दिल्ली

delhi

विपक्ष राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार नहीं दे सका तो वह पीएम के लिए कैसे देगा : शिवसेना

By

Published : Jun 17, 2022, 1:01 PM IST

Updated : Jun 17, 2022, 1:08 PM IST

शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि लोग पूछ सकते हैं कि अगर विपक्ष आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक मजबूत उम्मीदवार नहीं दे सकता है तो वह एक सक्षम प्रधानमंत्री कैसे देगा. साथ ही लिखा है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए सामने आने वाले नाम में कोई व्यक्तित्व या कद नहीं है जिसके दम पर मजबूती से चुनावी लड़ाई लड़ी जा सके.

शिवसेना का मुखपत्र सामना
शिवसेना का मुखपत्र सामना

मुंबई :शिवसेना ने शुक्रवार को कहा कि लोग पूछ सकते हैं कि अगर विपक्ष आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक मजबूत उम्मीदवार नहीं दे सकता है तो वह एक सक्षम प्रधानमंत्री कैसे देगा. अपने मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में पार्टी ने कहा कि महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी और नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, "राष्ट्रपति चुनाव के दौरान आम तौर पर सामने आने वाले नाम" में कोई व्यक्तित्व या कद नहीं है जिसके दम पर मजबूती से लड़ाई लड़ी जा सके.

दूसरी ओर सरकार के भी "उज्ज्वल" उम्मीदवार के साथ आने की संभावना नहीं है, पार्टी ने कहा, पांच साल पहले दो-तीन लोगों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नाम को शॉर्टलिस्ट किया और इस साल भी उनके द्वारा ऐसा किए जाने की संभावना है. राष्ट्रपति कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है और उनके उत्तराधिकारी को खोजने के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा. राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया बुधवार को शुरू हुई. राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों के चयन के लिए सत्रह विपक्षी दल जिनमें कांग्रेस, द्रमुक, राकांपा और समाजवादी पार्टी ने 15 जून को दिल्ली में बैठक हुई. जिसको पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के खिलाफ एक संयुक्त उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए बुलाया था.

इन पार्टियों के नेताओं ने राकांपा सुप्रीमो शरद पवार से राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना संयुक्त उम्मीदवार बनाने का भी आग्रह किया, लेकिन दिग्गज नेता ने बैठक में इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. पवार द्वारा 20 या 21 जून को मुंबई में विपक्षी दलों की दूसरी बैठक बुलाई जाएगी. सूत्रों ने कहा, "पवार नहीं तो कौन? इस सवाल का जवाब छह महीने पहले खोजने का काम किया गया होता तो यह इस चुनाव के लिए विपक्ष की गंभीरता को प्रदर्शित करता. अगर विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक मजबूत उम्मीदवार नहीं खड़ा कर सकता है, तो वह 2024 में एक सक्षम प्रधानमंत्री कैसे देगा. यह सवाल लोगों के मन में उठेगा.

पार्टी ने कहा कि अगर 2024 में विपक्षी प्रधान मंत्री के लिए संख्या बढ़ जाती है, तो कतार में कई दूल्हे होंगे, लेकिन वे राष्ट्रपति चुनाव से बचते हैं. ममता बनर्जी के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव आगामी लोकसभा चुनाव-2024 के लिए वार्म अप प्रतियोगिता है. विपक्ष को इसे (राष्ट्रपति चुनाव लड़ने) गंभीरता से लेना चाहिए. पार्टी ने कहा कि राष्ट्रपति केवल रबर स्टैंप नहीं है बल्कि संविधान के रक्षक और न्यायपालिका के संरक्षक हैं.

न्यायपालिका और प्रशासन सत्ता में बैठे लोगों के सामने घुटने टेक रहे हैं. देश में सांप्रदायिक दरार बढ़ रही है. ऐसे में क्या राष्ट्रपति चुप रह सकते हैं? लेकिन राष्ट्रपति इस पर कोई स्टैंड नहीं लेते हैं. यह देश की अखंडता के लिए खतरनाक है. संपादकीय ने राष्ट्रपति कोविंद का नाम लिए बिना कहा. पार्टी ने कहा कि राष्ट्रपति तीनों सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर हैं, न्यायपालिका के प्रमुख हैं और कुर्सी पर बैठने वाले को देश को दिशा देनी है. लेकिन पिछले कुछ समय से वह अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी नहीं कर पाए हैं.

यह भी पढ़ें-President election : पवार की मनाही के बाद फारूख अब्दुल्ला और गोपाल कृष्ण गांधी के नाम पर विचार

पीटीआई

Last Updated : Jun 17, 2022, 1:08 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details