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Lok Sabha Budget Session: देश में पिछले तीन सालों में बाल श्रम के दर्ज हुए 1861 मामले, तेलंगाना व असम सबसे ऊपर

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Published : Mar 13, 2023, 3:25 PM IST

Updated : Mar 13, 2023, 4:22 PM IST

लोकसभा में बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हो गया है, जहां केंद्र सरकार ने बाल और किशोर श्रम अधिनियम, 1986 के तहत पिछले तीन सालों में दर्ज किए गए मामलों की जानकारी दी है.

child labor cases
बाल श्रम के मामले

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि बाल और किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत पिछले तीन वर्षों में 1,861 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 2019 में 772, 2020 में 476 और 2021 में 613 मामले दर्ज किए गए हैं. यह जानकारी श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से भाजपा सांसदों विजय बघेल और उपेंद्र सिंह रावत द्वारा देश में दर्ज किए गए बाल श्रम के मामलों की संख्या पर पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए साझा की.

2019 में 314, 2020 में 147 और 2021 में 224 के साथ कुल 685 मामलों के साथ तेलंगाना से सबसे अधिक मामले सामने आए, इसके बाद 2019 में असम में 186, 2020 में 40 और 2021 में 78 मामले सामने आए. अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा में सबसे कम मामले दर्ज किए गए, जिनमें से प्रत्येक में केवल एक ऐसा मामला था, इसके बाद छत्तीसगढ़, मेघालय और दमन और दीव और अन्य में 2-2 मामले थे.

MoS ने ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों और नीतियों की संख्या पर कई सवालों के जवाब में कहा कि सरकार बाल श्रम को खत्म करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपना रही है और व्यापक उपाय किए हैं, जिसमें विधायी उपाय, पुनर्वास रणनीति, मुफ्त शिक्षा का अधिकार प्रदान करना और सामान्य सामाजिक-आर्थिक विकास शामिल हैं.

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उन्होंने आगे बाल और किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 जैसी नीतियों के बाल और किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) नियम, 1988 का निर्धारण, बाल श्रम के पुनर्वास के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) योजना का कार्यान्वयन से सदस्यों को अवगत कराया, जिसे अब समग्र शिक्षा अभियान (एसएसए) योजना के तहत शामिल किया गया है, जो बाल श्रम को खत्म करने के लिए प्रभावी ढंग से काम कर रहा है.

Last Updated : Mar 13, 2023, 4:22 PM IST

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