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MP: भारिया आदिवासी बने पातालकोट के मालिक, हैबिटेट राइटस के तहत मिला अधिकार, छिंदवाड़ा बना देश का पहला जिला

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Published : Nov 29, 2022, 7:17 AM IST

15 नवंबर को मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट लागू (mp pesa act) किया गया था. इस एक्ट में आदिवासियों को जल जंगल और जमीन का अधिकार मिलने की बात कही गई है. वहीं एक्ट लागू करने के बाद शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. हैबिटेट राइट्स के तहत भारिया जनजाति को पातालकोट का मालिक बना दिया गया है. भारिया जनजाति के लोग जल,जंगल और जमीन के मालिक होंगे. बता दें पेसा एक्ट में लगभग सभी अधिकार ग्राम सभा के पास होते हैं, लेकिन हैबिटेट राइट्स वन अधिकार अधिनियम के तहत दिया जाता है.

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छिंदवाड़ा। जिले में अनुसूचित जनजाति भारिया के हित में देश का पहला और सबसे बड़ा फैसला किया गया है. पिछड़ी जनजाति के उत्थान को लेकर शिवराज सरकार ने एक फैसला लिया है (big decision of mp government), जिसमें हैबिटेट राइट्स के तहत भारिया जनजाति को पातालकोट का मालिक बना दिया गया है. अब इनकी मर्जी के बगैर जल, जंगल और जमीन पर कोई भी अधिकार नहीं जता सकेगा. छिंदवाड़ा देश का ऐसा पहला ऐसा जिला भी बन गया है, जहां प्रशासन ने जनजाति वर्ग के हैबिटेट राइटस तहत पातालकोट को भारिया जनजाति के नाम ही कर दिया है ( bharia tribe owner of patalkot).

रिया आदिवासी बने पातालकोट के मालिक

हैबिटेट राइट्स के तहत भारिया जनजाति बना मालिक: छिंदवाड़ा पातालकोट में आदिवासी भारिया जनजाति का बसेरा है. लगभग 80 वर्ग किलोमीटर के पातालकोट के 12 गांव में भारिया जनजाति निवासरत हैं. जल, जंगल और जमीन पर उनका जीवन आधारित है. सरकार ने यहां की भारिया जनजाति को पातालकोट का मालिक बना दिया है. उन्हें पातालकोट की 9276 हेक्टर जमीन दे दी गई है.

रिया आदिवासी बने पातालकोट के मालिक

विशेष पिछड़ी जनजाति के उत्थान में सरकार का फैसला: जिले की तामिया तहसील में 3000 फीट गहरी खाई में 80 वर्ग किलोमीटर में बसे पातालकोट के 12 गांव में रहने वाले भारिया आदिवासी अब पातालकोट के मालिक हो गए हैं. देश का यह आदिवासियों के हित में पहला कदम है. जब आदिवासियों को इतनी बड़ी जमीन का मालिक बना दिया गया है. पातालकोट में सदियों से भारिया आदिवासियों का बसेरा है.

रिया आदिवासी बने पातालकोट के मालिक

वन अधिकार अधिनियम के तहत आता है हैबिटेट राइट्स: पातालकोट के जल, जंगल जमीन, पहाड़ और जलाशय सहित प्राकृतिक संपदा पर अब भारियों का हक होगा. पातालकोट में यदि सरकार को कोई भी निर्माण करना हो तो यहां के भारियों से अनुमति लेनी होगी. पातालकोट की 9276 हेक्टेयर भूमि में 8326 हेक्टेयर वन भूमि और 950 हेक्टेयर राजस्व भूमि शामिल है. पातालकोट की सभी ग्राम पंचायतों के साथ ही वन विभाग ने भी यह जमीन छोड़ दी है. अब यहां की जमीन ही नहीं बल्कि जंगल के मालिक भी भारिया आदिवासी होंगे. जो अपनी जरूरत के लिए वनों का भी समुचित दोहन कर सकेंगे. इस कदम का उद्देश्य भारिया जनजाति का उत्थान है, जो जल जंगल जमीन के आधार पर अपना जीवन जीती है. उससे उनकी मान्यताओं को अधिकार मिलेगा और वे पातालकोट को संरक्षित रख पाएंगे.

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सदियों से निवास करती है पातालकोट में भारिया जनजाति: भारिया जनजाति सदियों से पातालकोट में निवास कर रही है. पातालकोट के 12 गांव में 611 भारिया परिवार निवासरत है. इसके लिए केंद्र सरकार ने भारिया जनजाति विकास प्राधिकरण का गठन किया था. जिसके माध्यम से इस जानजाति के उन्नयन के कार्य होते थे और अब जल जंगल जमीन के संरक्षण के सिद्धांत पर पूरा पातालकोट ही भारिया जनजाति को दे दिया गया है ( bharia tribe owner of patalkot). यह सब कुछ हैबिटेट राइट्स सेक्सन नियम -3 (1) (0) भारिया पीवीजीटी दिया गया है. यहां के 611 परिवारों के नाम शामिल किए गए हैं. पातालकोट के 12 गांव में जदमादल, हर्रा कछार खमारपुर, सहराप जगोल, सूखा भंडार हरमऊ, घृणित, गैल डुब्बा, घटलिंगा, गुड़ी छतरी सालाढाना, कौड़िया ग्राम शामिल है.

बिना मर्जी के नहीं हो सकेगा विस्थापन: हैबिटेट राइट्स का अधिकार पत्र मिल जाने के बाद अब भारिया जनजाति का विस्थापन भी बिना इनकी मर्जी नहीं हो सकेगा. शासन प्रशासन को कोई भी कार्य इन गांवों में कराने के लिए बैगाओं से सहमति लेनी पड़ेगी. गौरतलब है कि आए दिन विस्थापन के नाम पर कई गांव खाली कराए जाते हैं.

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पेसा एक्ट और हैबिटेट राइट्स में यह अंतर:हाल ही में बिरसा मुंडा जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में पेसा एक्ट जनजातियों के लिए लागू किया है. पेसा एक्ट में लगभग सभी अधिकार ग्राम सभा के पास होते हैं, लेकिन हैबिटेट राइट्स वन अधिकार अधिनियम के तहत दिया जाता है. जिसमें जमीन का मालिक किसी विशेष समुदाय को बनाया जाता है. इसमें विशेष समुदाय ही निर्णय लेने की क्षमता रखता है. पातालकोट पर करीब 25 सालों से रिसर्च कर रहे डॉ दीपक आचार्य ने बताया कि इस अधिकार से जनजाति का उत्थान होगा.

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