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पंजाब, राजस्थान, गोवा व असम में कोई साइबर क्राइम सेल नहीं: संसदीय पैनल

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Published : Feb 22, 2022, 7:04 PM IST

एक चौंकाने वाले रहस्योद्घाटन में गृह मामलों की संसदीय समिति (Parliamentary Committee on Home Affairs) ने पाया है कि पंजाब, राजस्थान, गोवा और असम जैसे राज्यों में एक भी साइबर अपराध प्रकोष्ठ नहीं है. जबकि आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में केवल एक साइबर अपराध प्रकोष्ठ है और दो साइबर क्राइम सेल बनाए गए हैं. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Sujeet Kumar
सुजीत कुमार

नई दिल्ली:गृह मामलों की संसदीय समिति (Parliamentary Committee on Home Affairs) के सदस्य सुजीत कुमार ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि कई राज्यों में साइबर सेल न होने से आश्चर्य होता है. सुजीत कुमार ने कहा कि यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि पंजाब, राजस्थान जैसे राज्य जो कि देश के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, उनके पास कोई साइबर अपराध प्रकोष्ठ नहीं है.

उन्होंने कहा कि भारत की सुरक्षा के प्रति शत्रुतापूर्ण ताकतें साइबर क्राइम सेल की अनुपस्थिति से हमेशा भारत पर हमला करने की कोशिश कर सकती हैं. दरअसल कई मौकों पर केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने साइबर वर्ल्ड के जरिए भारत विरोधी ताकतों की गतिविधियों का पता लगाया है. दूसरी ओर बिहार जैसे राज्य में 75 साइबर सेल हैं. इसके बाद महाराष्ट्र में 47, ओडिशा में 34, पश्चिम बंगाल में 33 साइबर सेल हैं.

बीजू जनता दल (बीजद) के सांसद ने कहा कि जिन राज्यों में एक भी साइबर सेल नहीं है, उन्हें ऐसे सेल स्थापित करने में दूसरों से प्रेरणा लेनी चाहिए. संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 376 साइबर सेल स्थापित हैं, इसके बाद 1302 महिला सेल और 262 सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल हैं.

कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने देश में साइबर अपराधों की बढ़ती दर पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है. समिति ने पाया कि साइबर अपराधी हर दिन साइबर अपराध करने के लिए नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. समिति ने कहा कि पुलिस के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह अपराधियों द्वारा अपनाए गए नए तौर-तरीकों और प्रौद्योगिकी के रुझानों से अपडेट रहे.

समिति ने कहा कि राज्यों को साइबर अपराध हॉटस्पॉट का नक्शा बनाना चाहिए जो अपराधों का त्वरित पता लगाने और साइबर अपराधों को रोकने के लिए सक्रिय उपाय करने में मदद करेगा. समिति विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों से निपटने के लिए डार्क वेब मॉनिटरिंग सेल और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल स्थापित करके मौजूदा साइबर सेल को अपग्रेड करने की भी सिफारिश करती है. अंतर-राज्यीय अपराधों की जांच को मजबूत करने के लिए समिति ने सिफारिश की है कि एमएचए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दे सकता है.

यह भी पढ़ें- साइबर अपराध रोकने के लिए संसदीय समिति ने ये दिया सुझाव

संसदीय समिति ने कहा कि MHA राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को साइबर अपराधों का पता लगाने, निगरानी करने, रोकने और जांच करने में पुलिस की सहायता के लिए योग्य साइबर विशेषज्ञों और आईटी पेशेवरों की भर्ती कर सकता है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत ने 2017 में 21796 साइबर अपराध दर्ज किए हैं. इसके बाद 2018 में 27248, 2019 में 44735 और 2020 में 50035 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं.

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