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संपत्ति, बैंक खाते अस्थायी रूप से जब्त करने की शक्ति निरंकुश प्रकृति की है : उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी व्यक्ति के बैंक खाते सहित संपत्ति को अस्थायी रूप से कर्क करने का आदेश देने की शक्ति ठोस साक्ष्य पर आधारित होना चाहिए. यह शक्ति निरंकुश प्रकृति की है.

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Published : Apr 20, 2021, 8:25 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी व्यक्ति के बैंक खाते सहित संपत्ति को अस्थायी रूप से कर्क करने का आदेश देने की शक्ति निरंकुश प्रकृति की है और इसे ठोस साक्ष्य पर आधारित होना चाहिए.

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने कहा कि आयुक्त को इस विचार के साथ संपत्ति जब्त करने का आदेश देने की शक्ति होनी चाहिए कि सरकारी राजस्व के हित में ऐसा करना आवश्यक है.

पीठ ने कहा, संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क करने का आदेश देने से पहले आयुक्त को ठोस साक्ष्यों के आधार पर इस पर विचार करना चाहिए कि ऐसा करना सरकारी राजस्व की रक्षा के हित में है.

इसने यह भी स्पष्ट किया कि सरकारी राजस्व की रक्षा के लिए ऐसा करना जरूरी है का मतलब है कि संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिए बगैर इसकी रक्षा नहीं की जा सकती है.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि आयुक्त को कुर्क करने पर उचित आदेश पारित करना चाहिए और जिस करदाता व्यक्ति की संपत्ति कुर्क की जा रही है उसे इस बारे में अवश्य जानकारी दी जानी चाहिए.

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उच्चतम न्यायालय का आदेश हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ आया है जिसने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर रिट आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क करने को चुनौती दी गई थी.

याचिकाकर्ता राधाकृष्ण इंडस्ट्रीज ने हिमाचल प्रदेश में परवानू के कर एवं उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त के 28 अक्टूबर 2020 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें ग्राहकों से मिलने वाली राशियों पर अस्थायी रूप से रोक लगाई गई थी.

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