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दिल्ली, उत्तराखंड और यूपी में भूकंप के तेज झटके, नेपाल में भी हिली धरती

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Published : Nov 12, 2022, 8:36 PM IST

Updated : Nov 12, 2022, 10:56 PM IST

दिल्ली-एनसीआर में रात करीब आठ बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. इससे तीन दिन पहले भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे जिसका केंद्र नेपाल में था. पड़ोसी देश में इस भूकंप की वजह से छह लोगों की मौत हो गई थी.

Earthquake in Delhi NCR
दिल्ली में भूकंप के झटके

नई दिल्ली:दिल्ली और उत्तरी भारत के कुछ राज्यों में शनिवार रात भूकंप के झटके महसूस किए गए. दिल्ली-एनसीआर में रात करीब आठ बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, नोएडा, बिजनौर, मुरादाबाद और अमरोहा में भूकंप आया. उत्तराखंड के ऋषिकेश, अल्मोड़ा, चमोली, रामनगर और उत्तरकाशी में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.

भूकंप का केंद्र नेपाल में था. यहां भी कई जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि नेपाल में शनिवार रात करीब 7:57 बजे 5.4 तीव्रता का भूकंप आया. भूकंप का केंद्र जमीन से 10 किमी की गहराई में था.

वहीं, उत्तराखंड में भूकंप का केंद्र ऋषिकेश के पास बताया जा रहा है. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 3.4 मापी गई है. बता दें, हिमालयन बेल्ट में फाल्ट लाइन के कारण लगातार भूकंप के झटके आ रहे हैं और भविष्य में इसकी आशंका बनी हुई है. इसी फाल्ट पर मौजूद उत्तराखंड में लंबे समय से बड़ी तीव्रता का भूकंप न आने से यहां बड़ा गैप भी बना हुआ है. इससे हिमालयी क्षेत्र में 6 मैग्नीट्यूड से अधिक के भूकंप के बराबर ऊर्जा एकत्र हो रही है.

भरतपुर में भी भूकंप के झटके
राजस्थान के भरतपुर जिले में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. रात करीब 8 बजे जिले के कुम्हेर और शहरी क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए. यहां लोगों को घरों के दरवाजों पर लटके ताले और गिलास में रखे पानी हिलते दिखे. एक स्थानीय ने बताया कि करीब 8 बजे जब वह घर पहुंचे और दरवाजे का ताला खोलने लगे तो ताला हिल रहा था. टीवी ऑन किया तो समझ में आया कि भूकंप की वजह से ताला हिल रहा था.

भूकंप क्यों आते हैं...
भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं. जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है. बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं. जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं. नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है. इसके अलावा उल्का प्रभाव और ज्वालामुखी विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग भी भूकंप की वजहें होती हैं.

जानें केंद्र और तीव्रता का मतलब...
भूगर्भ वैज्ञानिकों के मुताबिक भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है, तो 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है. जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है कंपन भी कम होते जाते हैं.

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Last Updated :Nov 12, 2022, 10:56 PM IST

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