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बेटियों के नाम से पहचाने जाएंगे इन गांवाें के घर, जानें क्या है यह अनोखी पहल

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Published : Sep 11, 2021, 2:07 PM IST

नीरा तोमर की बदौलत अब ऐसे 11 गांवों में सैकड़ों घरों को बेटियों के नाम से जाना जाएगा. दरअसल, मेरठ जिले के दौराला के मटौर गांव स्थित मल्हू सिंह आर्यकन्या इंटर काॅलेज की प्रधानाचार्या नीरा तोमर ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे को जमीनी हकीकत बनाने का फैसला किया. इसे खूब सराहना मिल रही है.

बेटियों
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मेरठ :सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का अभियान प्रदेशभर में चला रही है. इसी बीच मेरठ में एक स्कूल की प्रधानाचार्या ने अनूठी पहल की है. अब 11 गांव की सैकड़ों बेटियों से उनके घर को पहचाना जाएगा. क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगा रहीं प्रधानाचार्या नीरा तोमर की पहल से अब गांवों में बेटियों के नेम प्लेट घरों पर लगाए जा रहे हैं.

यानी अब तक जहां घर की पहचान उसके मुखिया के नाम से थी, वहां अब यह पहचान बेटियों के नाम से बनाई जा रही है. ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट..

लगाया जा रहा है बेटियाें के नाम का नेम प्लेट

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के सरकार के नारे को मेरठ में नई ऊंचाइयां मिल रही हैं. नारी सशक्तीकरण के इस अभियान को यहां एक कन्या विद्यालच की प्रधानाचार्या नीरा तोमर आगे बढ़ा रहीं हैं. उन्होंने एक अनूठी पहल की है. मेरठ जिले के 11 गांवों में उन्होंने अब बेटियों को पहचान दिलाने का बीड़ा उठाया है.

बेटियों के नाम से पहचाने जाएंगे इन गांवाें के घर

नीरा तोमर की बदौलत अब ऐसे 11 गांवों में सैकड़ों घरों को बेटियों के नाम से जाना जा रहा है. दरअसल, मेरठ जिले के दौराला के मटौर गांव स्थित मल्हू सिंह आर्यकन्या इंटर काॅलेज की प्रधानाचार्या नीरा तोमर ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के नारे को जमीनी हकीकत बनाने का फैसला किया. इसे खूब सराहना मिल रही है.

स्कूल की प्रधानाचार्या ने बेटियों के लिए नेमप्लेट बनवाई हैं. उसके बाद विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं के घरों तक पहुंचकर इन्हें लगवाया है. वह बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जागरूक भी कर रहीं हैं.

बता दें कि समाज में बेटियों को आगे लाने के लिए नीरा तोमर काफी समय से प्रयासरत हैं. नीरा कहती हैं कि अब तक घर की पहचान पुरुषों से होती थी लेकिन वो अब सभी को जागरूक करने में लगी हैं. उन्होंने कहा कि वेस्टर्न यूपी में पहले बेटियों के पैदा होने पर लोग वह उत्साह नहीं दिखाते थे जो एक लड़का होने पर दिखता था.

बताया कि जब वो पैदा हुईं तो परिवार ने मातम मनाया. वो कहती हैं कि उनकी नानी भी खूब रोइ थीं. वह कहती हैं कि बेटी बड़ी होकर दो परिवारों की जिम्मेदारी उठाती हैं. ऐसे में उन्हें प्राथमिकता दी जानी चाहिए. वो किसी से कम नहीं होतीं. इसी सोच के साथ उन्होंने ये अभियान चलाया.

नीरा बताती हैं कि विद्यालय में 1500 से अधिक छात्राएं पढ़ाई करतीं हैं जो आसपास के 11 गांवों से आती हैं. वो कहती हैं कि अब इन सभी बेटियों की वजह से इनके घर की पहचान हो रही है. इसका इनके परिवार के लोग भी पूरा सहयोग कर रहे हैं.

इस बारे में बेटियों से बात की तो वो भी उत्साहित दिखीं. सभी खुशी-खुशी अपने घरों के बाहर अपनी नेम प्लेट लगी होने से आत्मविश्वास से लबरेज नजर आईं. विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राएं अपनी प्रधानाचार्या को नीरा मां कहकर पुकारती हैं.

बेटियों ने बताया कि नीरा मां ने उन्हें हौसला दिया है. वे कुछ करना चाहती हैं ताकि अपने परिवार का नाम रोशन कर सकें और अपने स्कूल का भी. वहीं, परिवार के लोग भी स्कूल प्रधानाचार्या की इस मुहिम को खूब सराह रहे हैं.

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