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Kota Suicide Case : मंत्री बीडी कल्ला और खाचरियावास बोले, कोचिंग- पेरेंट्स बच्चों पर न बनाएं दबाव, IQ टेस्ट के बाद हो एडमिशन

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 13, 2023, 3:32 PM IST

कोटा में एक और कोचिंग छात्रा की आत्महत्या का मामला सामने आया है. अब तक इस साल कोटा में खुदकुशी करने वाले छात्रों की संख्या 24 हो गई है. खुदकुशी के बढ़ते मामलों से अब राजस्थान सरकार की भी परेशानी बढ़ गई है. मंत्री छात्रों के परिजन और कोचिंग संस्थानो से अपील कर रहे हैं.

Ministers Kalla and Khachariyawas
मंत्री बीडी कल्ला और खाचरियावास

मंत्री बीडी कल्ला और खाचरियावास

कोटा. राजस्थान के कोटा में स्टूडेंट्स की आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. खुदकुशी के मामले को लेकर राज्य सरकार भी चिंतित है. जिला प्रशासन भी कई गतिविधियां संचालित कर रही है. मंत्रियों ने सुसाइड पर चिंता जताते हुए कहा कि कोचिंग संस्थान हॉस्टल और पेरेंट्स सभी इस संबंध में सचेत हो जाएं. उन्हें यह आत्महत्या रोकने के लिए कदम उठाने ही होंगे. बच्चों पर किसी भी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया जाए, साथ ही मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि आईक्यू टेस्ट के बिना कोचिंग में बच्चों को प्रवेश भी नहीं दिया जाए. उसकी रूचि को जाना जाए, तभी उसे डॉक्टर-इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए कोटा भेजा जाए.

राजस्थान सरकार के मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने बुधवार को कोटा में कहा कि बच्चा यदि कोचिंग करना नहीं चाहता है, तो उसके मन को समझना चाहिए. हमारे टाइम पर ज्यादा कोचिंग संस्थान नहीं थे, तब भी डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर व साइंटिस्ट बनते थे. बड़ी कंपनियां कोचिंग के नाम पर खड़ी हो गई हैं, यह कोचिंग वाले माफिया बनाकर पैसा इकट्ठे नहीं कर सकते हैं.

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बच्चों को पारिवारिक माहौल दें, ये बच्चों से लाखों-करोड़ों रुपए कमा रहे हैं, लेकिन डर पैदा कर दिया है. इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ. बच्चों को समझाया जाए कि जिंदगी पर सबसे पहले माता-पिता का हक है. यहां पर कक्षा 1 से लेकर आठवीं तक के बच्चे आ रहा हैं, लेकिन आठवीं के बच्चे से 12वीं की तैयारी करवाई जा रही है. यह किसने तय कर दिया.

सुसाइड के बारे में सोचना भी पाप : प्रदेश के शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला से मीडिया ने सवाल पूछा, तब उन्होंने जवाब दिया कि पेरेंट्स को आइक्यू टेस्ट लेकर ही बच्चों को कोटा भेजना चाहिए. जिस बच्चें कि कैपेसिटी नहीं है, लेकिन उसके पेरेंट्स यहां भेज देते हैं. उसको डॉक्टर या इंजीनियर बनाने का दबाव होता है, जबकि उसकी रूचि को नहीं देखा जाता है. उन्होंने कहा कि कुमार विश्वास को देख लीजिए, वह इंजीनियरिंग में जाना चाहते थे, लेकिन गए नहीं. आज एक-एक कवि सम्मेलन में काफी पैसा कमा लेते हैं. ऐसे उदाहरण देकर बच्चों को प्रोत्साहित करना चाहिए.

सुसाइड के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि मैं विद्यार्थियों से अपील करना चाहता हूं कि आत्महत्या का सोचना भी पाप लगता है, करना तो महापाप है. इसलिए उनकी काउंसलिंग होनी चाहिए. कोटा में हेरिटेज चंबल रिवर फ्रंट और कोटा सिटी पार्क बना है. महीने में एक बार भी बच्चे यहां पर आ गए, तब उनका डिप्रेशन दूर हो जाएगा. हम इसके लिए गाइडलाइन बना रहे हैं. इस संबंध में गाइडलाइन बना रहे हैं, जो गाइडलाइन की पालना नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

हमारी सरकार के खिलाफ नहीं एंटी इनकंबेंसी : बीडी कल्ला ने कहा कि चुनाव के लिए उनकी पार्टी पूरी तरह से तैयार है. मुख्यमंत्री ने 10 योजनाओं के जरिए आमजन को लाभान्वित किया है. इनमें फ्री राशन व बिजली, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, गैस सिलेंडर के दाम कम करना, पशुओं का बीमा भी शुरू किया है. इन सब योजनाओं ने हमारी सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को खत्म कर दिया है. बीजेपी के पास कोई मुद्दे बनाने के लिए नहीं हैं, वह जो मुद्दे नहीं है. उनको ही मुद्दा बनाने पर तुले हुए हैं. जबकि केंद्र सरकार ने जितने भी वादे किए थे. सब फर्जी निकले हैं और उनका कोई जनता से सरोकार को नहीं रहा. किसानों की आय दुगना व 2 करोड़ रोजगार सालाना की हवा निकाल दी गई है. देश में बेरोजगारी और महंगाई जैसे हालात बने हुए हैं. कपड़े और आटे पर भी जीएसटी लगा दिया गया है.

खुद का दिया उदारहण, फेल हो गया था भाई : मंत्री बीडी कल्ला ने उदाहरण देते हुए कहा कि पेरेंट्स की सोच कभी काफी फर्क है. मैं व मेरा भाई दोनों पढ़ते थे, मैं क्लास में फर्स्ट आया था और मेरा भाई फेल हो गया था. हमारे पिताजी ने फेल होने वाले भाई के लिए रबड़ी मंगाई थी. तब मैं पांचवीं और मेरा भाई तीसरी में था. मैंने मां से कहा कि मैं फर्स्ट आया, लेकिन मेरे लिए नहीं मंगवाई गई. कब मेरे से कहा गया कि तुमको भी मिलेगी खाने का मतलब है, यदि हमारे पिताजी उसको डांटते फटकारते तो वह डिप्रेशन में चला जाता है.

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