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स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना समाज और सरकार की जिम्मेदारी : कोविंद

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Published : May 4, 2022, 10:44 PM IST

Promotion of local languages responsibility of society and govt says Kovind
स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना समाज और सरकार की जिम्मेदारी : कोविंद

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने असम के तामुलपुर में बोडो साहित्य सभा (बीएसएस) के 61वें वार्षिक सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना समाज और सरकार की जिम्मेदारी है.

गुवाहाटी:राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देना समाज और सरकार की जिम्मेदारी है. वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है. पश्चिमी असम के तामुलपुर में बोडो साहित्य सभा (बीएसएस) के 61वें वार्षिक सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि बीएसएस ने पिछले 70 वर्षों में बोडो भाषा, साहित्य और संस्कृति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

यह देखते हुए कि अब तक 17 लेखकों को बोडो भाषा में उनके कार्यों के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. कोविंद ने कहा कि उनमें से 10 को कविता के लिए सम्मानित किया गया है और यह बोडो लेखकों के बीच कविता के प्रति स्वाभाविक झुकाव को दर्शाता है. उन्होंने बीएसएस से महिला लेखकों को प्रोत्साहित करने का आग्रह करते हुए कहा, 'कई महिलाएं बोडो साहित्य की विभिन्न विधाओं में लिख रही हैं.

लेकिन यह भी देखा गया है कि वरिष्ठ लेखकों में केवल दो महिलाएं ही हैं, जिन्हें मूल काम के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है. किसी भी साहित्य को जीवंत और प्रासंगिक बनाए रखने के लिए युवा पीढ़ी की भागीदारी बहुत जरूरी है. इसलिए युवा लेखकों को भी बीएसएस द्वारा विशेष प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए.' कोविंद ने विश्वास व्यक्त किया कि इस तरह के अनुवादित साहित्य से बोडो भाषा के पाठकों को अन्य भारतीय भाषाओं के साथ-साथ विश्व साहित्य से परिचित होने का अवसर मिलेगा. राष्ट्रपति ने असम सरकार से बोडो भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करने की अपील की.

कोविंद ने सभा को बताया कि वह राज्य सभा के सदस्य होने के बाद से बोडो भाषा से परिचित हैं. उन्होंने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तब बोडो भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया था. राष्ट्रपति ने कहा कि बीएसएस के संस्थापक-अध्यक्ष जॉय भद्र हागजर और महासचिव सोनाराम थोसेन ने बोडो भाषा को मान्यता देने के लिए सराहनीय प्रयास किए हैं. उन्होंने कहा कि इस सभा ने स्कूली शिक्षा के माध्यम और उच्च शिक्षा में स्थान के रूप में बोडो भाषा के उपयोग में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

कोविंद पहले राष्ट्रपति हैं जिन्होंने बीएसएस की बैठक में भाग लिया और उसे संबोधित किया. बीएसएस का तीन दिवसीय सम्मेलन सोमवार को शुरू हुआ और इसमें देश-विदेश से कई हजार प्रतिनिधियों ने भाग लिया। असम के अलावा, बोडो भाषा बोलने वाले लोग बांग्लादेश, नेपाल, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और पश्चिम बंगाल में बड़ी संख्या में रहते हैं.

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असम साहित्य सभा से प्रेरित होकर 1952 में साहित्य, संस्कृति और भाषा के विकास के लिए बीएसएस का गठन किया गया था. बोडो (या बोरोस) कभी पूर्वोत्तर में एक शक्तिशाली और प्रभावशाली जाति थी. जनवरी 2020 में केंद्र, असम सरकार और चार बोडो उग्रवादी संगठनों के बीच बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद असम सरकार ने 2020 में बोडो भाषा को राज्य की सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी. असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, उनके मेघालय और सिक्किम समकक्ष कोनराड के. संगमा और प्रेम सिंह तमांग और बांग्लादेश और नेपाल के गणमान्य व्यक्तियों ने बीएसएस के मेगा कार्यक्रम में भाग लिया.

(आईएएनएस)

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