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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी का कोरोना संक्रमण से निधन

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Published : Apr 27, 2021, 9:52 AM IST

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला का कोरोना संक्रमण से निधन हो गया है. कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनका इलाज रायपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा था.

कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला
कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला

रायपुर : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला का सोमवार देर रात निधन हो गया. वह कोरोना वायरस से संक्रमित थीं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. सोमवार देर रात उन्होंने अस्पताल में अंतिम सांस ली. करुणा शुक्ला का अंतिम संस्कार बलौदाबाजार में होगा.

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने उनके निधन पर गहरा शोक जताया है. सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट किया, मेरी करुणा चाची यानी करुणा शुक्ला जी नहीं रहीं. निष्ठुर कोरोना ने उन्हें भी लील लिया. राजनीति से इतर उनसे बहुत आत्मीय पारिवारिक रिश्ते रहे और उनका सतत आशीर्वाद मुझे मिलता रहा. ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे और हम सबको उनका विछोह सहने की शक्ति.

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने भी उनके निधन पर शोक जताया है.

करुणा शुक्ला वर्तमान में समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष थीं. इससे पहले वह लोकसभा सांसद रहीं. वह भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सहित तमाम बड़े पदों पर रहीं. लेकिन भाजपा में अनदेखी से नाराज करुणा ने साल 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. तब कांग्रेस ने उन्हें बिलासपुर से टिकट दिया, लेकिन वह हार गईं.

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में करुण शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

करुणा शुक्ला का राजनीतिक सफर
करुणा शुक्ला का जन्म एक अगस्त, 1950 को ग्वालियर में हुआ था. भोपाल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद करुणा ने राजनीति में कदम रखा. उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा में रहते हुए बेस्ट विधायक का खिताब भी मिला था. पहली बार करुणा शुक्ला 1993 में विधायक चुनी गई थीं.

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2004 के लोकसभा चुनाव में करुणा भाजपा के टिकट पर जांजगीर से सांसद चुनी गईं, लेकिन 2009 के चुनावों में करुणा कांग्रेस के चरणदास महंत से हार गईं. उस चुनाव में छत्तीसगढ़ में करुणा ही भाजपा की अकेली प्रत्याशी थीं, जो चुनाव हारी थीं.

करुणा शुक्ला भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहीं. 32 साल भाजपा में रहने के बाद उन्होंने अचानक कांग्रेस का दामन थाम लिया था.

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