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Moti Elephant: एक माह तक जंग लड़ने के बाद जिंदगी से हार गया मोती हाथी, इंफेक्शन के चलते मौत

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Published : Feb 18, 2023, 9:00 PM IST

रामनगर के सांवल्दे गांव में मोती नाम का हाथी एक माह से बीमार चल रहा था. उसके आगे दोनों पैरों में घाव की वजह से इंफेक्शन हो गया था. आज मोती की मौत हो गई. डॉक्टरों ने मोती का पोस्टमॉर्टम किया. जिसके बाद हाथी को दफनाया गया. हाथी की मौत के बाद से पशु प्रेमियों में शोक की लहर है.

Moti elephant died due to infection in Ramnagar
Moti elephant died due to infection in Ramnagar

एक माह तक जंग लड़ने के बाद जिंदगी से हार गया मोती हाथी.

रामनगर: पिछले एक माह से ज्यादा समय से मोती नाम का हाथी बीमार चल रहा था. जिसका इलाज चल रहा था, लेकिन जिंदगी की जंग में आखिर मोती हार गया और उसकी मौत हो गई. डॉक्टरों ने उसे बचाने की हरसंभव प्रयास किया, लेकिन आज उसने दम तोड़ दिया. पोस्टमॉर्टम के बाद हाथी के शव को दफनाया गया.

बता दें कि ग्राम सांवल्दे में नर हाथी मोती के आगे के पैर में इंफेक्शन हो गया था. जिसकी वजह से मोती खड़ा नहीं हो पा रहा था. मोती के अगले दोनों पैरों में इंफेक्शन फैल गया. वन्य जीव प्रेमी इमरान खान ने इसका काफी उपचार भी कराया. इमरान की पहल पर सेना की टीम ने मोती को खड़ा करने के लिए एक स्ट्रक्चर तैयार किया था. जिसके सहारे मोती को खड़ा भी किया गया था.

सब सोचने लगे की अब मोती जल्दी ठीक हो जाएगा, लेकिन शनिवार को मोती जिंदगी की जंग हार गया और उसने दम तोड़ दिया. वन्य जीव प्रेमी इमरान खान ने बताया विभागीय पशु चिकित्सकों और अधिकारियों की मौजूदगी में हाथी के शव का पोस्टमॉर्टम करने के बाद दफनाने की कार्रवाई की गई.

गौरतलब है कि कई साल पहले रामनगर के सांवल्दे में बिहार से हाथी मोती और हथिनी रानी को लाया गया था. इन हाथियों के केयर टेकर इमाम अख्तर ने अपनी करोड़ों की संपत्ति इनके नाम कर दी थी, लेकिन कुछ समय बाद इमाम अख्तर की हत्या हो गई. जिसके बाद से मोती और रानी दोनों अनाथ हो गए. कुछ दिन पहले मोती के पैर में गहरा घाव हो गया. जिसकी वजह से वह खड़ा नहीं हो पा रहा था.
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हाथियों के संरक्षक इमरान खान ने मोती की इलाज के लिए वाइल्ड लाइफ चीफ समीर सिन्हा के माध्यम से एसआरएस यूपी से बात की. एसआरएस ने कहा जल्द ही हाथी को पैरों पर खड़ा नहीं किया गया तो उसके अंग खराब हो सकते हैं. जिसके बाद सेना के उच्च अधिकारियों ने मोती की मदद को आगे आये. मोती की सहायता के लिए रुड़की से जवानों की छोटी टुकड़ी को रामनगर के भेजा गया था. सेना की मदद से मोती को खड़ा करने की कोशिश की गई और लोहे के स्ट्रक्चर के सहारे मोती को खड़ा भी किया गया, लेकिन पैरों में इंफेक्शन फैलने की वजह से मोती की आज मौत हो गई.

जानकारी के लिए बता दें कि मूल रूप से बिहार के पटना में दानापुर इलाके के मुर्गियाचक गांव निवासी इमाम अख्तर ने 2018 में रामनगर के सांवल्दे गांव में लीज पर 26 बीघा जमीन ली थी. इमाम यहां हाथियों का गांव बसाना चाहते थे. इमाम का मकसद हाथियों का संरक्षण करना था. इमाम इस गांव में बीमार, बुजुर्ग और दिव्यांग हाथियों को रखकर सेवा करना चाहते थे. उनकी इस इच्छा शक्ति और हाथियों से प्रेम की वजह से उन्हें हाथी वाले मुखिया के नाम से जाना जाने लगा.

बिहार में रहते हुए भी इमाम अख्तर ने ऐरावत नाम से एक संस्था बनाई थी. रामनगर आकर इमाम ने हाथियों के रहने की व्यवस्था की. हाथियों के लिए टिन शेड तैयार किया. इमाम ने यहां सोलर फेंसिंग, बिजली और हाथियों को नहलाने के लिए मोटर लगाया. सांवल्दे में कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर इमाम ने मोती और रानी की देखभाल भी की, लेकिन कुछ समय पहले ही इमाम की हत्या कर दी गई. जिसके बाद से मोती और रानी अनाथ हो गए थे.

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