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बच्चों की जान बचाने के लिए इंपोर्ट करना पड़ता है 16 करोड़ का टीका, बीमारों की संख्या पर कठघरे में सरकार

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Published : Dec 14, 2021, 6:13 PM IST

Updated : Dec 14, 2021, 8:09 PM IST

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के महंगे टीके को लेकर आज संसद में आवाज उठाई गई. राजस्थान से निर्वाचित सांसद हनुमान बेनीवाल ने सरकार के आंकड़ों में विसंगति की बात कही और पूछा कि स्पाइन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों के संबंध में केंद्र सरकार के पास क्या स्पष्ट आंकड़े हैं?

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नई दिल्ली : लोकसभा में सांसद हनुमान बेनीवाल ने बच्चों के बीच स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal Muscular Atrophy) और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular dystrophy) का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा, इसके लिए दवा कैसे आयात की जाती है, इसकी कीमत बहुत ज्यादा है.

सांसद हनुमान बेनीवाल का बयान

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 और टाइप-2 साथ ही मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में केंद्र सरकार ने बताया था कि देशभर में पांच लाख बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं. हनुमान बेनीवाल ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि हर बच्चे के इलाज पर 6 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे.

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हनुमान बेनीवाल ने संसद में सरकार की ओर से दिए गए जवाब का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 23-9-2020 को केंद्र सरकार ने लोक सभा में बताया था कि सरकार के पास मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बच्चों के आंकड़े नहीं हैं. उन्होंने सवाल किया कि सरकार के दो बयानों में ऐसी विसंगति क्यों है?

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इस बीमारी के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये के टीके की जरूरत को लेकर बेनीवाल ने कहा कि कंपनियां 16 करोड़ रुपये लेती हैं, गरीब लोगों के लिए इतनी बड़ी रकम खर्च करना मुश्किल होता है.

बेनीवाल ने सुझाव दिया कि मस्कुलर से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए या तो कीमत घटाई जाए, या संभव हो तो टीका मुफ्त दिया जाए. सरकार को इस बात पर ध्यान देना चाहिए.

Last Updated :Dec 14, 2021, 8:09 PM IST

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