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उत्तराखंड: सोमनाथ से राममंदिर तक का जिक्र कर बरसे PM, बोले- क्या हुआ था... सब जानते हैं

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Published : Oct 21, 2022, 7:35 PM IST

भारत के आखिरी गांव माणा में जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी की मानसिकता की वजह से आस्था के केंद्रों की उपेक्षा की गई. वहीं, इशारों ही इशारों में पीएम मोदी ने किसी का नाम लिए बिना सोमनाथ मंदिर पुनर्निर्माण से लेकर राम मंदिर तक का जिक्र किया.

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देहरादून:शुक्रवार को उत्तराखंड के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा केदार और भगवान बदरी के दरबार में हाजिरी लगाते हुए यहां पूजा अर्चना की. जिसके बाद पीएम ने केदारनाथ तक बनने वाले रोप-वे की आधारशिला भी रखी. वहीं, इसके बाद भारत-चीन सीमा पर बसे आखिरी गांव माणा में पीएम मोदी ने एक जनसभा को संबोधित भी किया. इस दौरान पीएम मोदी ने देश में सांस्कृतिक और आस्था के केंद्रों की उपेक्षा के लिए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा.

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि गुलामी की मानसिकता की वजह से आस्था के केंद्रों की उपेक्षा की गई. वहीं, इशारों ही इशारों में पीएम मोदी ने किसी का नाम लिए बिना सोमनाथ मंदिर पुनर्निर्माण से लेकर राम मंदिर तक का जिक्र किया. पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के विकसित भारत के निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ हैं. पहला अपनी विरासत पर गर्व और दूसरा विकास के लिए हर संभव प्रयास.

सोमनाथ से राममंदिर तक का जिक्र कर बरसे PM

पढ़ें-पीएम मोदी का केदारनाथ दौरा: आधा घंटा की पूजा, 1267 करोड़ के रोपवे का किया शिलान्यास

पीएम मोदी ने कहा कि देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर उन्होंने लाल किले पर एक आह्वान किया, गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति का. क्योंकि आजादी के इतने वर्षों बाद भी, हमारे देश को गुलामी की मानसिकता ने ऐसा जकड़ा हुआ है कि प्रगति का कुछ कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है.

पीएम मोदी ने कहा कि लंबे समय तक हमारे यहां आस्था स्थलों के विकास को लेकर नफरत का भाव रहा. विदेशों में वहां के सांस्कृतिक स्थलों की तारीफ करते ये लोग नहीं थकते थे, लेकिन भारत में इस प्रकार के काम को हेय दृष्टि से देखा जाता था. इसकी वजह थी अपनी संस्कृति को लेकर हीन भावना, अपने आस्था अस्थलों पर अविश्वास, विरासत से विद्वेष. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सोमनाथ मंदिर के निर्माण के समय क्या हुआ था वह हम सब जानते हैं. इसके बाद राम मंदिर के निर्माण के समय, इतिहास से हम सब परिचित हैं.

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