा स्थगन की घोषणा की (Rajnath Singh Sri Lanka visit postpone).

मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि 'अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की श्रीलंका यात्रा को बाद की तारीख के लिए स्थगित कर दिया गया है. राजनाथ सिंह भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत द्विपक्षीय सहयोग के लिए प्रतिबद्ध हैं. वह जल्द से जल्द संभावित समय सीमा में द्वीप राष्ट्र का दौरा करने के लिए उत्सुक हैं.'

अपनी यात्रा के दौरान, राजनाथ सिंह का श्रीलंका के राष्ट्रपति और रक्षा मंत्री रानिल विक्रमसिंघे और प्रधान मंत्री दिनेश गुणवर्धने के साथ बातचीत करने का कार्यक्रम था. राजनाथ सिंह को मध्य श्रीलंका के नुवारा एलिया और देश के पूर्वी हिस्से में स्थित त्रिंकोमाली का भी दौरा करना था.

उनकी यात्रा कोलंबो बंदरगाह पर भारतीय नौसेना के पहले स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित निर्देशित मिसाइल विध्वंसक आईएनएस दिल्ली के डॉकिंग पर भी होनी थी. राजनाथ सिंह को जहाज पर विक्रमसिंघे और अन्य श्रीलंकाई गणमान्य व्यक्तियों की मेजबानी करनी थी.

अब, यात्रा को स्थगित करके, नई दिल्ली ने एक और चीनी जहाज को द्वीप राष्ट्र के जल में प्रवेश करने की अनुमति देने के लिए कोलंबो को अपनी नाराजगी का एक सूक्ष्म संदेश भेजा है.

भारत के लगातार विरोध के बावजूद श्रीलंका चीनी नौसैनिक जहाजों को अपने जल क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दे रहा है. देश के रक्षा मंत्रालय ने पिछले महीने विदेश मंत्रालय के अनुरोध के बाद शि यान 6 को अपने जल क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दे दी, जिसके बारे में राष्ट्रीय जलीय संसाधन अनुसंधान और विकास एजेंसी (NARA) की ओर से दावा किया जाता है कि यह एक अनुसंधान पोत है.

जहाज की क्षमता 1,115 डीडब्ल्यूटी :चीन के झंडे के नीचे चलने वाले इस जहाज की वहन क्षमता 1,115 डीडब्ल्यूटी है. यह 90.6 मीटर लंबा और 17 मीटर चौड़ा है. चीन के राज्य प्रसारक सीजीटीएन के अनुसार, शि यान 6 एक वैज्ञानिक अनुसंधान पोत है जिसमें 60 लोगों का दल है जो समुद्र विज्ञान, समुद्री पारिस्थितिकी और समुद्री भूविज्ञान परीक्षण करता है. लेकिन असल बात तो यह है कि ऐसे अधिकांश चीनी जहाजों का सैन्य उद्देश्य भी होता है.

जहाज 26 अक्टूबर को श्रीलंका पहुंचेगा और कोलंबो और हंबनटोटा बंदरगाहों पर उतरेगा. यह 17 दिनों तक रहेगा और शोध कार्य करेगा. श्रीलंका भारत को आश्वस्त करने की कोशिश कर रहा है कि चीनी जहाज को केवल NARA अधिकारियों की उपस्थिति में अनुसंधान कार्य करने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन ऐसा लगता है कि नई दिल्ली इससे प्रभावित नहीं हुई है.

पिछले महीने भी, अनुसंधान पोत होने का दावा करने वाला एक चीनी जहाज कथित तौर पर रिप्लेसमेंट के लिए कोलंबो बंदरगाह पर खड़ा हुआ था. हाओ यांग 24 हाओ वास्तव में एक चीनी युद्धपोत निकला. 129 मीटर लंबे जहाज पर 138 लोगों का दल सवार है और इसकी कमान कमांडर जिन शिन के पास है.

2022 में, जब युआन वांग 5 नामक एक चीनी सर्वेक्षण जहाज को हंबनटोटा बंदरगाह पर डॉक करने की अनुमति दी गई थी, तो भारत ने कड़ा विरोध किया था. हालांकि जहाज को एक अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाज के रूप में वर्णित किया गया था, सुरक्षा विश्लेषकों ने कहा कि यह अंतरिक्ष और उपग्रह ट्रैकिंग इलेक्ट्रॉनिक्स से भी भरा हुआ था जो रॉकेट और मिसाइल प्रक्षेपण की निगरानी कर सकता है. आर्थिक संकट के बीच देश छोड़कर भागने से एक दिन पहले तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने जहाज को डॉक करने की अनुमति दी थी.

पर्यवेक्षकों का कहना है कि चीन हिंद महासागर क्षेत्र में आने का अपना अधिकार दिखाने की कोशिश कर रहा है. वह इस क्षेत्र के उन देशों पर अपना प्रभाव दिखाने की कोशिश कर रहा है, जो हमेशा से भारत के प्रभाव क्षेत्र में रहे हैं.

इस साल जुलाई में अपनी भारत यात्रा के दौरान, राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने अपने द्वीप राष्ट्र के जल क्षेत्र में चीनी नौसैनिक जहाजों की मौजूदगी के बारे में नई दिल्ली की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की थी. विक्रमसिंघे ने कहा कि उनके देश ने यह निर्धारित करने के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) अपनाई है कि किस तरह के सैन्य और गैर-सैन्य जहाजों और विमानों को देश में आने की अनुमति दी जाएगी.

एसओपी को भारत के अनुरोध के बाद अपनाया गया था लेकिन इसका विवरण अभी तक सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध नहीं है. अमेरिका भी सुरक्षा और रणनीतिक कारणों से श्रीलंका पर चीनी नौसैनिक जहाजों को अपने जल क्षेत्र में अनुमति न देने का दबाव बना रहा है.

हालांकि विक्रमसिंघे का दावा है कि उनका देश किसी भी प्रमुख शक्ति प्रतिद्वंद्विता में शामिल हुए बिना एशिया-केंद्रित तटस्थ विदेश नीति बनाए रखता है, बाहरी ऋण दायित्वों और पिछले साल आर्थिक संकट के कारण कोलंबो नई दिल्ली और बीजिंग दोनों के साथ समान रूप से अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए मजबूर है.

लेकिन मामले की सच्चाई यह है कि बीजिंग के भारी निवेश के कारण श्रीलंका उसके जहाजों को अपने जलक्षेत्र तक पहुंच की अनुमति देने के अनुरोध को अस्वीकार नहीं कर सकता है.

भारत उस क्वाड का हिस्सा है जिसमें अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं जो क्षेत्र में चीन के आधिपत्य के मुकाबले स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिए काम कर रहा है. इसीलिए हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा के बड़े रणनीतिक निहितार्थ हैं.

न केवल भारत के लिए, बल्कि श्रीलंका में विदेश नीति और विकास के संदर्भ में कोलंबो जो करता है उसका हिंद महासागर तक अन्य प्रमुख शक्तियों की पहुंच पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. अब राजनाथ सिंह का दौरा टलने से कोलंबो को नई दिल्ली का मूड समझ में आ गया होगा.

ये भी पढ़ें

Rajnath Singh Sri Lanka visit postponed : राजनाथ सिंह की दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा स्थगित

जैसे-जैसे चीन सैन्य ताकत बढ़ा रहा, भारत के लिए श्रीलंका को आर्थिक और रक्षा क्षेत्रों में शामिल करना महत्वपूर्ण: विशेषज्ञ

ABOUT THE AUTHOR

...view details