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हिट एंड रन के पीड़ितों के लिए मुआवजे का प्रावधान है मगर लोगों को क्यों नहीं मिल रहा फायदा

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Published : May 18, 2023, 4:09 PM IST

हर साल भारत में हिट एंड रन के हजारों मामले सामने आते हैं. ऐसे हादसों में मरने और घायल होने वालों के लिए मुआवजे का प्रावधान है. चिंता का विषय यह है कि जानकारी के अभाव में क्लेम करने वाले लोग सामने आते ही नहीं. अब आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मुआवजों की कम संख्या पर सवाल उठाया है.

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हिट एंड रन के मामले में मुआवजे के प्रावधान के बारे में जानकारी देते आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन

आगरा : सड़क पर अज्ञात वाहनों के शिकार यानी हिट एंड रन के पीड़ितों को केंद्र सरकार 34 साल से मुआवजा दे रही है. ऐसे केसों में मुआवजा कितने लोगों को मिला, इस सच चौंकाने वाला है. अभी तक हिट एंड रन के एक प्रतिशत पीड़ितों को भी मुआवजा नहीं मिला है. इससे जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि एक साल पहले ही मुआवजा राशि भी चार गुना बढाई गई. 25 फरवरी 2022 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से मुआवजा राशि बढ़ाने को लेकर अधिसूचना जारी की गई थी. यह क्षतिपूर्ति योजना एक अप्रैल 2022 को लागू हुई.

वरिष्ठ अधिवक्ता के सी जैन ने मुआवजा नहीं मिलने पर चिंता जताई है.

भारत की सड़कों पर रोजाना हिट एंड रन के मामले होते हैं. अखबारों में 'अज्ञात वाहन ने कुचला'वाली हेडलाइन रोजमर्रा की खबर बन गई है. ऐसे हादसों में घायल या मारे गए लोगों के परिजनों की मदद के लिए मोटर व्हीकल एक्ट में मुआवजा का प्रावधान है. इस योजना के तहत हिट एंड रन में घायल लोगों को 50 हजार और मृतक के परिजनों को दो लाख का मुआवजा देने का प्रावधान है. राज्यसभा में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि पिछले पांच साल में एक लाख 31 हजार 239 लोग अज्ञात वाहन की चपेट में आकर मारे गए, मगर मुआवजा सिर्फ 3137 लोगों को मिला. पिछले पांच साल के दौरान ऐसे हादसों में पांच साल में 311000 लोग घायल हुए थे, मुआवजा सिर्फ 1821 घायलों को मिला. जो मारे गए या घायलों की संख्या का एक प्रतिशत भी नहीं है.

यह जानकारी वरिष्ठ अधिवक्ता के सी जैन ने दी है.

आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने हिट एंड रन के मामले में मुआवजे की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. ईटीवी भारत से बातचीत में वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन के अनुसार, राज्यसभा में विभाग की ओर से दिए गए आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि लोगों को इस स्कीम की जानकारी नहीं है और जिम्मेदार अधिकारी भी योजना का लाभ देने में रुचि नहीं ले रहे हैं. केसी जैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सात अगस्त 2023 को सुनवाई करेगा.

केसी जैन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सात अगस्त 2023 को हिट एंड रन में मुआवजे की स्थिति पर सुनवाई करेगा.
वरिष्ठ अधिवक्ता के सी जैन ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि आम लोगों को यह पता ही नहीं है कि मोटर व्हीकल एक्ट में मुआवजा का प्रावधान है. हिट एंड रन में मरने वाले या घायल के आश्रितों को मुआवजा देने को लेकर सन 1988 में सांत्वना स्कीम (consolation scheme ) बनी, जो 1989 में लागू हुई थी. 2022 में सरकार ने मुआवजे की रकम चार गुना बढ़ा दी. पहले ऐसे हादसों में घायल हुए लोगों को 12500 रुपये और मरने वाले के आश्रितों को 50 हजार रुपये देने का प्रावधान था. यह स्कीम देश में 31 मार्च 2022 तक लागू रही. एक अप्रैल 2022 के बाद से मरने वाले के आश्रित को अब दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये का मुआवजा राशि देने का प्रावधान किया गया. मुआवजे की संख्या कम होने पर चिंता जताते हुए के सी जैन ने बताया कि अप्रैल-2022 से लेकर फरवरी-2023 यानी पिछले 11 माह में हिट एंड रन के मामलों में 81000 लोग मरे या घायल हुए और सिर्फ 72 लोगों को मुआवजा मिला.

के सी जैन बताते हैं कि राज्यसभा में परिवहन विभाग ने जो आंकड़े दिए गए हैं उसके मुताबिक, एक हजार लोगों से सिर्फ एक पीड़ित को मुआवजा दिया गया है. इस तरह मुआवजा देने की योजना बेहद खराब है. इसको लेकर पांच अप्रैल 2023 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. योजना का प्रचार प्रसार बेहद जरूरी है ताकि ज्यादा से ज्यादा हादसे के शिकार हुए पीड़ित और उनके परिवार को मुआवजा मिल सके. इसके साथ ही जब 'हिट-एंड-रन' के ऐसे मामले जिनमें हादसा करके भागे वाहन का पुलिस पता नहीं कर पाती है. ऐसे हर हादसे में पुलिस का दायित्व है कि, क्लेम ऑफिसर यानी संबंधित तहसील के एसडीएम को इसकी जानकारी दें. जिससे जिला प्रशासन इस बारे में प्राकृतिक आपदा की तरह इस स्कीम में पहल करें. जिससे 'हिट-एंड-रन' के ऐसे हादसे में घायल और मृतक के परिजन को मुआवजा दिलाया जा सके.

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