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जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में यूपी में मदरसों के सर्वे का समर्थन करने का फैसला

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Published : Sep 6, 2022, 5:44 PM IST

Updated : Sep 6, 2022, 7:27 PM IST

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में उत्तर प्रदेश में गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वेक्षण करने के योगी आदित्यनाथ सरकार के फैसले का समर्थन करने का फैसला किया. इस बैठक में यूपी के कई इस्लामी विद्वान तथा मौलवी मौजूद थे.

maulana mahmood madani
जमीयत उलेमा ए हिंद अध्यक्ष महमूद मदनी

नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश में मदरसों का सर्वेक्षण कराने के योगी सरकार के फैसले की पृष्ठभूमि में मंगलवार को दिल्ली में जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक (Jamiat Ulema e Hind meeting) हुई. 'मदरसों की सुरक्षा' के विषय पर आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में दारुल उलूम देवबंद, नदवतुल उलेमा लखनऊ, मजाहिर उलूम सहारनपुर समेत उत्तर प्रदेश के दो सौ से अधिक मदरसों के संचालक और प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 12 प्रश्नों पर आधारित सर्वेक्षण पर प्रकाश डाला गया और एक तीन सूत्रीय प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई. इनमें मदरसों में आंतरिक व्यवस्था की दृष्टि से जो कानूनी कमियां हैं, उनको जल्द से जल्द ठीक किया जाए. जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा एक हेल्पलाइन बनाई जाए और टीम गठित की जाए जो कागजों को ठीक करने में मदरसे के लोगों की सहायता करें और एनआईओएस या किसी और रूप में आधुनिक शिक्षा का सिलसिला मदरसों में आरंभ किया जाए.

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी का बयान

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी (maulana mahmood madani) ने कहा, 'मदरसे एक महान धरोहर हैं. हमारे पूर्वजों ने जो यह व्यवस्था दी है, वह दुनिया में कहीं और नहीं है. इसलिए इसे हर हाल में इसकी सुरक्षा की जाएगी. आज भी मदरसे देश की सेवा कर रहे हैं. कमजोर वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. यहां से पढ़ कर निकलने वाले लोग जिम्मेदार और देशभक्त होते हैं. मदरसों के लोगों को देश की व्यवस्था का पालन न करने वाला बताना वास्तव में द्वेष पर आधारित है, इसका उचित और प्रभावी जवाब देना आवश्यक है.'

असम सरकार के राज्य में अवैध और जिहादी गतिविधियों को लेकर मदरसों को ध्वस्त करने के फैसले का जिक्र करते हुए, मदनी ने कहा, 'आपने देखा कि असम में क्या हुआ. अगर यह तरीका अपनाया जाता है तो यह अवैध है.' मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मदरसों के लोगों ने देश के विकास और भाईचारे के लिए महत्वपूर्ण काम किए हैं और इस बात पर जोर दिया कि इन मदरसों ने इस देश में एकता के लिए महत्वपूर्ण काम किया है.

इसके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अमीर-उल-हिंद मौलाना सैयद अरशद मदनी ने कहा कि, धार्मिक मदरसे साम्प्रदायिक लोगों की आंखों में कांटे हैं, इसलिए हमें उनकी मंशा को समझना चाहिए. व्यवस्था को सुधारने की बात अपनी जगह है लेकिन हमें अपने मदरसों के अस्तित्व को बचाने के लिए तत्पर रहना होगा. हमने हमेशा कोशिश की है कि शांति के साथ हमारी धार्मिक संस्थानों को चलने दिया जाए लेकिन साम्प्रदायिक शक्तियां हमारे अस्तित्व को समाप्त करना चाहती हैं, जिसे हम कभी होने नहीं देंगे.

दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि, मदरसों की आंतरिक व्यवस्था को ठीक करने पर हमें विचार करना चाहिए. विशेषकर छात्रावासों आदि से संबंधित जो व्यवस्था है, उसका पालन करने की हर संभव कोशिश की जाए लेकिन अत्याचार करने वालों के इरादों से भी सावधान रहने की जरूरत है.

यह भी पढ़ें- यूपी में मदरसों का सर्वे कराएगी योगी सरकार, ओवैसी बोले- मिनी एनआरसी की तैयारी

बता दें, इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों और पाठ्यक्रम के यूपी सरकार के सर्वेक्षण कराने के फैसले पर सवाल उठाया था. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे भाजपा शासित राज्यों द्वारा संस्थानों को निशाना बनाने का हिस्सा बताया था. एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी यूपी सरकार के मदरसों का सर्वेक्षण करने के फैसले का विरोध किया था. उन्होंने कहा था, 'यह सर्वेक्षण नहीं है, बल्कि एक मिनी-एनआरसी है. कुछ मदरसे यूपी मदरसा बोर्ड के अधीन हैं. सरकार अनुच्छेद 30 के तहत हमारे अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. वे सिर्फ मुसलमानों को परेशान करना चाहते हैं.'

Last Updated : Sep 6, 2022, 7:27 PM IST

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