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वीरशैव लिंगायत महासभा का प्रस्ताव : 'वैज्ञानिक तरीके से कराई जाए कर्नाटक जाति जनगणना'

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 24, 2023, 10:31 PM IST

Updated : Dec 24, 2023, 10:56 PM IST

Karnataka Caste census : अखिल भारतीय वीरशैव-लिंगायत महासभा ने नए सिरे से जाति जनगणना कराने का प्रस्ताव पास किया है. दावणगेरे में दो दिवसीय वीरशैव लिंगायत महासभा के 24वें सत्र में इस संबंध में प्रस्ताव पास हुआ.Veerashaiva Lingayat Mahasabha resolution.

Veerashaiva Lingayat Mahasabha
वीरशैव लिंगायत महासभा का प्रस्ताव पढ़ते

दावणगेरे (कर्नाटक):अखिल भारतीय वीरशैव-लिंगायत महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया है कि कर्नाटक में सभी उप-संप्रदायों सहित वीरशैव-लिंगायत समुदाय के वास्तविक सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर जाति जनगणना वैज्ञानिक तरीके से की जानी चाहिए. दावणगेरे में दो दिवसीय वीरशैव लिंगायत महासभा का 24वां सत्र आयोजित हुआ.

महासभा में मौजूद पदाधिकारी

जाति जनगणना, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का सर्वेक्षण है, जो राज्य में गर्म राजनीतिक बहस का विषय है. बताया जाता है कि इसकी सामग्री आधिकारिक तौर पर स्वीकृत होने से पहले ही लीक हो गई थी. इसलिए महासभा ने आग्रह किया कि, सरकार को जाति जनगणना पर कंथाराज आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करना चाहिए.

कहा गया कि वीरशैव-लिंगायत समुदाय में लाखों लोग अत्यंत गरीब हैं, सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से बहुत पिछड़े हुए हैं. इसलिए, राज्य सरकार को वीरशैव-लिंगायत समुदाय के सभी उप-संप्रदायों को केंद्र सरकार की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल करने के लिए भारत सरकार से सिफारिश करनी चाहिए. केंद्र सरकार को यह सिफ़ारिश मान लेनी चाहिए.

गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमनूर शिवशंकरप्पा ने सत्र के ये महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किए. सनेहल्ली के पंडिताराध्य स्वामीजी, पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा, मंत्री ईश्वर खंड्रे, लक्ष्मी हेब्बालकर और कई अन्य उपस्थित थे.

'जातीय जनगणना व्यवस्थित ढंग से नहीं कराई गई' :उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता बी एस येदियुरप्पा ने रविवार को कहा कि 'जातीय जनगणना' नाम से चर्चित कर्नाटक का सामाजिक-आर्थिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण व्यवस्थित ढंग से नहीं कराया गया, ऐसे में राज्य की कांग्रेस सरकार से अनुरोध है कि वह नए सिरे से सर्वेक्षण कराए और तथ्यों को लोगों के सामने रखे.

कर्नाटक में वर्चस्व रखने वाले दो समुदायों (वोक्कलिगा और लिंगायत) ने भी इस सर्वेक्षण को अवैज्ञानिक करार देते हुए अस्वीकार कर दिया है तथा मांग की है कि इसे खारिज कर नये सिरे से सर्वेक्षण कराया जाए.

येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं. साल 2015 में सिद्धरमैया की अगुवाई वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार (2013-2018) ने राज्य में 170 करोड़ रुपये के अनुमानित खर्च से सामाजिक-आर्थिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण कराया था जिसे 'जातीय जनगणना' कहा गया था. तत्कालीन अध्यक्ष एच कंठराजू की अध्यक्षता में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को इस जातीय जनगणना की रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई थी.

यह सर्वेक्षण सिद्धरमैया के बतौर मुख्यमंत्री पहले कार्यकाल के समापन के समीप 2018 में पूरा हुआ था लेकिन उसे न तो स्वीकार किया गया और न ही सार्वजनिक किया गया था.

हाल में बिहार सरकार द्वारा अपनी जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किये जाने के बाद एक वर्ग की ओर से कर्नाटक सरकार पर जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी करने का दबाव पड़ने लगा, ऐसे में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा है कि रिपोर्ट मिलने के बाद इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा.

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Last Updated :Dec 24, 2023, 10:56 PM IST

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