उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर के रहने वाले जस्टिन ने कुछ ऐसा कर दिखाया है कि अब वे दूसरे खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं. जस्टिन ने राजस्थान के इतिहास में सबसे कम उम्र के नेशनल फुटबॉल रेफरी (Youngest National Football Referee in Rajasthan) बनने का मुकाम हासिल किया है. अब जस्टिन का सपना अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल मैच का रेफरी बनना है. वे भारतीय फुटबॉल टीम के कैप्टन सुनील छेत्री की तरह बनना चाहते हैं.
उदयपुर से शुरू किया रेफरी का कोर्स : जस्टिन ने बताया कि उन्होंने फुटबॉल खेलने के साथ रेफरी का कोर्स भी उदयपुर से ही किया था. कोरोना काल के बाद जिला स्तर पर मैच रेफरी, फिर राज्य स्तर और अब नेशनल रेफरी बनने का मुकाम हासिल किया है. इसका पूरा श्रेय (Rajasthan Football Association) जस्टिन ने अपने माता-पिता और अपने शिक्षकों को दिया. जस्टिन ने कहा कि युवाओं को केवल खिलाड़ी ही नहीं, बल्कि फुटबॉल में रेफरी, कोच और अन्य चीजों के बारे में भी जानना चाहिए. राजस्थान में हुए कई फुटबॉल के बड़े मैचों में मुझे रेफरी बनने का मौका मिला. इससे काफी अनुभव मिलने के साथ फुटबॉल को बड़े नजदीक से जानने का मौका मिला.
ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन की ओर से कोरोना काल के बाद बेंगलुरु में नेशनल रेफरी परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें देशभर से 400 खिलाड़ियों ने भाग लिया था. इस प्रतियोगिता में 15 लोगों का ही सिलेक्शन हुआ, जिसमें राजस्थान से केवल जस्टिन थे. इस प्रतियोगिता में तीन अलग-अलग राउंड में परीक्षा ली गई. दो दिन तक चली इस प्रतियोगिता में पहले राउंड में फिजिकल फिटनेस, जबकि दूसरा लिखित परीक्षा और तीसरा पर्सनल इंटरव्यू था. इन तीनों राउंड को पास करने के बाद मेरा सिलेक्शन हुआ. उन्होंने बताया कि राजस्थान से 3 प्रतिभागियों ने भाग लिया था.