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तारीख पर तारीख! सुनवाई के इंतजार में कई अहम केस, बढ़ता जा रहा याचिकाओं का पहाड़

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Published : Aug 9, 2022, 2:31 PM IST

Updated : Aug 9, 2022, 3:42 PM IST

उच्चतम न्यायालय में 71 हजार से अधिक मामले लंबित हैं जिनमें 10,491 मामले दस साल से अधिक समय से लंबित हैं. ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसमें कहा गया है कि 1 अगस्त, 2022 तक कुल 71,411 मामले लंबित हैं, जिसमें 492 संवैधानिक पीठ के मामले शामिल हैं. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना, जो 26 अगस्त, 2022 को सेवानिवृत्त होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, ने कुछ महत्वपूर्ण मामलों को भी निपटाया है, जिसमें निर्णय प्रतीक्षित हैं.

Kiren Rijiju news today
किरेन रिजिजू

नई दिल्ली : केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में एक कार्यक्रम में भारतीय न्यायपालिका में लंबित मामलों की बढ़ती संख्या के मुद्दे पर चर्चा की. उन्होंने संसद के सत्र में भी निचली अदालतों, उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मामलों का चार्ट पेश किया था. मंत्री के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय में 71 हजार से अधिक मामले लंबित हैं जिनमें 10,491 मामले दस साल से अधिक समय से लंबित हैं. ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसमें कहा गया है कि 1 अगस्त, 2022 तक कुल 71,411 मामले लंबित हैं, जिसमें 492 संवैधानिक पीठ के मामले शामिल हैं. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना, जो 26 अगस्त, 2022 को सेवानिवृत्त होने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं, ने कुछ महत्वपूर्ण मामलों को भी निपटाया है, जिसमें निर्णय प्रतीक्षित हैं.

उनकी सेवानिवृत्ति में केवल 10 कार्य दिवस रह गए हैं. ऐसे में सभी मामलों में फैसला तुरंत आने की अब संभावना भी नहीं है, क्योंकि कुछ मामलों में सुनवाई अभी बाकी है. प्रमुख मामलों में से एक अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के संबंध में है. केंद्र सरकार के फैसले के बाद लेख को निरस्त करने का निर्णय, 2019 में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं का गुच्छा दायर किया गया था, इसे असंवैधानिक बताते हुए फैसले को चुनौती दी गई थी.

प्रमुख मामलों में से एक अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के संबंध में है. केंद्र सरकार के फैसले के बाद लेख को निरस्त करने का निर्णय, 2019 में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं को दायर किया गया था, इसे असंवैधानिक बताते हुए फैसले को चुनौती दी गई थी. सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस आरएस रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की 5 जजों की संविधान पीठ ने मामले की आंशिक सुनवाई की थी. पिछली सुनवाई 2 मार्च, 2020 को हुई थी और तब से यह मामला शीर्ष अदालत में लंबित है.

वहीं, सीजेआई के सामने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट, पेगासस स्नूपगेट कांड और रोड शो के दौरान पंजाब में पीएम नरेंद्र मोदी की सुरक्षा भंग के संबंध में याचिकाएं भी शामिल हैं. सुप्रीम कोर्ट में कुछ अन्य लंबित मामले हैं, जिनमें सीएए की संवैधानिकता को लेकर याचिकाएं भी हैं. इसके साथ ही चुनावी बॉन्ड योजना से जुड़ी याचिकाएं हैं. वहीं, नागरिकता संशोधन अधिनियम-2019 को लेकर अंतिम सुनवाई जनवरी 2020 में हुई थी. चुनावी बॉन्ड को चुनौती देने वाली याचिका में यह तर्क दिया गया है कि राजनीतिक दलों द्वारा कॉर्पोरेट से धन प्राप्त करने के लिए इसका दुरुपयोग किया जाएगा. क्योंकि दानदाता की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है.

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि राजनीतिक दलों को चुनावी बॉन्ड से प्राप्त होने वाले चंदे का खुलासा करना चाहिए. इलेक्टोरल बॉन्ड बेचने के लिए अधिकृत एकमात्र बैंक SBI द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक आंकड़े में दान राशि 10,000 करोड़ रुपये को पार कर गई है, इस योजना को चुनौती देने वाली याचिका 2017 में वापस दायर की गई थी. फिर इसे आखिरी बार मार्च 2021 में तत्कालीन सीजेआई एसए बोबडे ने सुना था, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. हाल ही में सीजेआई एनवी रमना के सामने फिर से इसका जिक्र किया गया था और वह मामले को सूचीबद्ध करने के लिए तैयार हो गए थे.

Last Updated :Aug 9, 2022, 3:42 PM IST

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