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बदरीनाथ धाम में आखिर ऐसा क्या हुआ जिससे डरे हुए हैं धर्माधिकारी ?

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Published : Jun 1, 2021, 8:07 PM IST

उत्तराखंड में स्थित चारों धामों में से एक बदरीनाथ धाम के कपाट 19 मई से 29 मई तक सुबह 7 बजे खोले गए. हालांकि पूजा-पद्धति के मुताबिक कपाट खुलने का समय सुबह 4 से 4.30 बजे तक है. इस मामले पर बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन उनियाल का कहना है कि अगर वो कुछ बोलेंगे तो नौकरी चली जाएगी.

badrinath
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देहरादून :विश्व विख्यात बदरीनाथ (badrinath) धाम की पूजा-पद्धति आदि गुरु शंकराचार्य (Aadi Guru Shankaracharya) के काल से ही चली आ रही है. हालांकि, जो पद्धति बदरीनाथ (badrinath) धाम के लिए आदि गुरु शंकराचार्य ने तय की थी, उसी पद्धति और विधि विधान के मुताबिक ही रोजाना भगवान बदरी (badri) विशाल के कपाट खोले जाते हैं. समय के मुताबिक ही पूरे विधि विधान से पूजा-पाठ होता है. लेकिन इस साल बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद ही धाम से जुड़ी पूजा पद्धति के तहत धाम के कपाट नहीं खोले गए हैं. बदरीनाथ धाम के कपाट इस साल 18 मई सुबह 4:15 बजे पूरे विधि विधान से खोले गए थे, लेकिन उसके बाद से ही इस पद्धति में बदलाव देखा गया.

11 दिनों तक सुबह 7 बजे खोले गए कपाट

बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के अगले दिन यानी 19 मई से 29 मई तक धाम के कपाट को सुबह 7 बजे खोला गया, जबकि आदि गुरु शंकराचार्य के काल से चली आ रही पद्धति के मुताबिक बदरीनाथ धाम के कपाट प्रातः 4 से 4:30 बजे तक ही खोले जाने की मान्यता और प्राचीन परंपरा रही है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब बदरीनाथ धाम में मंदिर खुलने के समय में बदलाव किया गया है. ऐसे में पौराणिक मान्यता व धार्मिक परंपरा के विपरीत काम करने वाले अधिकारियों पर सवाल खड़े होना लाजमी है. 11 दिनों तक बदरी विशाल के कपाट सुबह 7 बजे खोले गए हैं. इस मामले पर विवाद शुरू होने के बाद 30 मई से एक बार फिर कपाट सुबह 4:30 बजे से खोले जाने लगे हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत.

सदियों से चली आ रही परंपरा

गौर हो कि भगवान बदरी विशाल धाम की पूजा पद्धति अन्य मंदिरों और अन्य पूजा पद्धति से बिल्कुल भिन्न है, क्योंकि आदि गुरु शंकराचार्य (Guru Shankaracharya) ने बदरीनाथ (badrinath) धाम के लिए जो पद्धति बनाई थी उस पद्धति के मुताबिक ही सदियों से बदरी विशाल के कपाट खुलते आए हैं. उसी पद्धति के मुताबिक ही पूजा-पाठ किए जाते रहे हैं, लेकिन इस कोरोना काल के दौरान कपाट खुलने के बाद राज्य सरकार ने धाम में पूजा पाठ के लिए जो SOP तय की थी, उसी के मुताबिक ही कपाट खोले गए है. ऐसे में एक बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि सदियों से चली आ रही परंपरा को आखिर क्यों बदला गया? इस परंपरा को बरकरार रखने वाले जिम्मेदार अधिकारी उस वक्त कहां थे?

'कुछ बोलूंगा तो नौकरी चली जाएगी'

हालांकि, ईटीवी भारत की टीम ने बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन उनियाल इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि वो इस बारे में कुछ नहीं बोल सकते, लेकिन गलत जरूर हुआ है. भुवन उनियाल ने कहा कि अगर वह कुछ बोलेंगे तो उनकी नौकरी चली जाएगी. ऐसे में इस मामले को लेकर देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ से बातचीत करें.

देवस्थानम बोर्ड ने स्वीकारी गलती

इसके बाद इस मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी हरीश गौड़ से बातचीत की. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने चारधाम (chardham) के लिए जो एसओपी जारी की थी, उसके तहत ही बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए हैं. हालांकि, यह गलती जरूर हुई है लेकिन अब इसे सुधार लिया गया है. 30 मई से बदरीनाथ धाम के कपाट सदियों से चली आ रही परंपरा के मुताबिक ही खोले जा रहे हैं.

जिम्मेदार अधिकारी नहीं उठाते फोन

चारों धामों से जुड़े व्यवस्थाओं के लिए जिन अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है, उन अधिकारियों में शामिल अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीडी सिंह से जब ईटीवी भारत की टीम ने मामले को लेकर फोन पर बात करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन नहीं उठाया. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि जिन अधिकारियों की जवाबदेही तय की गई है, वो किस तरह से काम कर रहे हैं.

गलती पर हो कार्रवाईः आशुतोष

वहीं, इस मामले पर डिमरी पंचायत डिम्मर बदरीनाथ के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ऐसे में इसकी जिम्मेदारी होनी चाहिए. इसमें जिसकी भी गलती है, उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में कभी भी ऐसा न हो. आशुतोष डिमरी ने बताया कि हालांकि कुछ लोग SOP का हवाला दे रहे हैं, लेकिन भारत के चारों धामों में सर्वश्रेष्ठ बदरीनाथ धाम की पूजा पद्धति बिल्कुल अलग है. ऐसे में बदरीनाथ धाम की पूजा पद्धति को एक एसओपी मात्र से बांधा नहीं जा सकता.

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