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इतिहास रचने से चूका इसरो, ईओएस-03 उपग्रह का प्रक्षेपण फेल

क्रायोजेनिक चरण में तकनीकी विसंगति के कारण इसरो का GSLV-F10/EOS-03 मिशन फेल हो गया. इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने यह जानकारी दी.

EOS-3 सैटेलाइट लॉन्च
EOS-3 सैटेलाइट लॉन्च

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Published : Aug 12, 2021, 6:36 AM IST

Updated : Aug 12, 2021, 7:18 AM IST

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का जीएसएलवी-एफ10 ईओएस-03 मिशन फेल हो गया है. श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आज सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर जीएसएलवी-एफ 10 के जरिए धरती पर निगरानी रखने वाले उपग्रह ईओएस-03 को लॉन्च किया गया था. हालांकि कुछ देर बाद यह फेल हो गया.

इसरो अध्यक्ष के. सिवन ने बताया कि क्रायोजेनिक चरण में तकनीकी विसंगति के कारण GSLV-F10/EOS-03 मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया.

जीएसएलवी-एफ 10/ईओएस-03 अभियान के लिए उल्टी गिनती बुधवार तड़के तीन बजकर 43 मिनट पर शुरू हो गई थी. GSLV-F10 यान ने अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट (EOS-3) को लेकर सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर उड़ान भरी, लेकिन मिशन फेल हो गया. मिशन कंट्रोल सेंटर को रॉकेट के तीसरे स्टेज में लगे क्रायोजेनिक इंजन से 18.29 मिनट पर सिग्नल और आंकड़ें मिलने बंद हो गए थे.

इसके बाद इसरो ने बताया कि मिशन आंशिक रूप से विफल रहा है. इसरो के मुताबिक, अगर मिशन सफल होता तो सुबह करीब 10.30 बजे से यह उपग्रह भारत की तस्वीरें लेना शुरू कर देता.

बता दें कि फरवरी में ब्राजील के भू-अवलोकन उपग्रह एमेजोनिया-1 और 18 अन्य छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाद साल 2021 में इसरो का यह दूसरा प्रक्षेपण है.

ईओएस-03 का प्रक्षेपण इस साल अप्रैल या मई में ही होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते इसे टाल दिया गया था. यह अवलोकन उपग्रह देश और इसकी सीमाओं की तस्वीरें वास्तविक समय पर उपलब्ध कराएगा और प्राकृतिक आपदाओं की शीघ्र निगरानी भी कर सकेगा.

अत्याधुनिक भू-अवलोकन उपग्रह ईओएस-03 को जीएसएलवी-एफ10 के जरिए भूसमकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया जाना था. इसके बाद, उपग्रह अपनी प्रणोदक प्रणाली का इस्तेमाल कर अंतिम भू-स्थिर कक्षा में प्रवेश करता.

पढ़ें - इसरो नई छलांग के लिए तैयार, EOS-03 मिशन का काउंटडाउन शुरू

इस अभियान का उद्देश्य नियमित अंतराल पर बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय पर तस्वीरें उपलब्ध कराना, प्राकृतिक आपदाओं की त्वरित निगरानी करना और कृषि, वनीकरण, जल संसाधनों तथा आपदा चेतावनी प्रदान करना, चक्रवात की निगरानी करना, बादल फटने आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करना है, यह उपग्रह 10 साल तक सेवा देगा.

Last Updated : Aug 12, 2021, 7:18 AM IST

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