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कर्नाटक हाईकोर्ट ने अमेजॉन-फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच रोकने की याचिका खारिज

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Published : Jul 23, 2021, 4:49 PM IST

अमेजन और फ्लिपकार्ट के ई-कॉमर्स व्यापार मॉडल के खिलाफ की जा रही जांच पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने दोनों कपंनियों की याचिका को खारिज कर दिया है.

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नई दिल्ली : भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा भारत में अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के ई-कॉमर्स व्यापार मॉडल के खिलाफ की जा रही जांच पर कर्नाटक उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने अमेजन एवं फ्लिपकार्ट की याचिका को खारिज कर दिया है. कनफेडेरशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत किया है. कैट द्वारा एक बयान जारी कर कहा गया कि, अब सीसीआई को तुरंत अमेजॉन एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच शुरू करने में देरी नहीं करनी चाहिए.

कैट के अनुसार, सीसीआई ने प्रतिस्पर्धा कानून के अंतर्गत अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जनवरी 2020 में जांच का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ अमेजन एवं फ्लिपकार्ट फरवरी 2020 में कर्नाटक उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश ले लिया था.

सीसीआई ने उच्चतम न्यायालय में एक अपील दाखिल की थी, जिस पर न्यायालय ने कर्नाटक की कुछ न्यायालय को इस मामले की सुनवाई करने का आदेश दिया. बाद में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में लगभग 40 दिन से अधिक समय तक सुनवाई कर जून में अमेजन एवं फ्लिपकार्ट की याचिका को खारिज कर दिया था.

जिसके खिलाफ इन दोनों ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की डबल बेंच में अपील की थी जिसे कोर्ट ने आज खारिज कर दिया.

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि, यह आदेश आने के बाद अब अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ जांच की कार्रवाई शुरू करने में कोई बाधा नहीं है और अब सीसीआई को तुरंत अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और भारत में उसके बिजनेस मॉडल, जिसने देश के नियमों, कानूनों एवं नीति को चकमा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

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उन्होंने कहा की, यह केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की जिम्मेदारी बनती है कि जो लोग लगातार कानून और नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उन पर नकेल कसी जाए और इसी क्रम में अमेजन एवं फ्लिपकार्ट के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए.

कैट ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से आग्रह किया कि, इन विदेशी फंडिंग वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत के कानून, नियम एवं नीतियों का अनिवार्य पालना के लिए बाध्य करना चाहिए.

(आईएएनएस)

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