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153 साल पुराना टाटा ग्रुप भारत का सबसे भरोसेमंद ब्रांड कैसे बना ?

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Published : Oct 1, 2021, 9:10 PM IST

1991 में उदारीकरण के बाद से भारत में हर प्रोडक्ट के कई ब्रान्ड आए. मगर देश के गांवों में 'पाइप हो टाटा का और जूता हो तो बाटा का' वाली कहावत आज भी प्रचलित है. टाटा ग्रुप ने अपनी स्थापना से ही अपनी ब्रांड वैल्यू को मजबूत करना शुरू कर दिया था. नतीजतन बड़े शहरों के अलावा गांव, कस्बे के लोग टाटा के उपभोक्ता है. जानिए टाटा भारत का भरोसेमंद ब्रांड क्यों और कैसे बना.

How tata group became reliable brand of india
How tata group became reliable brand of india

हैदराबाद :एयर इंडिया आधिकारिक रूप से 68 साल बाद एक बार फिर टाटा ग्रुप के हाथों में जा सकता है. जब यह खबर ट्रेंड कर रही थी, तभी टाटा संस के स्वामित्व वाली एयरलाइंस विस्तारा नया मुकाम हासिल कर रही थी. विस्तारा ने 2021 विश्व एयरलाइन पुरस्कारों में भारत और दक्षिणी एशिया में सर्वश्रेष्ठ एयरलाइन का पुरस्कार जीता है. यात्रियों से मिले वोटों के आधार पर विस्तारा अब 350 एयरलाइनों की लिस्ट में 28वें स्थान पर पहुंच गई है. 2019 में विस्तारा 69वें और 2020 में 86वें स्थान पर थी. इससे यह उम्मीद जगी कि एयर इंडिया का भविष्य भी अब बेहतर हो जाएगा.

टाटा ग्रुप की 1874 में पहली मिल ( Empress Mill), जिसे जमशेदजी नुसरवानजी टाटा ने बनाया.

भारत में वैसे भी टाटा देश का सबसे भरोसेमंद ब्रांड रहा है. यह चाय से लेकर टेक्नोलॉजी तक के व्यवसायों में शामिल है. आप गौर करें कि सुबह की चाय से दिन की शुरूआत होने से रात में बेड पर जाने तक हर भारतीय टाटा के किसी न किसी प्रोडक्ट का उपयोग कर ही लेता है. टी टु टेक्नॉलजी ( Tea to technology) तक के दैनिक सफर में टाटा के प्रोडक्ट हमेशा से भारतीयों का भरोसा जीतते रहे हैं.

टाटा समूह का ताज होटल, जिसे 1903 में बनाया गया. 26/11 के हमलों के बाद ग्रुप ने अपने कर्मचारियों के इलाज की व्यवस्था की थी.

नंबर वन ब्रान्ड वैल्यू का खिताब बरकरार :अभी देश में कई बड़े इंडस्ट्रियल ग्रुप तरक्की कर रहे हैं मगर टाटा समूह ने 21.3 अरब डॉलर के ब्रांड मूल्य के साथ भारत के सबसे मूल्यवान ब्रांड का खिताब बरकरार रखा है. 2020 में कोरोना के कारण कई बड़ी कंपनियों की रैंकिंग बदल गई मगर टाटा समूह अपनी 30 कंपनियों समेत टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, टीसीएस और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स को कोविड से हुए नुकसान से बचा लिया. 2021 में टाटा ग्रुप की ब्रॉन्ड वैल्यू में 6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

कॉलेज खोलने के लिए दान का प्रस्ताव के लिए जमशेदजी की चिट्ठी. photo courtesy : tata.com

सभी सेक्टर्स में टाटा ग्रुप का दखल :टाटा ग्रुप के गुलदस्ते में टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, ई-कॉमर्स, टाटा एनर्जी, एफएमसीजी ( नमक, तेल, साबुन, चायपत्ती, जूस, मसाले, ब्यूटी केयर प्रोडक्ट, कॉफी, पानी) के अलावा तनिष्क, टाइटन, वोल्टास, फास्ट ट्रैक, टाटा क्लिक जैसी कंपनी शामिल हैं. टाटा इसके अलावा इंजीनियरिंग, होटल, कैटरिंग, रियल एस्टेट मार्केट, फाइनेंशियल सर्विसेज, इंश्योरेंस, एयरलाइन, कंसलटेंसी और इन्फॉर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन सेक्टर में भी दखल रखता है. 153 साल पुरानी इस ग्रुप की 30 कंपनियां शेयर मार्केट में एनरॉल्ड हैं. इसका कुल मार्केट कैप 17 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है.

मिल के कर्मचारियों और उनके बच्चो के लिए खोला गया टाटा का पहला स्कूल

भारतीयों के बीच भरोसेमंद क्यों हुआ ब्रांड

टाटा पर भरोसा बढ़ने का कारण सिर्फ टिकाऊ उत्पाद नहीं है. इसके साथ टाटा ग्रुप के सामाजिक सरोकार भी जुड़े हैं. अपनी शुरूआत से टाटा ग्रुप सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाना शुरू किया. अपनी 1874 में पहली मिल ( Empress Mill) के स्थापना के साथ ही जमशेदजी नुसरवानजी टाटा ने कर्मचारियों के बच्चों के लिए स्कूल की स्थापना की. जैसे-जैसे ग्रुप ने तरक्की की, वैसे वैसे अपने सामाजिक कार्यों को भी बढ़ा दिया. 1896 में उन्होंने मुंबई में यूनिवर्सिटी के लिए जमीन और बिल्डिंग बनाने के लिए तत्कालीन अफसरों को चिट्ठी लिखी. साथ ही, अपने कर्मचारियों के रहने के लिए मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनवाई थी. यह बंबई में रियल एस्टेट का पहला प्रयोग था.

विश्व के सबसे बड़े दानदाता थे जमशेदजी टाटा

ऐसे संस्थान, जो टाटा ग्रुप की देन है :भारतीय विज्ञान संस्थान, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज और टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टिट्यूट, टाटा मैनेजमेन्ट ट्रेनिंग सेंटर, पुणे और नेशनल सेन्टर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स जैसे संस्थान बनाने का श्रेय टाटा ग्रुप को है. टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल और टाटा कैंसर इंस्टिट्यूट आज भी देश का सबसे बड़े अस्पतालों में से एक हैं. इसके अलावा ग्रुप ने हावर्ड बिजनेस स्कूल, मिलान यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया जैसे दिग्गज संस्थानों में भी अरबों डॉलर का दान दिया है. अभी भारतीयों छात्रों की विदेशों में पढ़ाई के लिए ग्रुप की ओर से स्कॉलरशिप प्रोग्राम चलाए जाते हैं. हुरुन रिपोर्ट और एडेलगिव फाउंडेशन के अनुसार, टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा को पिछले 100 वर्षों का सबसे बड़ा परोपकारी घोषित किया गया. उन्होंने 102 अरब डॉलर का दान दिया है, जिसका वर्तमान मूल्य 7 लाख करोड़ से अधिक है.

जमशेदपुर का जुबली पार्क, जिसे टाटा ग्रुप ने अंग्रेजों के विरोध के बावजूद बनवाया था.

उद्योगपतियों ने बसाए कई शहर, चमका सिर्फ जमशेदपुर :आजादी के बाद औद्योगिकरण के दौरान उद्योगपतियों ने अपने प्रोजेक्टस के लिए शहर बसा दिए. झारखंड का टाटानगर यानी जमशेदपुर उन्हीं शहरों में से एक है. इसके अलावा डालमिया नगर और मोदीनगर भी बसाए गए. मगर वक्त के साथ सिर्फ जमशेदपुर ही बतौर शहर तरक्की कर पाया. इस शहर को टाटा ने पार्क, स्कूल, रोड, हॉस्पिटल और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर संवारा. अभी यहां टाटा घराने की कई कंपनियों की उत्पादन इकाई जैसे टिस्को, टाटा मोटर्स, टिस्कॉन, टिन्पलेट, टिमकन, ट्यूब डिविजन हैं.

विदेशों में टाटा की ताकत, कई बड़े अधिग्रहण :टाटा ने पिछले 20 साल में देश और विदेश में करीब 30 कंपनियों का अधिग्रहण किया है. जनवरी 2007 का महीना टाटा समूह ने यूनाइटेड किंगडम में स्थित कोरस समूह (Corus Group) की सफल बोली लगा कर उसे हासिल किया था. इसके लिए कंपनी ने 12.04 बिलियन डॉलर की बोली लगाई थी. यह किसी भी भारतीय कंपनी के द्वारा किया गया सबसे बड़ा अधिग्रहण है. इससे पहले साल 2000 में टेटली टी कंपनी का अधिग्रहण भी टाटा टी ने किया था. इसके साथ ही टाटा टी चाय उत्पादन करने वाली दुनिया की दूसरी बड़ी कंपनी भी हो गई. 2004 में कोरियाई कंपनी देवू कमर्शियल वेहिकल्स का 459 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया था. टाटा समूह 40 से भी अधिक देशों में सक्रिय है और यह दुनिया के 140 से भी अधिक देशों को उत्पाद व सेवाएं निर्यात करता है. इसके करीब 65.8% भाग पर टाटा के चैरिटेबल ट्रस्ट का मालिकाना हक है.

कोरोना काल में रतन टाटा अपने पूर्व कर्मचारियों से मिलने पुणे गए.

शीर्ष नेतृत्व की सादगी और बड़े फैसले :जेआरडी टाटा देश के पहले कमर्शियल पायलट थे. उन्होंने हवाई जहाज कंपनी बनाने का फैसला किया और टाटा एयर लाइन खड़ी कर दी. कहा जाता है कि जेआरडी टाटा को जब उनका प्लेन गंदा दिखता था तो खुद सफाई करने लगते थे. इसी तरह रतन टाटा ने आम लोगों तक कार पहुंचाने के लिए नैनो में निवेश किया. कोरोना काल में वह अपने पूर्व कर्मचारियों के पास भी हालचाल जानने पहुंच गए. शीर्ष नेतृत्व का ऐसा व्यवहार उन्हें ब्रैंड एंबेसडर बना देता है. आज उद्योग जगत के अलावा कॉमन मैन भी रतन टाटा के प्रशंसक हैं.

एयर इंडिया के साथ जे आर डी टाटा. वह 1977 तक एयर इंडिया के अध्यक्ष रहे.

टाटा संस यानी टाटा ग्रुप के चेयरमैन

  • जमशेदजी टाटा (1868–1904)
  • सर दोराबजी टाटा (1904–1932)
  • नौरोजी सकलतवाला (1932–1938)
  • जेआरडी टाटा (1938–1991)
  • रतन टाटा (1991–2012)
  • साइरस मिस्त्री (2012–2016)
  • रतन टाटा (2016–2017)
  • नटराजन चंद्रशेखरन (2017– अभी तक)

एयर इंडिया, जो 68 साल बाद फिर टाटा के पास लौट रही है.

अब अंत में एयर इंडिया की बात, जो फिर से टाटा के पास लौट रही है. अगर टाटा सन्स एयर इंडिया का अधिग्रहण करता है, तो यह करीब 68 साल बाद कंपनी की घर वापसी होगी. 1932 में जेआरडी टाटा ने एयर इंडिया की शुरुआत की थी. मगर तब इसका नाम टाटा एयरलाइन था. 15 अक्टूबर 1932 को खुद जेआरडी टाटा इसकी पहली फ्लाइट लेकर कराची से मुंबई गए थे. 1933 में एयरलाइन ने कमर्शियल सर्विस शुरू की. पहले साल में कंपनी ने 1,60,000 मील की यात्रा की, 155 यात्रियों के साथ 9.72 टन सामान ढोया और कुल 60 हजार रुपये की कमाई की थी.

photo courtesy : tata archives

दूसरे विश्व युद्ध के बाद 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइन का नाम एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया. साल 1947 में भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 प्रतिशत की भागीदारी ले ली. यहां से एयर इंडिया में सरकारी दखल शुरू हुआ. 1948 में एयर इंडिया ने मुंबई से लंदन के बीच इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू की. 1953 में एयर कॉरपोरेशन एक्ट (Air Corporations Act ) के तहत इसका राष्ट्रीयकरण किया गया, लेकिन जेआरडी टाटा 1977 तक इसके अध्यक्ष बने रहे.

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