दावणगेरे (कर्नाटक):अखिल भारतीय वीरशैव-लिंगायत महासभा ने एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया है कि कर्नाटक में सभी उप-संप्रदायों सहित वीरशैव-लिंगायत समुदाय के वास्तविक सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर जाति जनगणना वैज्ञानिक तरीके से की जानी चाहिए. दावणगेरे में दो दिवसीय वीरशैव लिंगायत महासभा का 24वां सत्र आयोजित हुआ.
जाति जनगणना, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का सर्वेक्षण है, जो राज्य में गर्म राजनीतिक बहस का विषय है. बताया जाता है कि इसकी सामग्री आधिकारिक तौर पर स्वीकृत होने से पहले ही लीक हो गई थी. इसलिए महासभा ने आग्रह किया कि, सरकार को जाति जनगणना पर कंथाराज आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करना चाहिए.
कहा गया कि वीरशैव-लिंगायत समुदाय में लाखों लोग अत्यंत गरीब हैं, सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से बहुत पिछड़े हुए हैं. इसलिए, राज्य सरकार को वीरशैव-लिंगायत समुदाय के सभी उप-संप्रदायों को केंद्र सरकार की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल करने के लिए भारत सरकार से सिफारिश करनी चाहिए. केंद्र सरकार को यह सिफ़ारिश मान लेनी चाहिए.
गौरतलब है कि कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमनूर शिवशंकरप्पा ने सत्र के ये महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किए. सनेहल्ली के पंडिताराध्य स्वामीजी, पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा, मंत्री ईश्वर खंड्रे, लक्ष्मी हेब्बालकर और कई अन्य उपस्थित थे.
'जातीय जनगणना व्यवस्थित ढंग से नहीं कराई गई' :उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कद्दावर नेता बी एस येदियुरप्पा ने रविवार को कहा कि 'जातीय जनगणना' नाम से चर्चित कर्नाटक का सामाजिक-आर्थिक एवं शैक्षिक सर्वेक्षण व्यवस्थित ढंग से नहीं कराया गया, ऐसे में राज्य की कांग्रेस सरकार से अनुरोध है कि वह नए सिरे से सर्वेक्षण कराए और तथ्यों को लोगों के सामने रखे.