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भारत में ड्रोन के जरिए दवाओं की आपूर्ति से बेहतर उम्मीद

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Published : Sep 20, 2021, 10:36 PM IST

Updated : Sep 20, 2021, 10:58 PM IST

विशेषज्ञों और चिकित्सा संघों ने केंद्र सरकार से देश भर में ड्रोन के माध्यम से दवा वितरण प्रणाली लागू करने की अपील की है. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

ड्रोन के जरिए दवाओं की आपूर्ति
ड्रोन के जरिए दवाओं की आपूर्ति

नई दिल्ली: तेलंगाना सरकार ने मेडिसिन फ्रॉम द स्काई (आसमान से दवाएं) परियोजना के तहत ड्रोन की मदद से दवाओं और टीके की आपूर्ति (Supply of medicines and vaccines via drones) की पहल कर देशभर के डॉक्टरों और चिकित्सा संघों में उम्मीद जगा दी है. उनको लगता है कि मेडिकल ड्रोन का उपयोग स्वचालित बाहरी डिफिब्रिलेटर (एईडी) जैसी चिकित्सा आपूर्ति देने के लिए किया जा सकता है. दूरदराज के इलाकों, व्यस्त शहरों और दुर्गम इलाकों में आपातकालीन मरीजों को बचाने के लिए रेड-ब्लड सेल्स, दवा या टीके की आपूर्ति संभव हो सकेगी.

एशियन सोसाइटी ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. तामोरिश कोले (Dr Tamorish Kole) ने 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कहा कि '2015 में हैदराबाद में अपोलो हेल्थ सिटी ने खिलौना ड्रोन का उपयोग करके आपातकालीन उपयोग का पहला सफल अनुकरण किया था. तब से लेकर अब तक इस दिशा में कई प्रयास हुए हैं.

तेलंगाना की मेडिसिन फ्रॉम द स्काई परियोजना का परीक्षण विकाराबाद (Vikarabad) में 25 सितंबर तक जारी रहेगा, जिसमें ड्रोन से कोविड -19 टीके और दवाओं की आपूर्ति की जाएगी.

स्काई एयर (Skye Air) जो डंज़ो मेड एयर कंसोर्टियम (Dunzo Med Air consortium) का एक हिस्सा है, तेलंगाना सरकार के लिए 'मेडिसिन फ्रॉम द स्काई' परियोजना में सहयोग देगी. 12 किलोमीटर तक ड्रोन के जरिए तापमान को नियंत्रित करने वाले बॉक्स में दवाओं की आपूर्ति 18 मिनट में की जाएगी.

डॉ. कोले ने कहा '2017 में अमुकेले द्वारा किए गए अध्ययन में साबित हुआ है कि रेड ब्लड सेल यूनिट, एफेरेसिस प्लेटलेट यूनिट और प्लाज्मा यूनिट ड्रोन में 26.5 मिनट तक उड़ाए जाने के बाद भी खराब नहीं हुए. ड्रोन परिवहन का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा. लाल रक्त कोशिका हेमोलिसिस का कोई सबूत नहीं दिखाया है. ऐसे में ये कई स्थितियों में जीवन बचाने वाला साबित हो सकता है.'

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उन्होंने कहा कि ड्रोन के माध्यम से कोविड-19 टीकों की डिलीवरी के अलावा हम सभी अनावश्यक प्रत्यक्ष मानव संपर्क से भी बच सकते हैं, विशेष रूप से आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी के लिए, जैसे कि कोविड -19 वायरल परीक्षण.

2017 में जॉन्स हॉपकिन्स (Johns Hopkins researchers) के शोधकर्ता डॉ. टिमोथी अमुकेले और जेफ स्ट्रीट ने मेडिकल ड्रोन के लिए एक नया डिलीवरी दूरी रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने एरिज़ोना रेगिस्तान के 161 मील में मानव रक्त के नमूनों को सफलतापूर्वक परिवहन किया था.

11 सितंबर को तेलंगाना ने स्काई प्रोजेक्ट से अपनी पहली मेडिसिन लॉन्च की, जिसके तहत ड्रोन ने राज्य के दूर-दराज के इलाकों में दवाएं और टीके पहुंचाए. ड्रोन से दवा वितरण की सफलता के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मणिपुर और नागालैंड में ड्रोन के जरिए कोविड -19 टीके पहुंचाने की सशर्त अनुमति दे दी है. ICMR को टीके आपूर्ति के लिए 3,000 मीटर की ऊंचाई तक ड्रोन का उपयोग करने की अनुमति दी गई है.

इसका स्वागत करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विनय अग्रवाल ने केंद्र सरकार से देश भर में ड्रोन के माध्यम से दवा वितरण प्रणाली को लागू करने की अपील की. डॉ. अग्रवाल ने कहा, यह प्रौद्योगिकी की प्रगति है. न केवल Covid19 टीके बल्कि दवाओं को भी सीमित समय सीमा के भीतर दूरदराज के क्षेत्रों में पहुंचाया जा सकता है.'

Last Updated :Sep 20, 2021, 10:58 PM IST

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