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Rajasthan Assembly Election: मध्य प्रदेश की तरह ही राजस्थान में भी चौंका सकती है भाजपा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 29, 2023, 3:43 PM IST

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय नेताओं को चुनावी मैदान में उतारकर एक नया एक्सपेरिमेंट करने जा रही है. वहीं राज्यस्थान विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिल सकता है. पढ़ें इसे लेकर ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवादाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

BJP's preparation for Rajyasthan assembly elections
राज्यस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तैयारी

राज्यस्थान विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी की तैयारी

नई दिल्ली: जिस तरह बीजेपी ने मध्य प्रदेश में सात केंद्रीय नेताओं को चुनावी मैदान में उतारकर सबको चौंका दिया है. ऐसा ही कुछ अलग फॉर्मूला राजस्थान में भी देखने को मिल सकता है. बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को देर रात तक बैठक कर राजस्थान चुनाव के लिए पार्टी की दशा और दिशा तैयार कर दी. यही वजह है कि पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेताओं ने पहले कुछ मिनट राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी अलग से मुलाकात की.

सूत्रों की माने तो बीजेपी किसी भी एक मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर चुनावी मैदान में नहीं उतरेगी और पूरे राजस्थान को 7 जोन में बांटकर दूसरे राज्यों के नेताओं को भी जिम्मा सौंपा गया है. राजस्थान में बीजेपी फिलहाल सत्ता से बाहर है और अगले विधानसभा चुनाव में वापसी के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है. पार्टी की पूरी चिंता प्रदेश में मौजूद पार्टी के अंदर अलग-अलग धड़े को लेकर है.

सूत्रों की माने तो यही वजह है कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के इन दोनों वरिष्ठ नेताओं ने बुधवार देर तक चली बैठक में ये साफ संदेश दिया है कि चुनाव किसी एक चेहरे पर नहीं बल्कि अलग-अलग चेहरों को उतार कर लड़ा जाएगा और जो अपने क्षेत्र में जितनी काबिलियत दिखायेगा उसकी उतनी सुनी जाएगी. सूत्रों की माने तो पार्टी, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ भी चुनाव लड़ाने पर विचार कर सकती है.

हालांकि वसुंधरा राजे इस पर तैयार होंगी या नहीं इस पर संशय की स्थिति बनी हुई है, मगर पार्टी इस पहलू पर भी विचार कर सकती है. वहीं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल समेत कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर और दिया कुमारी को भी पार्टी चुनाव में उतार सकती है. पहली लिस्ट आने से पहले ही बीजेपी के दोनों वरिष्ठ नेताओं ने राज्य के सभी नेताओं की राय जान ली है. सूत्रों की माने तो बीजेपी के नेताओं ने साफ कर दिया है कि किसी भी सूरत में पार्टी का अनुशासन भंग नहीं होना चाहिए.

जिस तरह से राजस्थान में प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बार-बार ये बात दोहराई कि मोदी का मतलब गारंटी, यदि ये बात आपको मोदी कह रहा तो ये पूरी होगी. उससे कहीं न कहीं ये साफ हो चुका है कि पार्टी केंद्रीय नेतृत्व के नाम पर ही वोट मांगेगी और पूरे राजस्थान को सात जोन में बांटकर अलग-अलग राज्य के नेताओं को जिम्मा भी सौंपा गया है, जिनमें हरियाणा के विधायक असीम गोयल, पंजाब बीजेपी के उपाध्यक्ष सुभाष शर्मा, हरियाणा से विधायक सत्यप्रकाश जरवाता शामिल हैं.

इसके अलावा राष्ट्रीय सचिव नरेंद्र सिंह, हरियाणा विधायक महिपाल, संदीप जोशी, हिमाचल के प्रदेश महासचिव सिधारतन, केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह, डॉक्टर अनिल जैन और गोविंद गुप्ता, सीमा दुग्गल, नायब सैनी और ओमप्रकाश धनखड़ को भी अलग-अलग जोन का इंचार्ज बनाया गया है. हालांकि पार्टी ने ये साफ तो कर दिया है कि वो वसुंधरा के नेतृत्व में चुनाव नही लड़ेगी.

मगर जिस तरह वसुंधरा के करीबी देवी सिंह भाटी, जिन्होंने शर्त रखी थी कि वसुंधरा के मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी की घोषणा की जाए. अब वो पार्टी में वापस आ चुके हैं और वहीं शाह और नड्डा के जयपुर से आने के बाद दिग्गज नेता वसुंधरा राजे जिस तरह क्षेत्र में सक्रिय है, उसे देखकर चुनाव परिणाम के बाद के अश्वशनों पर भी चर्चा गरम है.

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