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ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट, आसान भाषा में जानें बजट की ABCD

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Published : Jan 31, 2021, 1:34 PM IST

Updated : Jan 31, 2021, 10:28 PM IST

हर साल संसद में पेश होने वाले केंद्रीय बजट पर बड़ी तादाद में लोगों की निगाहें टिकी होती हैं. बजट के प्रावधानों का असर देश और समाज के हर तबके पर पड़ता है, लेकिन कई लोगों के लिये इसे समझना काफी मुश्किल होता है. इसे समझने के लिये पढ़ें ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट.

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बजट

देहरादून :आम बजट को लेकर देश की जनता उम्मीदों की टकटकी लगाए बैठी हैं. बजट को लेकर देश के साथ ही प्रदेश के लोगों की बहुत सी उम्मीदें जुड़ी हुई हैं. हर कोई बजट को लेकर बेसब्र है. मगर क्या हर कोई बजट में इस्तेमाल होने शब्दों को बखूबी जानता है? जैसे- बजट में क्या कुछ बातें कही जा रही हैं या फिर किस क्षेत्र में क्या कुछ होने वाला है, इसकी जानकारी साफ हो सके. अधिकतर लोग बजट की ABC तक नहीं जानते हैं. ऐसे ही लोगों के लिए ईटीवी भारत ये खास रिपोर्ट लेकर आया है, जिसमें बड़े ही आसान शब्दों में आज बजट के बारे में समझाया गया है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

सबसे पहले जानते हैं बजट के प्रकार : बजट 3 तरह के होते है.

  • बैलेंस बजट : सरकार की कमाई और खर्च बराबर
  • सरप्लस बजट : सरकार की कमाई खर्च से ज्यादा
  • डेफिसिट बजट : सरकार की कमाई खर्च से कम

क्या होती है महंगाई दर
जब किसी देश में वस्तुओं या सेवाओं की कीमतें सामान्य से अधिक हो जाती हैं तो इस स्थिति को महंगाई कहते हैं. एक निश्चित अवधि में चुनिंदा वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य में जो वृद्धि या गिरावट आती है, उसे मुद्रास्फीति कहते हैं. इसे जब प्रतिशत में व्यक्त करते हैं तो यह महंगाई दर कहलाती है.

महंगाई दर का मतलब

  • इसके बढ़ने का मतलब करंसी की वैल्यू गिरने से है.
  • इससे खरीदने की क्षमता घट जाती है.
  • खरीदने की क्षमता घटने का मतलब मांग में कमी आने से है.

जीडीपी का मतलब जानिए
ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीडीपी) किसी भी देश की आर्थिक सेहत को मापने का पैमाना है. जीडीपी का आंकड़ा अर्थव्यवस्था के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों में उत्पादन की वृद्धि दर पर आधारित होता है.

  • बजट में होता है जीडीपी जिक्र.
  • जीडीपी को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं.
  • भारतीय जीडीपी में सबसे ज्यादा योगदान सर्विस सेक्टर का है.
  • एक वित्तीय वर्ष में उपभोक्ता, व्यापार, सरकार के खर्च को जोड़ने पर जीडीपी निकलती है
  • कितने मूल्य की गुड्स और सर्विस को पैदा करना भी जीडीपी कहा जाता है.

डायरेक्ट और इन-डायरेक्ट टैक्स

  • डायरेक्ट टैक्स: किसी व्यक्ति और संस्थान की आय पर लगने वाला टैक्स डायरेक्ट टैक्स होता है.
  • इसमें इनकम, कॉर्पोरेट और इनहेरिटेंस टैक्स शामिल हैं.
  • इन-डायरेक्ट टैक्स: गुड्स और सर्विस पर लगने वाले टैक्स इन-डायरेक्ट टैक्स होता है.
  • इसमें कस्टम ड्यूटी (सीमा शुल्क), एक्साइज ड्यूटी (उत्पाद शुल्क), जीएसटी शामिल हैं.

मौद्रिक नीति को जानते हैं क्या?

  • मौद्रिक नीति को मॉनिटरी पॉलिसी भी कहा जाता है.
  • इसमें रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में रुपए की आपूर्ति को कंट्रोल करता है.
  • इससे महंगाई पर रोक लगती है.
  • इससे आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.

क्या होता है वित्त विधेयक

वित्त विधेयक उस विधेयक को कहते हैं, जो वित्तीय मामलों जैसे राजस्व या व्यय से संबंधित होते है. इसमें आगामी वित्तीय वर्ष में किसी नए प्रकार के कर लगाने या कर में संशोधन आदि से संबंधित विषय शामिल होते हैं.

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  • आम बजट पेश करने के तुरंत बाद बिल पास किया जाता है. उसे वित्त विधेयक (फाइनेंस बिल) कहा जाता है
  • वित्त विधेयक में सरकार की आय के तमाम स्रोतों को जिक्र होता है
  • वित्त विधेयक लागू करना सबसे अहम कदम होता है

विनिवेश भी है नॉन-टैक्स रेवेन्यू का जरिया

  • पिछले दो दशकों में बढ़ा विनिवेश या डिसइन्वेस्टमेंट का चलन
  • केंद्र सरकार के लिए नॉन-टैक्स रेवेन्यू जुटाने का एक अच्छा जरिया है.
  • सरकारी विनिवेश का मतलब है सार्वजनिक उपक्रमों यानी पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज में सरकारी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया.
  • टैक्स और नॉन- टैक्स रेवेन्यू से हुई कमाई का इस्तेमाल सरकार अपने खर्चों पर करती है.
  • ये खर्च प्रशासनिक काम के अलावा सब्सिडी और विकास योजनाओं पर किया जाता है.
  • अगर सरकारी खर्च उसके राजस्व से ज्यादा होता है तो फिर उसकी भरपाई के लिए सरकार को उधार लेना पड़ता है.

क्या होती है ग्रॉस इनकम?

  • ग्रॉस सैलरी वह अमाउंट होता है, जो कंपनी की तरफ से आपको सैलरी के रूप में मिलता है.
  • ग्रॉस सैलरी में बेसिक सैलरी, एचआरए (हाउस रेंट अलाउंस), ट्रैवल अलाउंस, महंगाई भत्ता या डीए, स्पेशल अलाउंस, अन्य अलाउंस, लीव इनकैशमेंट आदि शामिल होते हैं.
  • ग्रॉस सैलरी को टेक होम सैलरी भी कहा जाता है.
  • टैक्सेबल इनकम की गणना के लिए ग्रॉस इनकम पता होना बहुत जरूरी है.

क्या होती है नेट इनकम?

  • ग्रॉस सैलरी में से जब लीव ट्रैवल अलाउंस, हाउस रेंट अलाउंस, अर्न्ड लीव इनकैशमेंट जैसे तमाम अलाउंस को घटा दिया जाता है, तो ये आपकी नेट सैलरी बन जाती है.
  • यह आईटीआर फॉर्म भरते समय काम आता है.
Last Updated : Jan 31, 2021, 10:28 PM IST

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