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MCB : छत्तीसगढ़ में फॉसिल्स हैरिटेज साइट बनाने के लिए फंड की कमी, वनविभाग की सामने आई लापरवाही

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Published : Apr 19, 2023, 8:04 PM IST

छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ में भारत का पांचवां और प्रदेश का पहला समुद्री जीवाश्म पार्क है.लेकिन इस जीवाश्म पार्क को सहेजने के लिए सरकार के पास फंड नहीं है. जबकि इस जगह को संरक्षित रखने के लिए सरकार को रिपोर्ट सौंपी जा सकी है.

Fossils Heritage Site in Manendragarh
मरीन फॉसिल्स साइट की अनदेखी

मरीन फॉसिल्स पार्क के हिस्से

एमसीबी : फॉसिल्स हैरिटेज साइट मनेंद्रगढ़ में प्रस्तावित है. बायो डायवर्सिटी बोर्ड रायपुर ने एक किलोमीटर के एरिया को घेरने को कहा था. साथ ही जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, वीरबल साहनी इंस्टीट्यूट लखनऊ से सर्वे कराने सिफारिश की थी. जिससे वैज्ञानिकों की टीम ने जायजा लिया और गोंडवाना मैरीन फासिल्स पार्क को विकसित करने सुझाव सौंपी थी.आपको बता दें कि इस जगह को संरक्षित करने के लिए आठ करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया था.

करोड़ों साल पहले के हैं जीवाश्म : मनेंद्रगढ़ मरीन फॉसिल्स 41 साल पहले जियोलॉजिकल सर्वें ऑफ इंडिया की नेशनल जियोलॉजिकल मोनूमेंट्स में शामिल हुआ था. जहां प्रदेश के मनेन्द्रगढ़ वनमंडल में हसदेव नदी तट पर समुद्री जीवों के जीवाश्म मिलने के कुछ निशान-चिह्न को ढूंढा था. जिसमें बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोबॉटनी लखनऊ से सलाह ली गई थी. इंस्टीट्यूट ने विशेषज्ञ टीम जांच करने भेजी . टीम की जांच में करोड़ों साल पुराने समुद्री जीवाश्म होने की पुष्टि और एरिया को जियो हैरिटेज सेंटर के रूप में विकसित करने को कहा था.

1982 से है संरक्षित : इस जगह को जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने वर्ष 1982 में नेशनल जियोलॉजिकल मोनूमेंट्स में शामिल कर लिया. जियोलॉजिकल टाइम स्कैल में 29.8 से 25.5 करोड़ साल पहले के जीवाश्म होने की पुष्टि की गई थी.मनेंद्रगढ़ के फॉसिल्स को गोंडवाना सुपर ग्रुप चट्टान की श्रेणी में रखा गया है. फॉसिल्स पार्क वाले क्षेत्र को घेर प्रस्तावित पार्क हसदेव और हसिया नदी के संगम पर एक किलोमीटर क्षेत्र में विकसित करने का निर्णय लिया गया था.वर्तमान में भारत में, चार फॉसिल्स पार्क खेमगांव सिक्किम, राजहरा झारखण्ड, सुबांसरी अरुणाचल प्रदेश और दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल में हैं.

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संरक्षित जगह में हुई छेड़छाड़ : छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़ में फॉसिल्स पार्क का पांचवां स्थान है.लेकिन यहां लापरवाही देखने को मिल रही है. वनविभाग ने पहाड़ काटकर सीढ़ी बना दी है. साथ ही साथ कई जगहों से पत्थरों को तोड़कर निकाला गया है. अब विभाग पूर्व रिटायर्ड अधिकारी प्रभारी रेंजर हीरालाल सेन की गलती बताकर कुछ भी कहने से बच रहा है. जबकि पूर्व अधिकारी ने संरक्षित स्थान से पत्थरों की खुदाई की है. डीएफओ लोकनाथ पटेल ने बताया कि "मरीन फॉसिल्स पार्क को संरक्षित करने आठ करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया गया है. बजट नहीं मिला है. फिलहाल एसइसीएल सीएसआर मद से मिलने वाली राशि खर्च की जाएगी. जिसमें मुख्य द्वार, बाउंड्रीवाल, इंटरप्रिटेशन सेंटर सहित अन्य निर्माण कार्य प्रस्तावित है."

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