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UP Metro News : राजनीतिक दांव पेंच में करोड़ों के घाटे में पहुंच गई मेट्रो, विदेशी बैंक का लोन चुकाना चुनौती

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 4, 2023, 2:38 PM IST

Updated : Sep 4, 2023, 2:47 PM IST

राजनीतिक दांव पेंच में फंसकर मेट्रो अब तक करोड़ों रुपए के घाटे में पहुंच चुकी है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पर विदेशी बैंक का 3502 करोड़ रुपया लोन भी नहीं चुका पाया है.

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लखनऊ : यूपीएमआरसी को विश्व बैंक से जो लोन मिला है उसकी किश्तें चुका पाना भी चुनौती साबित हो रहा है. कोरोना के चलते मेट्रो की हालात और खस्ता हो गई थी जिससे घाटा और ज्यादा बढ़ गया और मेट्रो पर सैकड़ों करोड़ का कर्ज चढ़ गया. लखनऊ में मेट्रो के घाटे में पहुंचने का बड़ा कारण यह भी है कि यहां पर पहले फेज में एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया तक ही मेट्रो दौड़ पाई है जबकि दूसरे फेज की नींव तक नहीं डाली जा सकी है. अगर दूसरे फेज का काम पूरा हो जाता और मेट्रो संचालित होने लगती तो घाटे के बजाय मेट्रो फायदे के ट्रैक पर भी दौड़ सकती थी. अब मेट्रो रेल कॉरपोरेशन पर इस घाटे का मानसिक दबाव भी पड़ रहा है.

विदेशी बैंक का लोन चुकाना चुनौती.
लखनऊ मेट्रो की हालत दिन ब दिन खस्ता होती जा रही है. मेट्रो में सफर करने वाले पैसेंजर्स की संख्या और इनकम के सोर्सेज जिस गति से बढ़ने चाहिए, ऐसा संभव नहीं हो पाया. हालांकि इसी अगस्त माह में मेट्रो ने यात्रियों की संख्या के मामले में नया रिकॉर्ड जरूर बनाया है. इस माह 22 लाख से ज्यादा यात्रियों ने मेट्रो से सफर किया जो यूपीएमआरसी के लिए राहत की बात जरूर है, लेकिन जितने घाटे में मेट्रो संचालित हो रही है और जितना बड़ा कर्ज यूपीएमआरसी को चुकाना है उसके लिए यात्रियों की इतनी संख्या भी पर्याप्त नहीं है. यही वजह है कि मेट्रो ने विदेशी बैंक से जो लोन ले रखा है उसकी किश्त और ब्याज चुका पाना भी मुश्किल हो रहा है.
करोड़ों के घाटे में मेट्रो.


उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल काॅरपोरेशन (यूपीएमआरसी) काे वर्ष 2017-2018 में यात्री आय सिर्फ 4.35 फीसद हो रही थी. वर्ष 2018-2019 में आय में थोड़ा इजाफा हुआ और ये 10.80 फीसद हो गई. मेट्रो की तरफ यात्रियों का रुझान सबसे ज्यादा वर्ष 2019-2020 में बढ़ा और यात्रियों से आने वाली आय का ग्राफ 54.73 फीसद तक जा पहुंचा. इससे मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने काफी सहूलियत महसूस की, लेकिन कॉरपोरेशन थोड़ी खुशी मना पाता इससे पहले ही कोविड की लहर आ गई और मेट्रो का संचालन रोकना तक पड़ गया. इसका नतीजा ये हुआ कि 2020-2021 में इनकम का आंकड़ा 15.94 रह गया. हालांकि अब 2022-23 में मेट्रो में यात्रियों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है जिससे आय में भी इजाफा होने लगा है. हालांकि जिस तरह का मेट्रो के संचालन में खर्च हैं उसके मुताबिक यह इनकम कम पड़ रही है.

करोड़ों के घाटे में मेट्रो.



लखनऊ मेट्रो: यात्री सेवा की शुरुआत से अब तक 3 करोड़ पहुंची कुल राइडरशिप

23 किलोमीटर के रूट पर दौड़ रही मेट्रो :लखनऊ मेट्रो के घाटे की अगर बात की जाए तो इसका बड़ा कारण यह भी माना जा सकता है कि मेट्रो सिर्फ पहले फेज में जितने किलोमीटर का काम पूरा हुआ है उतने रूट पर ही संचालित हो पा रही है. नॉर्थ साउथ कॉरिडोर पर 23 किलोमीटर की दूरी मेट्रो कवर कर रही है. एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया के बीच मेट्रो का संचालन हो रहा है, लेकिन इस रूट पर बड़ी संख्या में यात्री नहीं मिलते हैं, जबकि अगर सेकंड फेज का काम भी पूरा हो जाए तो चारबाग से बसंत कुंज के बीच मेट्रो दौड़ने लगे और इस रूट पर बड़ी संख्या में यात्री मेट्रो को मिल सकते हैं. इससे मेट्रो काफी हद तक घाटे से उबार सकती है और यूरोपियन यूनियन बैंक का कर्ज भी उतर सकता हैं.



ये है लखनऊ में द्वितीय चरण का काम शुरू न होने की वजह

दरअसल, अगर मेट्रो के राजनीतिकरण की बात करें तो यह भी घाटे का एक कारण है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव क्लेम करते हैं कि उन्होंने ही लखनऊ मेट्रो की नींव रखी और एयरपोर्ट से चारबाग तक मेट्रो का संचालन शुरू कराया, जबकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार सेकंड फेज का काम तक नहीं शुरू कर पाई. सपा मुखिया के इसी क्लेम का जवाब देने के लिए ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने लखनऊ में सेकंड फेज का काम शुरू करने के बजाय उत्तर प्रदेश के कई अन्य शहरों में मेट्रो की नींव रखकर संचालन शुरू कर दिया. ऐसे में भाजपा ये दावा कर रही है के प्रदेश के कई शहर मेट्रो सिटी हो गए हैं. यह भाजपा सरकार की देन है. जानकारों का कहना है कि अगर राजनेता क्लेम न करें तो फिर काम न रुके. लखनऊ में द्वितीय चरण का काम इसीलिए नहीं हुआ. अगर यह काम पूरा होता तो शहर वासियों को बड़ी राहत मिलती और लखनऊ मेट्रो भी फायदे के ट्रैक पर दौड़ती.

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Last Updated : Sep 4, 2023, 2:47 PM IST

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