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मनमोहन सिंह का बयान राजनीतिक, दो स्थितियां तुलना ठीक नहीं: आर्थिक विशेषज्ञ

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Published : Jul 25, 2021, 1:08 AM IST

Updated : Jul 25, 2021, 6:34 AM IST

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (former Prime Minister Dr Manmohan Singh) के द्वारा दिए गए बयान कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए 1991 के आर्थिक संकट की तुलना में आगे की राह अधिक कठिन है को आर्थिक विशेषज्ञों ने इसे राजनीतिक बयान बताया है. पढ़िए ईटीवी संवाददाता नियामिका सिंह की रिपोर्ट..

अर्थशास्त्री धीरज कुमार
अर्थशास्त्री धीरज कुमार

नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (former Prime Minister Dr Manmohan Singh) ने दावा किया कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए 1991 के आर्थिक संकट की तुलना में आगे की राह अधिक कठिन है, इस पर आर्थिक विशेषज्ञों ने कहा कि दोनों स्थितियों की तुलना नहीं की जा सकती है. उन्होंने इसे राजनीतिक बयान बताया.

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इस मामले पर अर्थशास्त्री धीरज कुमार (Economist Dheeraj Kumar) ने कहा कि दोनों स्थितियां तुलनीय नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मैं कई कारणों के बारे में सोच सकता हूं कि क्यों 1991 की स्थिति न केवल बदतर थी बल्कि वास्तव में केवल न्यूनतम संभव किया गया था जब हम एक स्थिति में फंस गए थे और आईएमएफ चाहता था कि हम बचाव सहायता के लिए कुछ कदम उठाएं. उन्होंने कहा कि अनिवार्य रूप से, डॉ सिंह का बयान कांग्रेस के एक राजनेता का एक राजनीतिक बयान है. उन्होंने आगे कहा, 1991 का संकट मुख्य रूप से विनाशकारी समाजवादी नीति का परिणाम था जिसका भारत ने पिछले 40 वर्षों में पालन किया . यदि हमारे पास पहले के वर्षों में अच्छी समझ होती तो हम आज चीन से कहीं अधिक समृद्ध होते.

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बता दें कि डॉ सिंह ने आर्थिक उदारीकरण के तीन दशक पूरे होने पर एक बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह आनंद और उल्लास का नहीं बल्कि आत्मनिरीक्षण और विचार करने का समय है. साथ ही उन्होंने कहा था कि 1991 के संकट की तुलना में आगे की राह और भी कठिन है. एक राष्ट्र के रूप में हमारी प्राथमिकताओं को हर भारतीय के लिए एक स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने के लिए पुनर्गणना करने की आवश्यकता है.

डॉ सिंह ने कोविड-19 महामारी से हुई तबाही और लाखों लोगों के नुकसान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा के सामाजिक क्षेत्र पिछड़ गए हैं और हमारी आर्थिक प्रगति के साथ तालमेल नहीं बिठा पाए हैं. इस बारे में धीरज कुमार का कहना था कि यह एक सामान्य उंगली उठाने वाला बयानबाजी वाला बयान है, जिसे कोई भी दुनिया के किसी भी देश के बारे में किसी भी बिंदु पर कह सकता है. यह किसी भी सार्थक टिप्पणी या चर्चा का आधार नहीं हो सकता है.

वहीं भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड -19 के प्रभाव को दूर करने के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने कहा कि एक तरफ अधिक खर्च करें, खुद को उत्पादक गतिविधियों पर और दूसरी ओर लोगों की आर्थिक गतिविधियों को न होने दें. पहली लहर में यही हुआ. केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को यह समझने की जरूरत है कि आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि बीमारी को नियंत्रित करना. सही संतुलन सबसे जरूरी है.

Last Updated :Jul 25, 2021, 6:34 AM IST

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