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चित्रकूट: फर्जी एनकाउंटर केस में तत्कालीन SP समेत 13 पुलिसकर्मियों पर FIR दर्ज

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Published : Jul 30, 2022, 1:54 PM IST

Updated : Jul 30, 2022, 3:33 PM IST

डकैत भालचंद्र यादव को एसटीएफ और जिला पुलिस से मुठभेड़ में 31 मार्च 2021 को मार गिराया था. डकैत की पत्नी ने इनकाउंटर को फर्जी बताकर कोर्ट की शरण ली थी. तत्कालीन एसपी अंकित मित्तल समेत एसटीएफ व जिला पुलिस के 14 नामजद व तीन-चार अज्ञात के खिलाफ हत्या सहित नौ गंभीर धारा में मुकदमा दर्ज किया गया है.

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डकैत भालचंद्र यादव

चित्रकूट: जिले 31 मार्च 2021 को इनामी डकैत गौरी यादव गिरोह के सदस्य भालचंद्र यादव को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराने के मामले उसकी पत्नी ने फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगा कोर्ट की शरण ली थी. जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर पूर्व एसपी अंकित मित्तल और एसटीएफ के पुलिस कर्मी समेत 15 लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में बहिलपुरवा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है.

यह है मामला:अधिवक्ता राजेंद्र यादव ने बताया कि सतना जिले के नयागांव क्षेत्र के पड़वनियां गांव निवासी नथुनिया पत्नी भालचंद्र यादव ने अपर सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायाधीश डीडी एक्ट) की अदालत में प्रार्थनापत्र दिया था. प्रार्थनापत्र में बताया था कि नथुनिया का पति भालचंद्र 31 मार्च 2021 को अपने भाई लालचंद्र के साथ सतना न्यायालय में पेशी पर गया था. लौटते समय सतना जिले के कोठी कस्बा के पास एक सफेद रंग की स्कॉर्पियो ने ओवरटेक कर दोनों को बाइक से गिरा दिया. इसके बाद एसटीएफ के जवान मारपीट कर भालचंद्र को गाड़ी में डालकर ले गए.

नंगे बदन पर मारी गई थी गोली:भालचंद्र को एसटीएफ का एक जवान चित्रकूट की ओर ले गया. वहीं, उसी दिन शाम को लगभग सात बजे सूचना मिली कि चित्रकूट के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अंकित मित्तल के निर्देश पर गौरी गैंग के साथ हुई मुठभेड़ में यूपी एसटीएफ, जनपद चित्रकूट की स्वाट टीम, बहिलपुरवा और मारकुंडी थाने की पुलिस ने उसे मार गिराया है. भालचंद्र के शव पर बेरहमी से पीटे जाने के निशान थे. साथ ही गोली भी नंगे बदन मारी गई थी, क्योंकि उसकी शर्ट पर गोली लगने के निशान नहीं थे.

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10 महीने बाद एफआईआर दर्ज की गई:जिसपर अपर सत्र न्यायाधीश विनीत नारायण पांडेय ने बहिलपुरवा थाना प्रभारी को रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना करने के लिए कहा था जिसपर अब बहिलपुरवा थाने में मुकदमा दर्ज हो गया है . वहीं, इस मामले में अधिवक्ता राजेंद्र यादव का कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद भी 10 महीने बाद एफआईआर दर्ज की गई है. ऐसे में उन्हें सही विवेचना होने की उम्मीद नहीं है. इसलिए वह प्रशासन से किसी अन्य अधिकारियों से जांच कराने की मांग की है.

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Last Updated : Jul 30, 2022, 3:33 PM IST

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