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Karnataka Elections 2023 : तीर्थहल्ली विधानसभा क्षेत्र में अरागा और किममाने के बीच मुकाबला, जानें किसे मिलेगा जनाशीर्वाद

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Published : May 4, 2023, 8:04 AM IST

अरागा ज्ञानेंद्र-किम्माने रत्नाकर दोनों के लिए यह मुकाबला फिलहाल बराबरी का दिख रहा है. दोनों ही प्रभावशाली नेता हैं, दोनों हार-जीत में बराबर हैं. लिहाजा तीर्थहल्ली विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक पारा अपने चरम पर है.

Karnataka Elections 2023
अरागा ज्ञानेंद्र और किममाने रत्नाकर की फाइल फोटो

शिमोगा (कर्नाटक) : तीर्थहल्ली विधानसभा राज्य के सबसे हॉट सीट में से एक बन गया है. यह राज्य का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र भी है. तीर्थहल्ली विधानसभा सीट पर सर्वाधिक वर्षा होती है. एक तरह से देखा जाये तो तीर्थहल्ली कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी भी है. यह इलाका कला, साहित्य, संगीत की समृद्ध परंपरा के लिए जाना जाता है. यह कवि कुवेम्पु और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता लेखक यूआर अनंतमूर्ति का गृहनगर है. यह निर्वाचन क्षेत्र पूर्व सीएम कादिदालु मंजप्पन के कारण राजनीति के लिए भी प्रसिद्ध है.

तीर्थहल्ली सीट पर भाजपा ने मौजूदा गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र, कांग्रेस ने किममाने रत्नाकर, जेडीएस ने राजाराम हागड़े, आम आदमी पार्टी ने सलूरू शिवकुमार गौड़ा और कर्नाटक राष्ट्र समिति ने अरुण कन्नहल्ली को टिकट दिया है. शांतावेरी गोपाल गौड़ा जैसे समाजवादी नेता की कर्मभूमि रही तीर्थहल्ली सीट पर कई कारणों से चर्चा में है. भाजपा के प्रत्याशी अरागा ज्ञानेंद्र 10वीं बार एक ही पार्टी से चुनाव लड़े हैं. कर्नाटक में इसे अनूठा ही कहा जा सकता है. अरागा ज्ञानेंद्र उन मुट्ठी भर राजनीतिक नेताओं में से एक हैं जिन्होंने कभी पार्टी नहीं बदली.

अरागा ज्ञानेंद्र ने पहली बार 1983 में बीजेपी से चुनाव लड़ा था. अरागा ज्ञानेंद्र ने शिकारीपुरा से पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ चुनाव लड़ा था. 1983 से 1994 तक उन्हें लगातार तीन बार भारी हार का सामना करना पड़ा. फिर 1994 में पहली बार विधायक बनकर विधानसभा में पहुंचे. अरागा ज्ञानेंद्र ने प्रभावशाली राजनेता और मंत्री डीबी चंद्र गौड़ा को 2,952 मतों से हराया. 1994, 1999 और 2004 तक लगातार तीन बार जीतकर उन्होंने हैट्रिक भी अपने नाम की. कांग्रेस के उम्मीदवार किममाने रत्नाकर, जो दो बार हार चुके थे, ने पहली बार 2008 का चुनाव जीता और विधानसभा में प्रवेश किया. अरागा ज्ञानेंद्र 2018 के विधानसभा चुनाव में इसी निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा जीते और गृह मंत्री बने.

अरागा मूल रूप से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य है. लगातार तीन बार हार चुके अरागा अब पार्टी के निर्देश पर फिर से मैदान में हैं. अब तक संघ के इस दिग्गज ने 9 बार चुनाव लड़ा, 4 बार जीते और 5 बार हारे. 2008 में जब भाजपा सत्ता में आई, तो अरागा ज्ञानेंद्र भद्रावती ने मैसूर पेपर मिल और चीनी कारखाने के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. 2020 में उन्होंने कर्नाटक गृह परिषद के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. अदेक टास्क फोर्स के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर रहे हैं. उन्होंने 10वीं बार चुनाव लड़ा है. दोबारा जीतकर चुनावी राजनीति को अलविदा कहने का फैसला किया है.

किममाने रत्नाकर : किममाने रत्नाकर तीर्थहल्ली से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जो मूल रूप से एक किसान परिवार से हैं. किममाने पेशे से वकील हैं. उन्होंने तालुक बोर्ड के जरिए अपना राजनीतिक सफर शुरू किया. उन्होंने पहली बार 1999 में जेडीएस से चुनाव लड़ा था. तब उन्हें हार मिली थी. 2004 में, वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें फिर हार मिली. 2009 में, तीन सदस्यीय विधायक रहे अरागा ज्ञानेंद्र ने 3,826 मतों के अंतर से विधान सभा में प्रवेश किया.

उन्होंने 2013 में दूसरी बार जीत हासिल की और तीन साल तक सिद्धारमैया के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया. किममाने रत्नाकर को 2018 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था क्योंकि उनके कार्यकाल में नंदिता नाम की लड़की की संदिग्ध मौत ने राजनीतिक मोड़ ले लिया था. हालांकि, रत्नाकर को अपने कार्यकाल के दौरान एक भी दिन विधानसभा में अनुपस्थित नहीं होने का सम्मान प्राप्त है. राज्य में एक मानक और सज्जन राजनेता के रूप में ख्याति अर्जित करने वाले किममाने रत्नाकर 6वीं बार चुनाव लड़े हैं.

दोनों की ताकत:तीर्थहल्ली में अरागा ज्ञानेंद्र सबसे मजबूत राजनेता हैं. वह 10वीं चुनाव लड़ रहे हैं. वह क्षेत्र के हर हिस्से को जानते हैं. उनके पास कार्यकर्ताओं का एक बड़ा कैडर है. चार बार के विधायक रहे हैं निर्वाचन क्षेत्र में विकास को लेकर उनका रिकॉर्ड अच्छा है. उन्होंने गृह मंत्री के रूप में अपना नाम बनाया है. यह सब उनकी जीत का कारण भी बन सकता है.

किममाने रत्नाकर एक साधारण सज्जन राजनीतिज्ञ हैं. उन्होंने राजनीति में क्लीन हैंड्स का नाम कमाया है. वह कदीदालु मंजप्पा और शांतावेरी गोपाल गौड़ा के पंरपरा के नेता माने जाते हैं. उनके पास लोगों की कठिनाइयों और खुशी का जवाब देने का रवैया है. किममाने रत्नाकर के पास कांग्रेस कार्यकर्ताओं की फौज है. मंजूनाथ गौड़ा, जो कभी उनके प्रतिद्वंद्वी थे, अब कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और किममाने रत्नाकर की जीत के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

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