दिल्ली

delhi

IIT Kanpur ने 2023 में रिसर्च और पेंटेंट का लगाया अंबार, बना दिया बड़ा रिकार्ड

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 3, 2024, 1:41 PM IST

IIT Kanpur ने 2023 में रिसर्च और पेंटेंट का अंबार लगा दिया. संस्थान की ओर से एक साल में सर्वाधिक आईपीआर हासिल करने का रिकार्ड बनाने का दावा किया गया है.

Etv Bharat
Etv Bharat

कानपुर: IIT Kanpur ने 2023 में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. संस्थान ने 2023 में कुल 122 इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (आईपीआर) दाखिल करके उद्योग भागीदारों के लिए लगभग 14% की असाधारण लाइसेंसिंग दर हासिल कर रिकार्ड बनाया है. संस्थान का दावा है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

आईआईटी कानपुर ने इन उत्पादों के पेंटेंट 2023 में हासिल किए.

आईआईटी के प्रशासनिक अफसरों का कहना है कि यह उपलब्धि अत्याधुनिक अनुसंधान और नवाचार में आईआईटी कानपुर के हुनर वाली ताकत को उजागर करती है. साथ ही अपने इतिहास में सबसे अधिक आईपीआर हासिल करने का यह लगातार तीसरा वर्ष है, जिससे अब तक कुल उपलब्धि 1039 आईपीआर की हो गई है. खास बात यह भी है कि दायर किए गए 122 आईपीआर में 108 पेटेंट, 4 डिज़ाइन पंजीकरण, 3 कॉपीराइट और 1 ट्रेडमार्क आवेदन के साथ-साथ 4 यूएस और 2 चाइना पेटेंट शामिल हैं. इस वर्ष 15 प्रौद्योगिकियों के लाइसेंस के साथ 167 आईपीआर प्रदान किए गए हैं.

पोर्टेबल मेडिकल सेक्शन डिवाइस सॉलिड स्टेट सोडियम बैट्री की चर्चा सर्वाधिक: जो पेटेंट आईआईटियंस के नवाचारों को मिले, उनमें मेडटेक और नैनो टेक्नोलॉजी जैसे विभिन्न डोमेन के आविष्कारों के पेटेंट में पोर्टेबल मेडिकल सेक्शन डिवाइस और निरंतर फेफड़ों के स्वास्थ्य निगरानी प्रणाली जैसे अभिनव स्वास्थ्य देखभाल समाधान शामिल हैं. अन्य उल्लेखनीय पेटेंटों में सॉलिड-स्टेट सोडियम-आयन बैटरी और नेत्रहीनों और दृष्टिबाधितों के लिए एक किफायती ब्रेल शिक्षण उपकरण शामिल हैं.

आईआईटी निदेशक ने जताई खुशी
इस बारे में आईआईटी कानपुर के निदेशक एस गणेश ने कहा कि हम लगातार तीसरे वर्ष अपने संस्थान में 100 से अधिक फाइलिंग का रिकॉर्ड हासिल करते हुए, 122 आईपीआर दाखिल करके गर्व महसूस कर रहे हैं. अनुसंधान और प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता के परिणामस्वरूप आईपीआर की रिकॉर्ड-तोड़ संख्या प्राप्त हुई है. संस्थान को बौद्धिक योगदान के माध्यम से सकारात्मक बदलाव लाने में अग्रणी के रूप में स्थापित किया गया है. हमारे शोधकर्ताओं के बीच सहयोगात्मक भावना और विभिन्न हितधारकों के समर्थन ने इस उपलब्धि तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

वहीं, संस्थान के अनुसंधान एवं विकास डीन प्रो. तरुण गुप्ता का कहना है कि आविष्कारक प्रकाशनों से परे सोच रहे हैं. पेटेंट दाखिल करना और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण वास्तविक उपलब्धियां बन गए हैं, जो पुनरुत्पादकता साबित कर रहे हैं। आईपीआर की संख्या में वृद्धि का श्रेय पेटेंट दाखिल करने की सरल प्रक्रिया, सरकार द्वारा एक सक्षम नीति ढांचे और आईपीआर प्रबंधन समिति के सदस्यों के समर्थन को दिया जाता है.

ये भी पढ़ेंः रामलला संग न्यू ईयर का जश्न: प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या में काशी-मथुरा जैसी भीड़

ये भी पढ़ेंः गर्भगृह में विराजने से पहले 24 घंटे सोएंगे रामलला, 22 को तालियों-मंत्रोच्चार से जगाया जाएगा

ABOUT THE AUTHOR

...view details